-सुभाष मिश्र
एक सर्वेक्षण के अनुसार पति-पत्नी के बिगड़ते रिश्तों में सबसे बड़ा प्रमुख कारण पैसा, प्यार, बेवफाई यानी धोखा और प्रतिबद्धता की कमी है। कई बार यह धोखा, बेवफाई और पैसे की हवस तलाक तक जाती है तो कई बार पति-पत्नी में से किसी एक की हत्या का कारण भी बन जाती है। मेरठ सौरभ हत्याकांड इसका बड़ा उदाहरण है। पूरे देश भर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं। ( देखें बॉक्स-न्यूज)। सर्वेक्षण में तलाक के कारणों में प्रतिबद्धता की कमी 85 फीसदी, बहुत अधिक संघर्ष या बहस 61 फीसदी और बेवफाई, धोखा या विवाहेतर संबंध 58 फीसदी माने गए हैं। इसके बाद शराब पीना, देर से घर आना, संतानहीनता जैसे अनेक कारण हैं। दाम्पत्य के बीच बिगड़ते रिश्ते और तलाक की बढ़ती घटनाएं यह एक वैश्विक समस्या है। विदेशों में यह लंबे समय से हो रहा था, लेकिन पिछले दो दशक से भारत में इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। ऐसी घटनाओं के पीछे जितने आर्थिक कारण हैं उससे ज्यादा मनोवैज्ञानिक कारण भी हैं। भूमंडलीकरण के उत्तर समय में कुछ परिवर्तन बहुत तेजी से हुए। ज्वाइंट परिवार टूटते गए और न्यूक्लियर परिवारों में इजाफा हुआ। स्त्री शिक्षा में बहुत तेजी से वृद्धि हुई। स्त्रियां आत्मनिर्भर होने लगीं। न्यूक्लियर फैमिलीज में आर्थिक स्थिति तो सुदृढ़ हुई लेकिन जो दंपति बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी कर रहे थे या जहां पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं, ऐसे परिवारों में ईगो और डिप्रेशन एक साथ आए। जो स्त्रियां पहले पति की आय पर निर्भर थी। अधिकांश निर्णय पति के हाथों थे। अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने से स्त्री में एक किस्म का स्वाभिमान और निर्णय लेने का आत्मविश्वास विकसित हुआ। भारत में पितृसत्तात्मकता की जड़े बहुत गहरी हैं। पुरुष कितने भी पढ़े-लिखे और साक्षर हों लेकिन पत्नी को बराबरी का दर्जा देने में उनका स्वाभिमान आहत होता है। वे इसमें अपनी हेठी समझते हैं। भारतीय मध्य वर्ग के पारंपरिक परिवारों में साक्षरता सिर्फ नौकरी पाने का माध्यम भर रहा। शिक्षा ने पुरुषों को खुले मन और उदार मानसिकता का नहीं बनाया। वे इन रूढिय़ों से अभी भी मुक्त नहीं हो पाए की पत्नी को सिर्फ आज्ञाकारी और पति की सेवा में तत्पर रहना चाहिए। पत्नी की नौकरी को भी वे सिर्फ इसीलिए स्वीकार कर पा रहे हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने शिक्षित स्त्री के लिए भी बड़ी और भारी सैलरी के अवसर दिए हैं। पत्नी को नौकरी करने देना एक किस्म का लोभ और लालच में लिया गया निर्णय है। यहीं से अहं की लड़ाई शुरू होती है। सामान्य सी तकरार पुरुष अपने दम्भ के कारण सुलझा नहीं पाता है। पत्नी का अहं भी बड़ा होते जाता है और दोनों या कोई एक डिप्रेशन में चला जाता है। जिसका अंत परिवार के विभाजन और तलाक पर होता है।
