Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – मोदी की बातों से प्रभावित होता जो आम, खास मतदाता

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

हर बार चुनाव के वक्त कुछ प्रमुख बातें होती हैं जिन्हें बड़े नेता कई बार दोहराते हैं। चाहे वो विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का। हालांकि लोकसभा का चुनाव बड़ा है और 7 चरणों में संपन्न होना है डेढ़ महीने के भीतर ये सात चरण होने हैं, ऐसे में हो सकता है कि चरण-दर-चरण भाषणों में कुछ बदलाव दिखाई दे ,इसमें स्थानीय समीकरणों के साथ कुछ बदलाव नजर आ सकता है । फिलहाल मोदी अपनी लगभग हर सभा में जिन बातों का जिक्र कर रहे हैं उससे समझा जा सकता है कि आगे उनकी रणनीति क्या है।
भले ही उत्तर भारत में कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है लेकिन लगभग हर मंच से वो सबसे ज्यादा कांग्रेस और उसके अतीत को कोसते नजर आते हैं। कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप, मुस्लिम लीग से तुलना पिछली कुछ सभाओं में कामन है। इसी तरह कांग्रेस पर राम विरोधी होने का आरोप भी लगा रहे हैं, देश को बांटने की साजिश भी वो इंडी गठबंधन पर लगाते हैं। इस तरह मोदी अपने भाषणों में कांग्रेस को नाकाम साबित करने की भरपूर कोशिश करते हैं।मोदीजी के भाषणों से उनके भक्तों को लगता है की देश का असली विकास , मान सम्मान तो मोदीजी के सत्ता में आने के बाद ही हुआ है ।
प्रधान मंत्री मोदी ऐसे नेता हैं जो लगातार 23 साल से सत्ता में बने हुए हैं, पहले 13 साल मुख्यमंत्री रहे और अब 10 साल से प्रधानमंत्री के पद पर काबिज हैं. वो दो दशक से ज्यादा वक्त से सत्ता में यूं नहीं बने हैं। इसके पीछे है उनके 24x 7 काम करने की रणनीति है। पीएम मोदी ने यह खास तरह की राजनीतिक संस्कृति विकसित की है जिसमें वे हमेशा सक्रिय दिखाई देते हैं लोग बाक़ी नेताओं से भी ऐसी अपेक्षा करने लगे हैं ।
पीएम मोदी की यह ऐसी खूबी है जो उन्हें दूसरे नेताओं से अलग बनाती है. वे कौन से मुद्दे बातें हैं, खूबियां हैं जिसने उन्हें 21 साल सत्ता में बनाए रखा एक ‘ब्रांड में तब्दील किया। 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने बताया कि हर चुनाव अहम है।
एक दौर ऐसा भी था, जब भाजपा के लिए एक जुमले का इस्तेमाल किया जाता था। वो था भाजपा के तीन काम, बैठक, भोजन और विश्राम. जब से पार्टी की बागडोर पीएम मोदी ने संभाली है, बदलाव साफ देखा जा सकता है। राजनीतिक कामकाज से लेकर पार्टी की रणनीति तक में बड़ा बदलाव आया है। इसकी शुरुआत के पीछे एक बड़ा मूलमंत्र रहा है वो है हर चुनाव को गंभीरता से लेना। इसी खूबी के साथ भाजपा ने दूसरे दलों से बिलकुल अलग और एडवांस वर्क कल्चर डेवलप किया है। अब छोटे से छोटे चुनाव में भाजपा खास रणनीति और मैनेजमेंट के साथ मैदान में उतरती है। ये पीएम मोदी द्वारा लाए गए बदलाव है। पीएम मोदी ने पार्टी में यह चलन शुरू किया कि चुनाव कोई भी हो नतीजे आने के बाद भी तैयारी रुकनी नहीं चाहिए। आमतौर पर राजनीति दल राज्यों में चुनाव से एक साल पहले ही तैयारियां शुरू करते हैं, लेकिन पीएम मोदी ने इस ट्रेंड को भी बदला। चुनावी तैयारियों को पार्टी के काम का अहम हिस्सा बनाया। नतीजा, भाजपा की चुनावी तैयारियों विपक्षी दलों के लिए चुनौतियां बढ़ा रही है।
पीएम मोदी हर आयोजन को भव्य बनाने और उसके जरिए राजनीतिक संदेश देने में माहिर रहे हैं। इसकी शुरुआत 2014 में उन्होंने एक इवेंट से की और खुद को प्रधानसेवक बताया। भाजपा ने प्रधानमंत्री के हर जन्मदिन को सेवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की, वे किसी भी मौके को बड़े राजनीतिक इवेंच में बदल सकते हैं फिर चाहे वो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ही क्यों न हो। इनकी इस कला और टाइमिंग का विरोधियों के पास कोई जवाब नहीं।
मोदीजी अपने भाषण में स्थानीयता का पुट डालते हुए ऐसी बातें करते हैं जो कहीं ना कहीं बहुसंख्यक मतदाताओं के अवचेतन में घर किये हुए हैं। वे जब कांग्रेस के घोषणा पत्र को मुस्लिम लीग से प्रभावित बताते हैं तो बहुत सारे लोगों को लगता है कांग्रेस मुस्लिम परस्त है। वे कांग्रेस और इंडी गठबंधन को धर्म और सनातन विरोधी बताते हैं और खुद को राम से कनेक्ट करते हैं तो युवा मतदाता जो दिन भर व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी सिटी के ज्ञान से लबरेज़ है मोदीजी की बातों को सच समझता है। आपदा को अवसर में बदलने लोगों से कनेक्ट होने की कला मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व को बाक़ी नेताओं से अलग करती है।
वे कभी बस्तरवासियों के बीच अपने आपको गरीब घर की संतान बताते हैं तो कभी पिछड़ा वर्ग का बेटा। वे विपक्षियों पर जातिगत अपमान का आरोप लगाते हैं तो कभी चौकीदार चोर जैसी बातों को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना देते हैं। उनके चाहने वालों को लगता है कि यही वह व्यक्ति है जो देश को विश्व गुरू बना सकता है। जो 24 घंटे में 18 घंटे देश के लिए काम करता है , जो कहता है की ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा तो सरकारी तंत्र में रिश्वत देने और लेने वाला भी उनकी बातों से प्रभावित होता है। ऐसा कोई भी मौक़ा मोदीजी अपने हाथों से नहीं जाने देते जो उनकी छबि को, बातों को जनमानस में विस्तार दे। अपने कपड़ों, महंगे शौक़ और देश के अमीर परिवारों से धनिष्ठा रखने के बावजूद वे लोगों के बीच एक वैरागी भाव की छवि गढऩे में सफल रहते हैं। देश के आम पत्रकारों से दूरी रखने के बावजूद वे मीडिया में सबसे ज़्यादा कवरेज पाते हैं। वे आकाशवाणी को मन की बात के ज़रिए जनमाध्यम तक पहुँचने का सबसे कारगर हथियार बनाते हैं। आज मोदी भाजपा से बड़ा ब्रांड बनकर जनमानस में उभरे हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं की ज़ुबान पर अब यही नारा है मोदी है तो मुमकिन है।

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