Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – युद्ध के परिणाम दिखने लगे

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

आज के समय में युद्ध के हालात कोई नहीं चाहता है लेकिन पाकिस्तान एक लंबे समय से भारत में आतंकवादी गतिविधियों को न केवल बढ़ावा दे रहा था बल्कि खुद संचालित भी कर रहा था और उनकी सेना भी उसमें शामिल थी। भारत ने जो जवाब दिया है, जो सैन्य कार्रवाई की है,वह कोई भी स्वाभिमानी देश करता। भारत का यह जवाबी हमला एक स्वाभिमानी देश का जवाबी हमला है। इससे भारत की शक्ति, स्वाभिमान और निर्णय क्षमता का पता चलता है और विश्व स्तर पर भी भारत की कार्यवाही को बहुत समर्थन मिल रहा है। चीन जैसे लोभी और अवसरवादी देश को छोड़ दिया जाए तो विश्व के अनेक देशों ने भारत की कार्रवाई को उचित बताया है लेकिन यह भी सच है कि युद्ध के परिणाम कभी अच्छे नहीं होते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच उत्पन्न युद्ध जैसे हालात के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। सुरक्षा के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार, पर्यटन, जरूरी यात्राएं और खेलकूद की गतिविधियां प्रभावित हुई है। संभावित युद्ध के कारण खेती-बाड़ी, आजीविका और लोगों के सामान्य जनजीवन भी प्रभावित हुए हैं। भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय क्रिकेट का आईपीएल मैच भी एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है। क्रिकेट टीम का भविष्य में होने वाला बांग्लादेश का दौरा भी खटाई में है वहीं सितंबर में होने वाला एशिया कप भी ख़तरे में है।
भारत-पाकिस्तान के बीच 23 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुए तनाव से कई तात्कालिक और दूरगामी परिणाम दिखाई दे रहे हैं। इस संभावित युद्ध का प्रभाव सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों, और खेल गतिविधियों में विशेष रूप से क्रिकेट जैसे खेलों पर पड़ रहा है। पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सशस्त्र झड़पें शुरू हो गईं। भारत ने पाकिस्तान के गैर-सैन्य आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें 90 आतंकवादियों की मौत की खबर है। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसमें भारतीय ड्रोन को मार गिराने और हवाई व जमीनी ऑपरेशन शामिल है। जम्मू और कश्मीर में हवाई सायरन, बिजली कटौती और बाजारों का बंद होना देखा गया। पूंछ और सुरनकोट जैसे क्षेत्रों में लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों ने जम्मू और कश्मीर के लिए यात्रा न करें की चेतावनी जारी की है।
भारत ने पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया, अपनी उच्चायोग की संख्या घटाई और वीजा सेवाएं निलंबित कर दी। पाकिस्तान ने भी भारतीय हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाया और व्यापार निलंबित किया। भारत ने महत्वपूर्ण जल-साझा संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जिसे पाकिस्तान ने युद्ध की कार्रवाई करार दिया। भारत ने उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में 27 हवाई अड्डे बंद किए, जिससे 430 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं। पाकिस्तान ने कराची, लाहौर और सियालकोट हवाई अड्डों से उड़ानें निलंबित कीं। अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस ने दोनों देशों के हवाई क्षेत्र से बचने के लिए मार्ग बदले। आईपीएल पंजाब किंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच 11 मई को धर्मशाला में होने वाला मैच सुरक्षा कारणों से अहमदाबाद स्थानांतरित कर दिया गया। धर्मशाला में पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स का एक अन्य मैच 10 ओवर बाद रद्द कर दिया गया। पाकिस्तान सुपर लीग के कुछ मैच जैसे पेशावर जाल्मी और कराची किंग्स के बीच का खेल, रावलपिंडी स्टेडियम में ड्रोन गिरने के बाद स्थगित कर दिया गया। हालांकि, पीसीबी ने घोषणा की कि पीएसएल जारी रहेगा, जिसमें इस्लामाबाद यूनाइटेड और क्वेटा ग्लैडिएटर्स का मैच निर्धारित समय पर हुआ। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) अपने खिलाडिय़ों, नाहिद राणा और रिशाद हुसैन की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जो पीएसएल में खेल रहे हैं। बीसीबी उनके सुरक्षित निकास की योजना बना रहा है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय सीरीज पर भी संदेह है। भारत का अगस्त में बांग्लादेश दौरा, जिसमें तीन वनडे और तीन टी20 शामिल है, सुरक्षा और कूटनीतिक तनाव के कारण रद्द होने की संभावना है। सितंबर में प्रस्तावित एशिया कप 2025 जो एक तटस्थ स्थान पर होना था, रद्द होने के कगार पर है। भारत की भागीदारी अनिश्चित है और पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान मैच के बिना इस टूर्नामेंट का महत्व कम हो सकता है। दर्शक संख्या कम होने पर आयोजकों पर आर्थिक हानि का भार भी आएगा। भारत-पाकिस्तान युद्ध से आर्थिक प्रभाव भी वैश्विक व्यापार के रूप में दिखाई दे रहा है। भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैचों ने पिछले दो दशकों में 10,000 करोड़ रुपये की आय उत्पन्न की है। इनके रद्द होने से विज्ञापन और प्रसारण राजस्व पर असर पड़ेगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव (विशेष रूप से 23 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद के सैन्य अभियानों) के कारण सीमावर्ती राज्यों और गांवों में कई सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे राज्यों—जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, और गुजरात—के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से युद्ध के दौरान दुश्मन को स्थान का अंदाजा न हो, इसलिए घोषित ब्लैकआउट लागू किए गए हैं। पूंछ और सुरनकोट जैसे क्षेत्रों में बिजली कटौती की खबरें हैं, जिससे दैनिक जीवन, प्रभावित हुआ है। परिवहन और आवागमन की सुविधाओं को भी संभावित युद्ध की स्थितियों को देखते हुए कम और सीमित किया गया है । सीमावर्ती राज्यों में हवाई यात्रा पूरी तरह ठप हो गई है। इसी तरह राजस्थान और पंजाब में रेल सेवाएं प्रभावित हुई हैं, और कई ट्रेनें रद्द या देरी से चल रही हैं। सड़कों पर सुरक्षा जांच बढऩे से स्थानीय आवागमन बाधित हुआ है। पाकिस्तान के सीमावर्ती गांवों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए विशेष बसें और वाहन तैनात किए गए हैं, जिससे सामान्य सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुआ है।
नागरिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर शिक्षा संस्थानों को जिनमें स्कूल और कॉलेज शामिल हैं बंद किया गया है। जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों, जैसे पूंछ, राजौरी, और कठुआ में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। सुरक्षा कारणों से बच्चों को स्कूल न भेजने की सलाह दी गई है और कई परिवार अपने बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। युद्ध का असर बाजार और व्यापार पर भी पड़ा है । सीमावर्ती गांवों में बाजार बंद है और दैनिक जरूरतों की वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हुई है। स्थानीय दुकानें जैसे जम्मू और कश्मीर के एक गांव में दुकान, गोलीबारी में क्षतिग्रस्त हो गई है जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हुआ है। सीमावर्ती क्षेत्रों में अस्पतालों और क्लीनिकों तक पहुंच सीमित हो गई है, क्योंकि लोग सुरक्षा कारणों से घरों से बाहर नहीं निकल रहे। अनेक राज्यों में मरीजों के लिए आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुई है और कई स्वास्थ्य कर्मियों को सैन्य अभियानों के लिए तैनात किया गया है। सुरक्षा कारणों से संचार सेवाएं भी सीमित की गई है। कुछ क्षेत्रों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित या सीमित कर दी गई है ताकि संवेदनशील जानकारी लीक न हो। इससे स्थानीय लोग अपने परिवारों से संपर्क करने में असमर्थ हैं। युद्ध का असर कृषि और आजीविका पर भी देखा जा रहा है। सीमावर्ती गांवों में किसान अपनी फसल काटने में असमर्थ है क्योंकि गोलीबारी और सैन्य गतिविधियों के कारण खेतों तक पहुंचना खतरनाक हो गया है। बाड़मेर (राजस्थान) जैसे क्षेत्रों में ग्रामीणों को खेती छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हुई है।