जहां अच्छी शिक्षा के बावजूद बेहतर नौकरी नहीं मिलती और आय के साधन कम होते हैं, वहां दाम्पत्य में तनाव पैदा होता है जिसका अंत भी प्राय: तलाक पर होता है। भूमंडलीकरण के उत्तर समय ने एक ऐसी आधुनिकता को जन्म दिया जिसमें विवाह का पारंपरिक स्वरूप टूट रहा है। उसे पुराना, पिछड़ा हुआ और निरर्थक माना जाने लगा है। इस आधुनिकता ने भी परिवार की मजबूती को तोडऩे का काम किया है। इससे संवाद की स्थिति खत्म हो जाती है। व्यक्ति को, चाहे पति हो या पत्नी एक किस्म का बंधन या गुलामी महसूस होने लगती है। किसी एक को या दोनों को लगता है कि इसका हल सिर्फ तलाक में है। न्यूक्लियर परिवारों में तो कोई साथ में बड़े-बुजुर्ग भी नहीं होते जो इस लड़ाई को शुरुआत में ही रोक दें और बिगड़ते दाम्पत्य को संभाल लें।
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स्त्रियों को नौकरी में बड़े अवसर मिले, आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ी है जिससे मध्य वर्ग के परिवारों में सामान्य सुविधाओं में पली स्त्री दमित इच्छाओं के प्रति जो एक कुंठा है। यह आत्मनिर्भरता उसको इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति का अवसर लगता है। यहीं से तनाव बढऩे लगता है। इससे ठीक उलट पुरुष के साथ भी ऐसा संभव है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों से हासिल भारी-भरकम सैलरी का मध्यवर्गीय युवक पैसों के खुले उपयोग के लिए अधिक लालायित हो जाता है। आकांक्षाओं की कोई सीमा नहीं होती है। खर्च बढऩे लगते हैं। झगड़े शुरू हो जाते हैं। पुरुषों के प्राय: अन्य स्त्रियों से अवैध संबंध शुरू हो जाते हैं।
सोशल मीडिया के आने से स्त्री और पुरुष दोनों के पास अपने आसपास, समाज या देश ही नहीं वैश्विक संबंध बनाने की एक बड़ी सुविधा और इच्छाएं पैदा हो गई है। मित्रता एक भ्रामक शब्द हो गया है। स्त्री-पुरुष दोनों इसको अपनी सुविधा के लिए इस्तेमाल करते हैं। पति-पत्नी के बीच यहीं से संदेह की लकीर बड़ी होने लगती है। फिर एक दूसरे की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखना, पूछताछ और बहस शुरू हो जाती है। जिसका अंत अलगाव पर होता है। 2024 में एक सर्वे में 68 फीसदी भारतीयों ने कहा कि वह अपने पार्टनर से डिजिटल प्राइवेसी चाहते हैं।
बाजार ने मध्यवर्ग ही नहीं एलीट क्लास के परिवार के सदस्यों में भी व्यक्तिवाद को बढ़ावा दिया है। स्त्री या पुरुष अपने कैरियर, शौक, फैशन और खासकर अपनी निजी पहचान को लेकर बहुत अतिरिक्त सजग और उत्साही हो गया है। स्त्री या पुरुष में अपनी पहचान बनाने की ऐसी ललक पैदा हो गई है जिसने निरर्थक बहसों को जन्म दिया और जिसका अंत परिवार के विभाजन पर होने लगा है। जहां ज्वाइंट परिवार हैं खासकर के मध्य वर्ग में वहां दंपति को पर्याप्त स्पेस नहीं मिल पाता है। घर के दूसरे सदस्यों का उनके निजी जीवन में दखल बढ़ जाता है। जिसका परिणाम होता है कि पति-पत्नी आपस में लडऩे लगते हैं। हालांकि दोनों पक्ष इसमें काउंसलिंग की जरूरत अब महसूस करने लगे हैं। 2024 में दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में काउंसलिंग सेंटर्स में 30 फीसदी की वृद्धि देखी गई है।
पिछले कुछ महीनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जो रिश्तों में बढ़ते तनाव, अविश्वास और हिंसक प्रतिक्रियाओं को दर्शाती है। यहां कुछ उल्लेखनीय प्रकरणों का विवरण दिया जा रहा है जो 2024 और 2025 की शुरुआत तक के हैं। ये जानकारी समाचार रिपोर्ट्स और उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है –
