Subhash Mishra

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – भय प्रकट कृपाला

-सुभाष मिश्र गोस्वामी तुलसीदास आज होते तो यह देखकर बेहद प्रसन्न होते कि पूरा देश आज राममय है। तुलसी के राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे। भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी॥ लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी । भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी॥ भगवान श्रीराम […]

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – बाबा साहब की बढ़ती प्रासंगिकता

-सुभाष मिश्र हमारे देश में खुद को किसी महापुरुष के विचार के करीब बताकर जितनी राजनीति हुई है उतनी दुनिया के किसी भा देश में नहीं हुई है। डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ भी ऐसा ही है, जो उनके जीते जी उनकी विचारधारा अलगाव रखते थे वो भी आज सियासी मजबूरी में उनके साथ खड़े

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – आखिर कब हटेगी गरीबी !

-सुभाष मिश्र गरीबी हटाओ का नारा देश आजाद हुआ तब से हम सुनते आ रहे हैं। गरीबी ने इस कदर जकड़ा हुआ है कि इससे कब तक मुक्ति मिलेगी, कोई नहीं जनता। दरअसल इस देश से गरीबी को हटाने का नारा कई दशकों से लगाया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – टूटती भाषायी मर्यादा

– सुभाष मिश्र राजनीति में एक दूसरे को ललकारना, एक दूसरे को पटकनी देने का दावा अपनी विचारधारा को दूसरे से श्रेष्ठ बताने की कोशिश तो हमेशा से होती आई है, लेकिन आजकल जिस तरह से एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हमारे नेता भाषायी मर्यादा को तोड़ रहे हैं वो काफी चिंताजनक है। हाल

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – यात्रियों की भीड़ देख ठिठके टीटीई के पांव

-सुभाष मिश्र ट्रेनों में भीड़ के कारण यात्रियों के नहीं चढ़ पाने या स्टेशन पर छूट जाने की बात तो आपने सुनी होगी, लेकिन अब तो टीसी और टीटीई टिकट की जांच करने के लिए बोगियों में चढ़ नहीं पा रहे हैं। ट्रेनों की स्लीपर कोच में लगातार कमी ने यह विकट स्थिति पैदा कर

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – मोदी की बातों से प्रभावित होता जो आम, खास मतदाता

-सुभाष मिश्र हर बार चुनाव के वक्त कुछ प्रमुख बातें होती हैं जिन्हें बड़े नेता कई बार दोहराते हैं। चाहे वो विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का। हालांकि लोकसभा का चुनाव बड़ा है और 7 चरणों में संपन्न होना है डेढ़ महीने के भीतर ये सात चरण होने हैं, ऐसे में हो सकता

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – आदिवासी मन (वोट) को साधने की कोशिश !

-सुभाष मिश्र आज देश के दो बड़े नेता आदिवासी बाहुल्य इलाकों में थे। प्रधानमंत्री मोदी ने जहां बस्तर में चुनावी सभा को संबोधित किया। वहीं राहुल गांधी मध्यप्रदेश के सिवनी में थे। दोनों ने आदिवासी आबादी के सामने कई वादे किए और देश की दश-दिशा पर बात कही। बस्तर में पीएम मोदी ने कांग्रेस पर

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – पार्टी बनाम नेता की राह पर राजनीति

-सुभाष मिश्र ये हमेशा उलझन में डालने वाला सवाल होगा कि संगठन बड़ा या उससे जुड़े व्यक्ति और सीधे शब्दों में कहें तो राजनीतिक दल बड़े हैं या फिर उसका झंडा उठाने वाला नेता। इतिहास में जब-जब कोई संगठन या दल किसी एक नाम के भरोसे होता है तब उसे हो सकता है तात्कालिक लाभ

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – कितनी न्याय संगत होगी गारंटी !  

-सुभाष मिश्र कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है, जिसे न्याय पत्र नाम दिया गया है। ये मेनिफेस्टो 5 ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ पर आधारित है। कांग्रेस घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष पी चिदंबरम ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर को तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेंगे। हम लद्दाख के

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – नदियों पर मंडराता खतरा एक गंभीर चेतावनी

-सुभाष मिश्र कवि दुष्यंत कुमार का एक शेर है – यहां तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा।। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से हम देखते हैं जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है तेजी से जल स्त्रोतों का पानी खत्म होने लगता है। नदियों का पानी घटते ही रेत माफिया

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