यदि हम भारत रॉक युद्ध से प्रभावित गांवों और क्षेत्रों की बात करें तो जम्मू और कश्मीर के नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास सैकड़ों गांव प्रभावित हुए हैं। राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर जिलों, पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर और फिरोजपुर जिलों और गुजरात के कच्छ और बनासकांठा जिलों में भी दर्जनों गांव प्रभावित है। अनुमान के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में एलओसी के 10 किमी दायरे में 500 से अधिक गांव और राजस्थान, पंजाब, और गुजरात में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 200-300 गांव प्रभावित हो सकते हैं। युद्ध प्रभावित क्षेत्र में जम्मू और कश्मीर के पूंछ, राजौरी, कठुआ, सांबा, और जम्मू जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में गोलीबारी, ड्रोन हमले, और सैन्य अभियान के कारण सामान्य जीवन ठप है। राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर के सीमावर्ती गांवों में आपातकाल जैसी स्थिति है। पंजाब के अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर के गांवों में ब्लैकआउट और सैन्य गतिविधियों के कारण सामान्य जनजीवन बाधित हुआ है। गुजरात के कच्छ के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों के कारण दैनिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।
भारत सरकार और राज्य सरकारें नागरिकों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठा रही है, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में स्थिति की समीक्षा की और जिला आयुक्तों को कमजोर क्षेत्रों के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। बाड़मेर (राजस्थान) में बीएसएफ और पुलिस ने ग्रामीणों को गांव खाली करने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं, जिसमें बुजुर्गों, बच्चों, और दिव्यांगों को प्राथमिकता दी जा रही है। परिवारों ने स्वयं भी महिलाओं, बच्चों, और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना शुरू कर दिया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है। सीमा सुरक्षा बल और सेना की तैनाती बढ़ाई गई है। बीएसएफ की 193 बटालियनों (लगभग 193,000 जवान) को सीमा पर तैनात किया गया है, और हाल ही में 16 नई बटालियनों (17,000 जवान) को मंजूरी दी गई है। सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन निगरानी, नाइट विजन डिवाइस, और थर्मल इमेजर जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। आपातकालीन सेवाओं को मज़बूत किया गया है। आपातकालीन स्थिति में नागरिकों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बढ़ाया गया है। सेना और अर्धसैनिक बलों को नागरिकों को सुरक्षित निकालने और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए तैनात किया गया है। गृह मंत्रालय की सीमा अवसंरचना और प्रबंधन योजना के तहत 13,020 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिसमें सीमा पर बाड़, सड़कें, फ्लडलाइट और बॉर्डर आउट पोस्ट का निर्माण शामिल है। यह योजना सुरक्षा को मजबूत करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग को कमजोर करेगा, जिससे सार्क जैसे संगठन प्रभावित होंगे। दूरगामी परिणामों में परमाणु युद्ध का जोखिम, आर्थिक अस्थिरता और क्षेत्रीय सहयोग में कमी शामिल है। दोनों देशों को तनाव कम करने और बातचीत के रास्ते अपनाने की जरूरत है ताकि विनाशकारी परिणामों से बचा जा सके।
भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण सीमावर्ती राज्यों (जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात) के सैकड़ों गांव प्रभावित हुए हैं, जहां बिजली, परिवहन, शिक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, संचार और कृषि जैसी सेवाएं बाधित हैं। अनुमानित 700-800 गांव युद्ध जैसे हालात से प्रभावित हैं, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में। सरकार ने मॉक ड्रिल, बंकर निर्माण, नागरिक स्थानांतरण, और सुरक्षा बलों की तैनाती जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन बंकरों की कमी और धीमी प्रगति जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार को अवसंरचना विकास और नागरिक सुरक्षा उपायों को और तेज करना होगा।

Related News