मेरठ में ब्वॉयफ्रेंड के साथ मिलकर पति को उतारा मौत के घाट
मेरठ में मुस्कान नाम की लड़की ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर पति सौरभ कुमार राजपूत की बेरहमी से हत्या कर दी थी। कत्ल से पहले साहिल और मुस्कान ने ड्रग्स ली थी। इसके बाद एक-एक कर तीन वार सौरभ के सीने पर किए गए। कत्ल के बाद कमरे के साथ लगे बाथरूम में साहिल और मुस्कान ने सौरभ की लाश के कुल तीन टुकड़े किए थे। बाजार से ड्रम, सीमेंट और बाकी चीज लाने के बाद सौरभ की तीन टुकड़ों वाली लाश को इसी ड्रम में सीमेंट के घोल के साथ पैक कर देते हैं।
शादी के 15वें दिन ही दुल्हन ने अपने पति की हत्या करवाई
पत्नी ने शादी और मुंह दिखाई में मिले पैसे और गहने बेचकर एक लाख रुपए शूटर को एडवांस दिए थे। पुलिस ने आरोपी पत्नी प्रगति यादव, उसके प्रेमी अनुराग यादव और सुपारी किलर रामजी नगर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पूछताछ में उसने (आरोपी प्रगति) ने कहा कि घरवालों ने बिना मर्जी के दिलीप से उसकी करा दी थी। प्रगति की प्लानिंग थी कि विधवा होने के बाद वह पति की करोड़ों की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर प्रेमी के साथ रहेगी।
जयपुर का मामला
राजस्थान के जयपुर की रहने वाली महिला ने अपने प्रेमी संग मिलकर अपने पत्नी की हत्या इसलिए कर दी क्योंकि पति को पत्नी के अफेयर के बारे में पता चल गया था। धन्नालाल की पत्नी गोपाली देवी (42) का दीनदयाल (30) के साथ संबंध के बारे में उसके पति को पता चल गया था। वह 15 मार्च को दीनदयाल की दुकान पर गया, जहां गोपाली काम करती है। दीनदयाल और धन्नालाल में झगड़े के बाद गोपाली और दीनदयाल ने धन्नालाल पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। शव को बोरे में भरकर आग लगा दी।
पत्नी ने मां के साथ मिलकर पति को खिलाया जहर
बेंगलुरु में एक 37 साल के रियल एस्टेट कारोबारी लोकनाथ सिंह की उनकी पत्नी और सास ने मिलकर हत्या कर दी। लोकनाथ के कथित कई अवैध संबंध थे, जिसकी जानकारी उसकी पत्नी को थी। महिला ने अपनी मां के साथ मिलकर पहले खाने में नींद की गोलियां मिलाकर पति को बेहोश किया और फिर उसका गला रेतकर हत्या कर दी।
ओएक्सपीपीएन डाट काम के फाउंडर प्रसन्ना का तलाक
85,600 करोड़ रूपए के स्टार्टअप रिपलिंग के को-फाउंडर और सिंगापुर के क्रिप्टो सोशल नेटवर्क ओएक्सपीपीएन डाट काम के फाउंडर प्रसन्ना शंकर ने सोशल मीडिया पर अपने तलाक की घोषणा की है। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी पर बेवफाई करने का आरोप लगाया है। वहीं प्रसन्ना की पत्नी अमेरिकी नागरिक दिव्या का दावा है कि उनके पति को सैनफ्रांसिस्को में वेश्यावृत्ति के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी खो दी। प्रसन्ना ने गुप्त कैमरों का उपयोग करके महिलाओं पर यौन हमले किए।
1. इटावा, उत्तर प्रदेश (नवंबर 2024)घटना: इटावा के ऊसराहार थाना क्षेत्र में एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति, जो एक सिक्योरिटी गार्ड था, की हत्या कर दी। महिला का प्रेमी राहुल पाल से अवैध संबंध था, जिसकी जानकारी पति को हो गई थी। इसके बाद दोनों ने गाँव के ही विकास जाटव को ढाई लाख रुपये की सुपारी देकर हत्या करवाई।
