उत्तराखंड। चमोली में हिमस्खलन की चपेट में आए 14 औऱ मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। इस हादसे में कुल 55 मजदूर बर्फ में लापता हो गए थे। इनमें से 47 मजदूरों का रेस्क्यू किया जा चुका है। आठ मजदूर अभी भी बर्फ में फंसे हुए हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है और बचे हुए मजदूरों की तलाश की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि बचावकर्मियों ने उत्तराखंड के चमोली जिले के ऊंचाई वाले माना गांव में बीआरओ शिविर पर जमी बर्फ से 14 और मजदूरों को बाहर निकाला है। शनिवार को हिमस्खलन स्थल पर तलाशी अभियान फिर से शुरू किया गया। आठ मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं।
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14 मजदूरों को निकालने के साथ ही, शुक्रवार सुबह माना और बद्रीनाथ के बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) शिविर पर हुए हिमस्खलन में फंसे 55 मजदूरों में से 47 को बचा लिया गया है। शुक्रवार रात तक 33 को बचा लिया गया था। शुक्रवार को बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हुई और रात होने के कारण अभियान स्थगित कर दिया गया। शनिवार को मौसम साफ होने पर हेलीकॉप्टर अभियान में शामिल हो गए।
24 घंटे से ज्यादा समय से फंसे मजदूर
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जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने बताया कि माना में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने सुबह बचाव अभियान फिर से शुरू किया। अधिकारियों के अनुसार, बचाव दल ने 14 और मजदूरों को बर्फ से बाहर निकाला, जबकि शेष आठ की तलाश जारी है, जो 24 घंटे से अधिक समय से फंसे हुए हैं। चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने बताया कि शुक्रवार को गंभीर हालत में बचाए गए तीन मजदूरों को माना स्थित आईटीबीपी अस्पताल में उपचार के लिए एयरलिफ्ट किया गया, जिन्हें ज्योतिर्मठ सेना अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि साफ मौसम के कारण बचाव अभियान में तेजी आएगी।”
चमोली का दौरा कर सकते हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भी हिमस्खलन स्थल का दौरा करने की संभावना है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी सूची के अनुसार, फंसे हुए मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों के हैं। सूची में 10 मजदूरों के नाम हैं, लेकिन उनके राज्यों का नाम नहीं बताया गया है। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने शुक्रवार को बताया कि बचाव अभियान में 65 से अधिक कर्मी लगे हुए हैं। बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर दूर 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माणा भारत-तिब्बत सीमा पर अंतिम गांव है।