-सुभाष मिश्र
चिलचिलाती गर्मी और भीषण पेयजल संकट के बीच मानसून का जल्दी आना भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है, विशेष रूप से पेयजल संकट और गर्मी से राहत के संदर्भ में। यह जलाशयों को भरने, भूजल स्तर को सुधारने और तापमान को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, इसके लाभों को अधिकतम करने के लिए प्रभावी जल प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण और कृषि योजना आवश्यक है। यदि सरकार और जनता मिलकर इन चुनौतियों का सामना करे तो जल्दी मानसून न केवल राहत देगा, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को भी मजबूत करेगा। ऐसा नहीं है कि हमारे यहां कम वर्षा होती है , पर्याप्त वर्षा के बावजूद जल संरक्षण के पर्याप्त उपाय नहीं होने की वजह से बरसात का पानी नदियों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है। भूजल स्तर बढ़ाने के लिए जो उपाय होने चाहिए, वे समय रहते नहीं होते।
भारत में मानसून का जल्दी आना, विशेष रूप से जून की शुरुआत से पहले, कई स्तरों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। सामान्य रूप से, दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में 1 जून के आसपास प्रवेश करता है, लेकिन 2025 में मौसम विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि यह मई के अंत तक, यानी 29-31 मई के बीच, केरल तट पर पहुँच सकता है। यह जल्दी आने वाला मानसून भारत के पेयजल संकट और गर्मी की तीव्रता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन इसके मायने और प्रभावों को समझना आवश्यक है।
भारत की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि मानसून पर निर्भर है। जल्दी मानसून का मतलब है कि खरीफ फसलों (जैसे धान, मक्का और कपास) की बुआई समय से पहले शुरू हो सकती है, जिससे पैदावार में सुधार की संभावना बढ़ती है। समय पर बारिश मिट्टी की नमी को बढ़ाएगी जो रबी फसलों के लिए भी लाभकारी होगी। हालांकि, अत्यधिक बारिश या बेमौसम बाढ़ फसलों को नुकसान पहुँचा सकती है, विशेष रूप से निचले इलाकों में। इस समय पूरे देश में जगह-जगह खासकर कई हिस्सों, जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में जलाशयों और नदियों का जलस्तर खतरनाक रूप से नीचे चला गया है। जल्दी मानसून इन जलाशयों को भरने में मदद करेगा, जिससे पेयजल की उपलब्धता बढ़ेगी। भूजल स्तर, जो गर्मी में अत्यधिक दोहन के कारण कम हो गया है, में सुधार होगा। शहरी क्षेत्रों जैसे बेंगलुरु और चेन्नई, जहाँ पानी की आपूर्ति संकटग्रस्त है, मानसून राहत प्रदान कर सकता है। मई 2025 में भारत के कई हिस्सों, विशेष रूप से उत्तर-पश्चिम (राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश) और मध्य भारत (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़) में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा है। जल्दी मानसून तापमान को कम करेगा और हीटवेव की तीव्रता को घटाएगा। उच्च आर्द्रता के कारण शुरुआती बारिश के साथ उमस बढ़ सकती है, लेकिन लंबे समय में यह गर्मी से राहत देगा। जल्दी मानसून ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, क्योंकि कृषि आय में वृद्धि से ग्रामीण मांग बढ़ेगी। गर्मी में एयर कंडीशनिंग और पंपों के कारण बढ़ी है, कम होगी, जिससे बिजली संकट में कमी आएगी। हालांकि, जल्दी और अनियमित बारिश शहरी बाढ़ और यातायात अव्यवस्था को बढ़ा सकती है, खासकर मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में।
भारत में पेयजल संकट 2025 में गंभीर रहा है, खासकर शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में। भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में से कई जैसे महाराष्ट्र का जयकवाड़ी और तमिलनाडु का वैगई, सामान्य स्तर से 30-40 प्रतिशत नीचे है। जल्दी बारिश इन जलाशयों को भरने में मदद करेगी, जिससे पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां कुओं और हैंडपंपों पर निर्भरता अधिक है, मानसून भूजल रिचार्ज को बढ़ावा देगा। बेंगलुरु, जहां 50 प्रतिशत से अधिक जल आपूर्ति भूजल पर निर्भर है और चेन्नई, जहां जल टैंकरों पर निर्भरता बढ़ी है, में मानसून तत्काल राहत दे सकता है। हालांकि, दीर्घकालिक समाधान के लिए जल प्रबंधन नीतियों की आवश्यकता होगी। जल्दी मानसून तत्काल राहत देगा, लेकिन यदि बारिश असमान या अपर्याप्त रही तो संकट पूरी तरह हल नहीं होगा। इसके अलावा खराब जल संरक्षण प्रथाएं (जैसे वर्षा जल संचयन की कमी) प्रभाव को सीमित कर सकती है। 2025 की गर्मी ने भारत में हीटवेव की स्थिति को और गंभीर किया है, जिसके कारण स्वास्थ्य और ऊर्जा संकट बढ़ा है।
मानसून की बारिश और बादल छाए रहने से तापमान में 5-10 डिग्री सेल्सियस की कमी आएगी, जिससे हीटवेव के स्वास्थ्य जोखिम (जैसे हीट स्ट्रोक) कम होंगे। गर्मी के कारण एयर कंडीशनिंग और कूलर की मांग ने बिजली ग्रिड पर दबाव डाला है। मानसून इस माँग को कम करेगा, जिससे बिजली कटौती में कमी आएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और दिहाड़ी मजदूर जो गर्मी में काम करने में कठिनाई महसूस करते हैं, को ठंडे मौसम से राहत मिलेगी। शुरुआती मानसून के साथ उच्च आर्द्रता असुविधा पैदा कर सकती है और यदि बारिश भारी हुई तो बाढ़ और जलभराव गर्मी से राहत को प्रभावित कर सकते हैं।
जल्दी मानसून के लाभों को अधिकतम करने और संभावित नुकसानों को कम करने हमें कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है। जल संरक्षण की कड़ी में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य करें विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों और चेक डैम का निर्माण तेज करें। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में जल निकासी प्रणालियों को बेहतर करें ताकि शहरी बाढ़ से बचा जा सके। किसानों को जल्दी बुआई के लिए तैयार करें और बाढ़-प्रतिरोधी बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करें। मानसून से संबंधित बीमारियों (जैसे डेंगू, मलेरिया) की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान और दवाओं का वितरण करें। भारत मौसम विज्ञान विभाग को मानसून की प्रगति और संभावित अनियमितताओं की नियमित जानकारी साझा करनी चाहिए।
प्रसंगवश-क़तील शिफ़ाई का शेर-
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था।।