2. इटावा, उत्तर प्रदेश (नवंबर 2024): गोद लिए बेटे के साथ हत्या की घटना: एक अन्य मामले में इटावा में ही एक महिला ने अपने गोद लिए बेटे के साथ मिलकर पति की हत्या की। महिला का गोद लिए बेटे से अवैध संबंध था, जिसे पति ने पकड़ लिया था। इसके बाद महिला ने सुपारी किलर के साथ मिलकर पति को मार डाला और शव को जलाने की कोशिश की।
3. फतेहपुर, उत्तर प्रदेश (सितंबर 2024) की घटना: फतेहपुर में सात बच्चों की माँ ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति को नशीला पदार्थ खिलाया और उसे चारपाई से बाँधकर मारने की कोशिश की। पति तेलंगाना में मजदूरी करता था और छुट्टी पर घर आया था। महिला का पड़ोसी आसू तिवारी से प्रेम प्रसंग था।
4. ग्वालियर, मध्य प्रदेश (सितंबर 2024) की घटना : ग्वालियर में अंजलि नाम की महिला ने अपने नाबालिग भाई और प्रेमी गौरव के साथ मिलकर पति लोकेंद्र कुशवाह की हत्या कर दी। अंजलि का अपने पति के दोस्त गौरव से अफेयर था। हत्या से पहले उसने पति को फ्राइड फिश और बीयर पिलाई, फिर गला घोंट दिया।
5. हरिद्वार, उत्तराखंड (मार्च 2025) की घटना: हरिद्वार में एक पति ने पत्नी के अवैध संबंधों की जानकारी मिलने पर उसे समझाने की कोशिश की। लेकिन पत्नी और उसके प्रेमी ने मिलकर पति की हत्या कर दी।
6. उन्नाव, उत्तर प्रदेश (मार्च 2025)की घटना: उन्नाव में एक प्रेमी जोड़े को गाँव वालों ने आपत्तिजनक हालत में देखा और तालिबानी सजा दी। युवक को अर्धनग्न कर पीटा गया, उसका सिर मुंडवाया गया और घंटों यातना दी गई। यह प्रेम प्रसंग सामाजिक हिंसा में बदल गया।
सामाजिक और कानूनी संदर्भ
आंकड़े: एनसीआरबी 2022 के अनुसार, भारत में घरेलू हिंसा के 1.36 लाख मामले दर्ज हुए, जिनमें से कई प्रेम प्रसंग या दाम्पत्य विवाद से जुड़े थे। 2024-25 में यह संख्या बढऩे की संभावना है।
कानून: घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 (पीडब्ल्यूडीवीए) और आईपीसी की धारा 498ए, 304बी आदि इन मामलों में लागू होती हैं। हालाँकि, कई मामलों में हिंसा करने वाले सजा से बच जाते हैं।
सामाजिक बदलाव: शहरीकरण, सोशल मीडिया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की चाह ने प्रेम और दाम्पत्य में तनाव को बढ़ाया है, जो हिंसा का कारण बन रहा है।
पति को पत्नी पर स्वामित्व अधिकार नहीं
हाईकोर्ट ने कहा है कि विवाह पति को पत्नी पर स्वामित्व या निजता के अधिकार को कमजोर करता है। आरोप-पत्र रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस विनोद दिवाकर ने कहा सोशल मीडिया पर अंतरंग वीडियो अपलोड करने आवेदक (पति) ने वैवाहिक संबंधों की पवित्रता को गंभीर रूप से भंग किया है। एक पति से अपेक्षा की जाती है कि वह पत्नी द्वारा उस पर जताए गए विश्वास, आस्था और भरोसे का सम्मान करे, विशेष रूप से उनके अंतरंग संबंधों के संदर्भ में।
ये हालिया प्रकरण बताते हैं कि प्रेम प्रसंग और दाम्पत्य जीवन में हिंसा के पीछे अविश्वास, लालच, धोखा, अवैध संबंध, पैसा और सामाजिक दबाव प्रमुख कारण हैं। खासकर उत्तर भारत में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जहाँ प्रेम को स्वीकार करने में सामाजिक बाधाएं और हिंसक प्रतिक्रियाएं आम हैं। इनसे निपटने के लिए जागरूकता, काउंसलिंग और सख्त कानूनी कार्रवाई की ज़रूरत है।