Subhash Mishra

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – मोदी की बातों से प्रभावित होता जो आम, खास मतदाता

-सुभाष मिश्र हर बार चुनाव के वक्त कुछ प्रमुख बातें होती हैं जिन्हें बड़े नेता कई बार दोहराते हैं। चाहे वो विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का। हालांकि लोकसभा का चुनाव बड़ा है और 7 चरणों में संपन्न होना है डेढ़ महीने के भीतर ये सात चरण होने हैं, ऐसे में हो सकता […]

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – आदिवासी मन (वोट) को साधने की कोशिश !

-सुभाष मिश्र आज देश के दो बड़े नेता आदिवासी बाहुल्य इलाकों में थे। प्रधानमंत्री मोदी ने जहां बस्तर में चुनावी सभा को संबोधित किया। वहीं राहुल गांधी मध्यप्रदेश के सिवनी में थे। दोनों ने आदिवासी आबादी के सामने कई वादे किए और देश की दश-दिशा पर बात कही। बस्तर में पीएम मोदी ने कांग्रेस पर

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – पार्टी बनाम नेता की राह पर राजनीति

-सुभाष मिश्र ये हमेशा उलझन में डालने वाला सवाल होगा कि संगठन बड़ा या उससे जुड़े व्यक्ति और सीधे शब्दों में कहें तो राजनीतिक दल बड़े हैं या फिर उसका झंडा उठाने वाला नेता। इतिहास में जब-जब कोई संगठन या दल किसी एक नाम के भरोसे होता है तब उसे हो सकता है तात्कालिक लाभ

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – कितनी न्याय संगत होगी गारंटी !  

-सुभाष मिश्र कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है, जिसे न्याय पत्र नाम दिया गया है। ये मेनिफेस्टो 5 ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ पर आधारित है। कांग्रेस घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष पी चिदंबरम ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर को तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेंगे। हम लद्दाख के

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – नदियों पर मंडराता खतरा एक गंभीर चेतावनी

-सुभाष मिश्र कवि दुष्यंत कुमार का एक शेर है – यहां तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा।। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से हम देखते हैं जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है तेजी से जल स्त्रोतों का पानी खत्म होने लगता है। नदियों का पानी घटते ही रेत माफिया

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – भ्रामक विज्ञापन को जरूरी फटकार

– सुभाष मिश्र  एक मुहावरा है अपना पूत सबहिं को प्यारा, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं निकाला जा सकता कि दूसरों के बच्चे के गुण-दोषों को अच्छे से जाने बगैर उसकी निंदा कर दी जाये। ऐसा ही एक मामला हुआ है पतंजलि आयुर्वेद के साथ। दरअसल, पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – जल है तो कल है …

-सुभाष मिश्र सदियों पहले रहीम जैसे कवि ने भविष्य की स्थितियों को भांपते हुए ही कहा होगा-रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून… आज पूरी दुनिया पानी की समस्या से जूझ रही है। जल संकट भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौति बन रही है इस समस्या को हल्के में लेना मानवता के लिए घातक बनता

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – इंडिया को नई सियासी जमीन की तलाश !

-सुभाष मिश्र विपक्षी दलों के इंडिया यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस के नेताओं की महारैली रैली दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजन हुई। इस महारैली के बहाने विपक्ष ने एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया। यह रैली ऐसे समय में हुई, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ईडी की गिरफ्त में हैं। विपक्ष ने भाजपा

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – फिल्म बंगाल 1947 ने जगाई नई उम्मीदें

-सुभाष मिश्र अक्सर देखने को मिलता है कि पीरियड फिल्मों का झुकाव किसी एक ओर होता है। विभाजन को लेकर अब तक बनी ज्यादातर फिल्मों में हम यही पाते हैं, इसके कई ऐतिहासिक कैरेक्टर पर किसी न किसी एजेंडे को लेकर फिल्में बनती रही हैं। इन सबके बीच एक ठंडी हवा के झोंके की तरह

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – ईवीएम का क्या कसूर

सुभाष मिश्रा हमारे देश में जब भी चुनाव आता है ईवीएम को लेकर एक बहस जरूर छिड़ती है। आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस और अन्य राजनितिक दल समय-समय पर ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं। पश्चिम के कई देशों में आज भी पुराने तरीके से ही चुनाव प्रक्रिया संपन्न होती

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