कोरिया। पिछले 20 दिनों से धरने पर बैठे पंचायत विभाग के सचिवों का आंदोलन अब उग्र रूप लेता जा रहा है। संघ के पदाधिकारियों के अनुसार, प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया है, जिसके कारण सचिवों ने धरना स्थल से उठकर कलेक्टर कार्यालय की ओर मार्च करने का निर्णय लिया। सचिवों की मुख्य मांग है कि उन्हें शासकीयकरण का दर्जा दिया जाए। विधानसभा चुनाव के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचायत सचिवों के शासकीयकरण का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। पिछले डेढ़ साल से भाजपा की विष्णु देव साय सरकार ने कई वादे पूरे किए हैं, लेकिन सचिवों के मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।
आज बैकुंठपुर प्रेमाबाग धरना स्थल से सचिवों की भीड़ ने कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ना शुरू किया। हालांकि, जिला प्रशासन और पुलिस बल ने उन्हें संजयनगर के पास रोक दिया। अपर कलेक्टर ने बीच सड़क पर सचिवों से उनकी मांगों का आवेदन लिया और समझा-बुझाकर उन्हें वापस लौटने के लिए कहा। इस दौरान, मुख्य मार्ग पर लगभग 5 मिनट तक आवागमन प्रभावित रहा।यदि सरकार ने जल्द ही सचिवों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। संघ ने स्पष्ट किया है कि उनकी एकमात्र मांग है कि सरकार उनके शासकीयकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए।
सचिवों का यह आंदोलन न केवल उनकी मांगों के लिए है, बल्कि यह सरकार के प्रति एक चेतावनी भी है कि यदि उनकी आवाज़ को अनसुना किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पंचायत कार्यालयों के कार्य भी इस हड़ताल से प्रभावित हो रहे हैं, और यह देखना होगा कि सरकार इस स्थिति का समाधान कब तक निकाल पाती है।
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