Subhash Mishra

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – ‘विरासत’ पर सियासत

-सुभाष मिश्र लोकसभा चुनाव के बीच विरासत टैक्स पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई है। इस बीच इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का भी इस पर एक बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि भारत में विरासत टैक्स लगाने पर बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। अगर […]

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – ‘संकटमोचक’ के बहाने शक्तिप्रदर्शन !

-सुभाष मिश्र  साल दर साल हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन भव्य रूप लेते जा रहा है। वैसे इस साल छत्तीसगढ़ में रामनवमीं का त्यौहार भी डीजे पर नाचते और जगह-जगह जुलूस निकालते मनाया गया। इन जुलूसों में तपती गर्मी में नाचते गाते बहुत से लोग शालिनता और भक्ति का भाव छोड़कर एक तरह से शक्ति प्रदर्शन

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सोशल पुलिसिंग : युवा जाए तो जाए कहां

-सुभाष मिश्र आज समाज से लेकर राजनीति तक युवाओं की बात होती है। कहा जाता है कि दुनिया की तमाम बड़े देशों की तुलना में भारत की स्थिति इसलिए थोड़ी अच्छी है, क्योंकि हमारे यहां सबसे ज्यादा युवा आबादी है। लेकिन हम युवाओं पर ही बंधन लगाने लग जाएं तो। खुली हवा में सांस लेने

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सफलता के बाद क्यों बदल जाते हैं लोग

-सुभाष मिश्र देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाने वाली यूपीएससी के नतीजे आ गए हैं। लाखों प्रतिभागियों के बीच जिन छात्रों ने सफलता पाई है उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया है। कुछ दिन तक वे मीडिया में एक हीरो की तरह पूछे जाएंगे। उनके संघर्ष की कहानी बहुत से लोगों को

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – बिखरता नक्सलवाद, सबको रहना होगा सतर्क

-सुभाष मिश्र बस्तर एक बार फिर लहूलुहान है। कांकेर जिले में हुई मुठभेड़ में बीएसएफ और डीआरजी के जवानों ने ज्वाइंट ऑपरेशन करते हुए 29 नक्सलियों को मार गिराया। इसे नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कामयाबी की तरह देखा जा रहा है। पिछले दो दशकों से बस्तर इस तरह के कई एनकाउंटर का गवाह रहा है।

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – भय प्रकट कृपाला

-सुभाष मिश्र गोस्वामी तुलसीदास आज होते तो यह देखकर बेहद प्रसन्न होते कि पूरा देश आज राममय है। तुलसी के राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे। भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी॥ लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी । भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी॥ भगवान श्रीराम

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – बाबा साहब की बढ़ती प्रासंगिकता

-सुभाष मिश्र हमारे देश में खुद को किसी महापुरुष के विचार के करीब बताकर जितनी राजनीति हुई है उतनी दुनिया के किसी भा देश में नहीं हुई है। डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ भी ऐसा ही है, जो उनके जीते जी उनकी विचारधारा अलगाव रखते थे वो भी आज सियासी मजबूरी में उनके साथ खड़े

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – आखिर कब हटेगी गरीबी !

-सुभाष मिश्र गरीबी हटाओ का नारा देश आजाद हुआ तब से हम सुनते आ रहे हैं। गरीबी ने इस कदर जकड़ा हुआ है कि इससे कब तक मुक्ति मिलेगी, कोई नहीं जनता। दरअसल इस देश से गरीबी को हटाने का नारा कई दशकों से लगाया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – टूटती भाषायी मर्यादा

– सुभाष मिश्र राजनीति में एक दूसरे को ललकारना, एक दूसरे को पटकनी देने का दावा अपनी विचारधारा को दूसरे से श्रेष्ठ बताने की कोशिश तो हमेशा से होती आई है, लेकिन आजकल जिस तरह से एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हमारे नेता भाषायी मर्यादा को तोड़ रहे हैं वो काफी चिंताजनक है। हाल

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – यात्रियों की भीड़ देख ठिठके टीटीई के पांव

-सुभाष मिश्र ट्रेनों में भीड़ के कारण यात्रियों के नहीं चढ़ पाने या स्टेशन पर छूट जाने की बात तो आपने सुनी होगी, लेकिन अब तो टीसी और टीटीई टिकट की जांच करने के लिए बोगियों में चढ़ नहीं पा रहे हैं। ट्रेनों की स्लीपर कोच में लगातार कमी ने यह विकट स्थिति पैदा कर

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