Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – आदिवासी मन (वोट) को साधने की कोशिश !

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

आज देश के दो बड़े नेता आदिवासी बाहुल्य इलाकों में थे। प्रधानमंत्री मोदी ने जहां बस्तर में चुनावी सभा को संबोधित किया। वहीं राहुल गांधी मध्यप्रदेश के सिवनी में थे। दोनों ने आदिवासी आबादी के सामने कई वादे किए और देश की दश-दिशा पर बात कही। बस्तर में पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में दिल्ली से एक रुपए निकलता था और सिर्फ 15 पैसे ही गांव तक पहुंचते थे, ये कांग्रेस के प्रधानमंत्री ही कहते थे। कांग्रेस को बताना चाहिए कि वह कौन सा पंजा था, जो 85 पैसे मार लेता था। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार के समय भ्रष्टाचार ही देश की पहचान बन गई थी। भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा नुकसान गरीब का हुआ। पीएम मोदी ने आगे कहा कि बीजेपी ने अपने कार्यकाल में 34 लाख करोड़ रुपए सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजे हैं। दिल्ली से एक रुपए भेजे तो पूरे 100 पैसे गरीब के खाते में जमा हो गए। एक रुपए भेजकर 85 पैसे गायब होने वाला जादू का खेल बंद हो गया। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि आने वाले 5 साल भी फ्री राशन की स्कीम चलती रहेगी ताकि गरीबों का पैसा बचता रहे।
राम मंदिर का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि रामनवमीं बहुत दूर नहीं है, इस बार अयोध्या में हमारे रामलला टेंट में नहीं, बल्कि भव्य मंदिर में दर्शन देंगे। 500 साल बाद यह सपना पूरा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी खुशी प्रभु राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ को होना स्वाभाविक है, लेकिन कांग्रेस और इंडिया गठबंधन राम मंदिर बनने से बहुत नाराज है। कांग्रेस के शाही परिवार ने प्राण प्रतिष्ठा के न्यौते को ठुकरा दिया। जिन नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया, उन्हें पार्टी से निकाल दिया। यह दिखाता है कि कांग्रेस तुष्टिकरण के लिए कुछ भी कर सकती है। इस दौरान उन्होंने कहा मोदी का सिर फोडऩे की धमकी दे रहे हैं। मोदी गरीब का बेटा है, सिर ऊंचा रखकर चलता है। मोदी इनकी धमकियों से डरने वाला नहीं है। मोदी के लिए मेरा भारत मेरा परिवार है, मैं अपने देश को अपने परिवार को लूट से बचाने में जुटा हूं। मैं कहता हूं भ्रष्टाचार हटाओ, वो कहते हैं भ्रष्टाचारी बचाओ। मोदी ने लूट का लाइसेंस ही कैंसिल कर दिया।
उधर सिवनी में राहुल गांधी ने भी खुद को आदिवासी हितैषी बताते हुए भाजपा और मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया। राहुल ने कहा आदिवासी का मतलब मूल मालिक है। पहले मालिकों को देश के धन, जल, जंगल और जमीन पर अधिकार है। उन्होंने आगे कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है। आपकी जगह कहां होनी चाहिए, इस बात की लड़ाई है। देश में आदिवासियों की आबादी 8 प्रतिशत है। मैंने आंकड़े निकाले, मैंने पढ़ा, देश की सबसे बड़ी कंपनियों में, उनके मालिकों में आदिवासियों की संख्या एक प्रतिशत भी नहीं है। उन्होंने बेरोजगारी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश में अब भी 30 लाख रिक्तियां हैं, सरकार के पास 30 लाख सरकारी नौकरियां हैं, जिसे बीजेपी के लोग आपको देते नहीं हैं। वे आपको अनुबंध पर काम देते हैं लेकिन आपको सरकारी नौकरी नहीं देते हैं, हम देंगे। राहुल गांधी ने लोगों से सरकारी नौकरी देने का वादा करते हुए कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद हमारा पहला कदम 30 लाख सरकारी नौकरियां देनी होगी।
इस तरह दोनों बड़े नेताओं ने खुद को आदिवासियों का करीबी और उनका उद्धार करने वाला बताया और एक-दूसरे पर निशाना साधा। दोनों ही नेताओं को और उनकी पार्टियों को आदिवासी बाहुल्य इलाकों में शासन का भरपूर मौका मिल चुका है, लेकिन अब तक आदिवासियों को समझने की कोशिश किसी ने नहीं की। कोई आदिवासी नृत्य महोत्सव के नाम पर इन्हें राजधानियों में नचा लेने में ही आदिवासियों का विकास समझ लेता है, तो कोई नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में इन्हें हथियार देकर सलवाजुडूम जैसे आंदोलन खड़ा करने में। अगर हमें देश के 10 करोड़ आदिवासियों की वाकई चिंता है तो इसके लिए इस समाज को करीब से समझकर नया रोडमैप तैयार करना होगा। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई लोकसभा सीटों के नतीजे आदिवासी मतदाता ही तय करेंगे। इसलिए भी आने वाले दिनों में इनके पक्ष में कई आवाज उठती नजर आएगी।
प्रसंगवश-दुष्यंत कुमार का एक शेर –
न हो क़मीज़ तो पाँव से पेट ढक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफऱ के लिए।।

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