Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – भारत और विश्व में कोरोना की वापसी-सजगता और सावधानी की आवश्यकता

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

देश के छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मुंबई, दिल्ली सहित बहुत जगहों पर कोरोना ने अपनी दस्तक दे दी है। हाल के महीनों में कोविड-19 ने एक बार फिर भारत और विश्व के कई हिस्सों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। मई 2025 तक भारत में 257 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं, जो मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में केंद्रित हैं। वैश्विक स्तर पर, सिंगापुर, हांगकांग और थाईलैंड जैसे देशों में भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां सिंगापुर में अप्रैल के अंत से मई की शुरुआत तक मामले 11,100 से बढ़कर 14,200 हो गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि नए और संभावित गंभीर वेरिएंट्स के उभरने का खतरा बना हुआ है। इस स्थिति में जनता को सजग रहने और सरकार की कार्रवाईयों को समझने की आवश्यकता है ताकि हम इस चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें।
भारत में कोविड-19 के मामले भले ही कम हों, लेकिन इनकी संख्या में धीमी वृद्धि चिंता का विषय है। 12 मई से 24 मई 2025 के बीच, देश में 350 नए मामले दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकांश हल्के लक्षणों वाले हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद जैसे शहरों में मामलों में उछाल देखा गया है और मुंबई में एक नवजात शिशु के संक्रमित होने की खबर ने लोगों का ध्यान खींचा है। केरल में 12 मई को एक मृत्यु भी दर्ज की गई जो इस बात का संकेत है कि वायरस अभी भी कमजोर वर्गों के लिए खतरा बना हुआ है।
वैश्विक स्तर पर जेएन-1 वेरिएंट के प्रसार ने चिंता बढ़ाई है, हालांकि यह पिछले वेरिएंट्स की तुलना में अधिक घातक नहीं माना जा रहा। सिंगापुर और हांगकांग में मामले बढऩे के बावजूद भारत में स्थिति को स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘नियंत्रण मेंÓ बताया है। फिर भी, यह वायरस मौसमी फ्लू की तरह व्यवहार कर रहा है, जो समय-समय पर उभर सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टेस्टिंग में वृद्धि और वायरस के निरंतर विकास के कारण सतर्कता बरतना अनिवार्य है।
कोविड-19 का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और जनता को जो सावधानियाँ बरतनी चाहिए जिसमें भीड़भाड़ वाले स्थानों, खासकर बंद जगहों जैसे बस, मेट्रो या सिनेमाघरों में मास्क पहनें। एन 95 या सर्जिकल मास्क सबसे प्रभावी है। नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं या सैनिटाइजऱ का उपयोग करें, खासकर सार्वजनिक स्थानों से लौटने के बाद। कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराक और बूस्टर डोज़ लेना सुनिश्चित करें। सरकार ने 15-18 आयु वर्ग के बच्चों और 60+ उम्र के लोगों के लिए बूस्टर डोज़ की व्यवस्था की है। बुखार, खांसी या साँस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट कराएं और आइसोलेट हों। बड़े समारोहों, जैसे शादी या धार्मिक आयोजनों में, यथासंभव दूरी बनाए रखें और हवादार स्थानों को प्राथमिकता दें। बुजुर्गों, बच्चों, और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
ये सावधानियां न केवल कोविड-19, बल्कि अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों से भी बचाव करेंगी। जनता को यह समझना होगा कि ‘दवाई भी, कड़ाई भीÓ का मंत्र अभी भी प्रासंगिक है।
भारत सरकार और राज्य सरकारें करोना स्थिति पर नजर रख रही हैं और कई ज़रूरी कदम उठा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को टेस्टिंग बढ़ाने और जीनोम सीक्वेंसिंग के माध्यम से नए वेरिएंट्स की पहचान करने के निर्देश दिए हंै। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और केरल जैसे प्रभावित राज्यों में निगरानी तेज कर दी गई है। सरकार ने कोविड-19 वैक्सीन की दो खुराकों को अनिवार्य किया है, जो सरकारी और निजी अस्पतालों में उपलब्ध हैं। बूस्टर डोज़ को प्राथमिकता दी जा रही है, खासकर स्वास्थ्य कर्मियों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए। मई 2025 में, सरकार ने नए दिशानिर्देश जारी किए, जिनमें मास्क पहनने, वैक्सीनेशन, और लक्षण दिखने पर आइसोलेशन की सलाह दी गई है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए 19 जुलाई 2023 के दिशानिर्देश अभी भी लागू हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारें सोशल मीडिया, टीवी, और रेडियो के माध्यम से जनता को सावधानी बरतने के लिए प्रेरित कर रही हैं। केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में स्थानीय स्तर पर जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। अस्थायी कोविड अस्पतालों को फिर से सक्रिय करने और ऑक्सीजन व दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तैयारियाँ शुरू हो गई हैं, ताकि 2021 जैसी स्थिति दोबारा न आए।
कोविड-19 की वापसी डराने वाली नहीं है, लेकिन यह एक स्मरण है कि हमें सतर्क रहना होगा। भारत ने 2020-2021 की महामारी से बहुत कुछ सीखा है और हमारा स्वास्थ्य ढांचा पहले से बेहतर तैयार है। फिर भी व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी के बिना यह लड़ाई पूरी नहीं हो सकती। जनता को सावधानी बरतनी होगी और सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग और वैक्सीनेशन को और तेज करना होगा। यह समय है एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करने का ताकि हम न केवल कोविड-19, बल्कि भविष्य की किसी भी स्वास्थ्य आपदा के लिए तैयार रहें।

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