-सुभाष मिश्र
कहा जाता है कि जब दो लोग, मुल्क लड़ते हैं तो तीसरे का फ़ायदा होता है। भारत-पाक युद्ध के बीच सरपंच बनने वाले अमेरिका का फ़ायदा होते दिखता है। इस समय उसके दोनों हाथों में लड्डू है। यह भी कहा जाता है कि युद्ध से किसी का फ़ायदा नहीं होता पर बात जब देश की अस्मिता और सुरक्षा पर आ जाये तो नहीं चाहते हुए भी युद्ध में जाना होता है। भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई 2025 को घोषित युद्धविराम (सीजफायर) के बावजूद, पाकिस्तान द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, पंजाब और गुजरात में ड्रोन हमले और गोलीबारी की घटनाएं सामने आई है। यह युद्धविराम महज चार घंटे में टूट गया, जिससे क्षेत्रीय तनाव फिर से बढ़ गया है। लोग पूछ रहे हैं कि ये कैसा सीजफॉयर है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लगभग आधी रात को पॉकिस्तान की जनता को संबोधित करते हुए सेना अध्यक्ष मुनीर और सैनिकों को जीत की बधाई देते हैं। एक तरफ़ वे चीन, तुर्की सहित अपने मित्र राष्ट्रों को संकट की घड़ी में मदद के लिए धन्यवाद देते हैं वहीं पाकिस्तान की आवाम के बीच जश्न मनता है। हम सीजफॉयर के बीच हो रहे हमलों को नाकाम करने में लग जाते हैं। ये सही है कि युद्ध कभी भी अच्छा नहीं होता किंतु जनभावना कहती है कि हमें इतनी जल्दी अमेरिका की शरण में जाकर युद्ध विराम नहीं करना था।
वर्तमान में किया गया युद्धविराम अस्थिर है इसका कोई लिखित दस्तावेज नहीं है। जब हम कहते हैं कि भारत में हुई कोई भी आतंकवादी हमले को हम युद्ध मानेंगे फिर सीजफॉयर के बाद हुए हमले को हम क्या मानें? पाकिस्तान के उल्लंघन ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। भारत अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत के साथ सख्त रुख बनाए हुए है, जबकि पाकिस्तान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव में है। 12 मई की बैठक और अगले कुछ दिनों में दोनों देशों की कार्रवाइयां यह तय करेंगी कि क्या शांति की संभावना बनेगी या तनाव और बढ़ेगा। क्षेत्रीय स्थिरता के लिए दोनों देशों को संयम और बातचीत पर ध्यान देना होगा, लेकिन आतंकवाद और सीमा उल्लंघन जैसे मुद्दे इसे चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। सीजफ़़ायर मिट्टी में मिला देने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने की थी, लेकिन किस बात को लेकर सीजफ़़ायर हुई है? क्यों भारत पाकिस्तान से बातचीत के लिए तैयार हुआ है? यह बातचीत किन मुद्दों पर होगी? देश की जनता को बताना होगा कि अमेरिका ने पहले इसकी घोषणा क्यों की? अमेरिका तो यही दावा कर रहा है कि उसने दोनों देशों से बात कर सीजफ़़ायर कराया। युद्ध न हो,यह सबके हित में है लेकिन जिस वक्त पाकिस्तान भारत के कई शहरों पर हमला कर रहा हो, उसी दिन सीजफ़़ायर की घोषणा होती है कई सवाल है। इस सीजफ़़ायर से भारत को क्या मिला, पाकिस्तान को क्या मिला और मिला तो क्यों मिला?
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पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध में सरकार का कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने वाली कांग्रेस और बाक़ी दल भी अब सवाल पूछ रहे हैं कि जब भारत के नागरिकों को अमेरिका के राष्ट्रपति बता रहे हैं कि सीजफायर हो चुका है, तब देशवासियों की पीड़ा को सामने रखते हुए जनभावना का सम्मान करते हुए कुछ जायज मुद्दों पर तुरंत बात करना जरूरी हो गया है। इसलिए कांग्रेस पार्टी यह मांग करती है कि इन मुद्दों पर स्पष्टता के लिए सरकार की ओर से तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और जल्दी से जल्दी संसद का विशेष सत्र आहूत किया जाए। ताकि देश और देशवासियों को मालूम हो सके कि पहलगाम के आतंकी हमले से लेकर अब तक इस पूरे घटनाक्रम में क्या-क्या हुआ? देश की उपलब्धि क्या रही और देश को क्या नुकसान झेलना पड़ा या क्या समझौता करना पड़ा? अब आतंकी हमले में शहीद हुए देशवासियों के परिजनों को न्याय कैसे और कब मिलेगा?
पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हुए आम लोगों और वीर सैनिकों के परिजनों के लिए क्या व्यवस्था होगी? कई जायज मुद्दे हैं, जिसके बारे में देश और देशवासियों को स्पष्टता से बताना जरूरी है, क्योंकि यह आतंकी हमला देश और देशवासियों के स्वाभिमान पर गहरी चोट थी।
पिछले 24 घंटों में पूरा घटनाक्रम बहुत तेजी से बदला है। हम सभी को आश्चर्य हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति ने की।
यह शायद पहली बार हुआ है, जब सीजफायर की घोषणा सोशल मीडिया के ज़रिए अमेरिका के राष्ट्रपति करते हैं। लोगों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो मसला है, उसका अंतरराष्ट्रीयकरण करना बेहद आश्चर्यजनक है।
भारत ने युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा था! भारत सीजफायर के लिए आगे आया था। जवाबी हमले में पाकिस्तान ने भारत में सैन्य हवाई अड्डों पर गोली चलाई है। शायद इसी वजह से पाकिस्तान वाले जीत का जश्न मना रहे हैं। लोग जानना चाह रहे हैं आगे क्या हो रहा है ?
यदि हम वर्तमान स्थिति का आकलन करें तो पाते हैं कि सीजफॉयर के बावजूद पाकिस्तान ने उल्लंघन करते हुए बहुत ही ग़ैरजि़म्मेदाराना रवैय्या अपनाया । पाकिस्तान ने श्रीनगर सहित कई सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी और ड्रोन हमले किए। भारतीय सेना ने इन हमलों को नाकाम कर दिया और किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे युद्धविराम का घोर उल्लंघन करार दिया और कहा कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने युद्धविराम की घोषणा को अपनी मध्यस्थता का परिणाम बताया और इसे ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने दोनों देशों के नेतृत्व की तारीफ की और कश्मीर मुद्दे के दीर्घकालिक समाधान की बात कही। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम की पहल पाकिस्तान के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री आपरेशन्स) ने की थी और इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं थी। ट्रम्प की घोषणा के बाद पाकिस्तान के हमलों ने अमेरिका की कूटनीतिक विश्वसनीयता को झटका दिया। यदि इस मसले पर पाकिस्तान के रूख की बात की जाये तो पाकिस्तान का रुख संदेहास्पद रहा है। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने युद्धविराम की पुष्टि की और इसे अपनी संप्रभुता से समझौता किए बिना शांति की दिशा में कदम बताया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने चीन सहित अन्य मित्र देशों को धन्यवाद दिया, जिससे यह संकेत मिलता है कि चीन ने पर्दे के पीछे कूटनीतिक भूमिका निभाई होगी। हालांकि, इस दावे का कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे उलट भारत ने युद्धविराम को अपनी शर्तों पर लागू करने की बात कही और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रवैया बनाए रखा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि 12 मई को दोनों देशों के अधिकारी आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम की पहल की। भारत ने यह भी चेतावनी दी कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला युद्ध के रूप में माना जाएगा। भारत में सीजफायर और उसके बाद पाकिस्तान के रवैये और गतिविधियों को लेकर जनता की प्रतिक्रिया मिश्रित आ रही है। भारत में कुछ लोग इसे कूटनीतिक हार के रूप में देख रहे हैं क्योंकि युद्धविराम के बावजूद पाकिस्तान की आक्रामकता जारी है। दूसरी ओर, कुछ इसे तनाव कम करने का अवसर मानते हैं। वहींं पाकिस्तान में जनता और मीडिया इसे जीत के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, खासकर क्योंकि युद्धविराम की पहल उनकी ओर से मानी जा रही है।
अगर हम आगे की बात करें तो आगे क्या क्या हो सकता है इसे भी समझना ज़रूरी है। दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ सकता है, पाकिस्तान के बार-बार युद्धविराम उल्लंघन से स्थिति फिर से बिगड़ सकती है। भारत ने पहले ही सख्त जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। यदि पाकिस्तान ड्रोन हमले या गोलीबारी जारी रखता है तो भारत बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में देखा गया। कूटनीतिक प्रयासों की बात की जाये तो 12 मई को दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक महत्वपूर्ण होगी। जो यह तय करेगी कि युद्धविराम को स्थायी रूप से लागू किया जा सकता है या नहीं। अमेरिका और अन्य देश (जैसे चीन) पर्दे के पीछे मध्यस्थता की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और वह तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में चीन खुलकर पाकिस्तान की वकालत करता दिखता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा चीन को धन्यवाद देना इस बात का संकेत हो सकता है कि चीन ने कूटनीतिक दबाव डाला। चीन, जो पाकिस्तान का रणनीतिक साझेदार है, क्षेत्र में अस्थिरता से बचना चाहेगा, क्योंकि यह उसके आर्थिक हितों (जैसे सीपीईसी) को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, भारत-चीन संबंधों में तनाव (1962 युद्ध और हाल की गलवान झड़पों के संदर्भ में) के कारण भारत चीन की मध्यस्थता पर भरोसा नहीं करेगा। वैश्विक प्रभावों को देखते हुए अमेरिका के आर्थिक हित जैसे व्यापार और तेल की कीमतों की स्थिरता, इस क्षेत्र में शांति से जुड़े हैं। इसलिए ट्रम्प प्रशासन दबाव बनाए रख सकता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संगठन भी दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर सकते हैं, जैसा कि पहले देखा गया है।