-सुभाष मिश्र
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ समय से कई घोटालों की चर्चा है, जिनमें शराब घोटाला प्रमुख है। हाल ही में, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया है। लखमा का कहना है कि वह पढ़े-लिखे नहीं हैं और अधिकारियों के कहने पर उन्होंने हस्ताक्षर किए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों ने उनसे हस्ताक्षर कराए, वे अब जेल में हैं। सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी हाथ है, क्योंकि लखमा के हस्ताक्षर के बाद भूपेश बघेल के हस्ताक्षर भी मिले हैं। अब बीजेपी इस मामले में भूपेश बघेल को भी घेरने की मांग कर रही है।
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं और मामला अब तक ठंडा नहीं पड़ा है। हाल ही में जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि यह मामला अब और भी आगे रंग लाएगा। अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है। ईडी द्वारा प्रस्तुत नई चार्टशीट में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ का नाम सामने आया है। यह देखना होगा कि अब तक जिन व्यक्तियों के खिलाफ ईडी ने चालान पेश किया है और जिनकी गिरफ्तारी हुई है, उनके नाम की सूची में और कौन-कौन से नाम जुड़ते हैं। इस मामले में नए सप्लीमेंट के रूप में क्या नाम सामने आते हैं, इसका भी इंतजार किया जा रहा है।
कहा जाता है कि शराब चीज ही ऐसी है ना छोड़ी जाये। अब चाहे इसे पीने वाले हों या पिलाने वाले। नशा शराब का भी होता है और इससे हासिल हो रही बेतहाशा अवैध कमाई का। दस से अधिक राज्यों में पिछले दो दशक में एक से बढ़कर एक शराब घोटाले हुए हैं।
फिऱाक़ गोरखपुरी का एक शेर है –
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में फिऱाक़
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए।।
ईडी की कार्यवाही से छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच एक बड़े शराब घोटाले का पर्दाफाश हुआ, जिससे राज्य के खजाने को लगभग 2,161 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। घोटाले में नकली और फर्जी होलोग्राम लगाकर शराब की अवैध बिक्री की गई और एक संगठित सिंडिकेट के माध्यम से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया। आरोप है कि असली होलोग्राम के साथ नकली होलोग्राम छापकर उन्हें शराब की बोतलों पर लगाया गया।
वरिष्ठ नौकरशाह, राजनेता, उनके सहयोगी और आबकारी विभाग के अधिकारी ने आपस में मिलकर सिंडिकेट बनाया। ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की और कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी शामिल हैं। लखमा को 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 21 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेजा गया। ईडी ने 10,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें 200 पृष्ठों का आरोप पत्र भी शामिल है। बहुत सारे आरोपियों में मुख्य आरोपी अनवर ढेबर को बताया गया। अनवर रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई हैं जिन्हें घोटाले का मुख्य संचालक माना गया है। दूसरा नाम अरुणपति त्रिपाठी का है जो उस समय छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के होलसोल थे। पूर्व आबकारी मंत्री, कवासी लखमा जिन पर घोटाले में शामिल होने का आरोप है। जिन्हें ईडी ने हिरासत में लिया है। ईडी का कहना है कि इस दो हज़ार करोड़ से अधिक के घोटाले में जो कार्यप्रणाली अपनाई गई उसमें डिस्टलरी संचालकों से कमीशन 2019 में प्रति पेटी 75 रुपये और बाद में प्रति पेटी 100 रुपये कमीशन लिया गया।
नकली होलोग्राम का उपयोग करके होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता के माध्यम से नकली होलोग्राम तैयार किए गए और अवैध शराब की बिक्री की गई। नई नीतियों के तहत शराब की कीमतों में वृद्धि की गई और डिस्टलरी संचालकों को ओवर-बिलिंग करने की अनुमति दी गई। ईडी के अनुसार घोटाला तीन तीन भाग में बंटा हुआ था। भाग एक के अनुसार सीएसएमसीएल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी पसंदीदा डिस्टलरी की शराब को परमिट किया और शराब सप्लायर से रिश्वत लेकर यह राशि अनवर ढेबर को सौंपी। भाग दो के अनुसार नकली होलोग्राम के जरिए अवैध शराब को सरकारी दुकानों में बेचा गया, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व हानि हुई। भाग तीन के अनुसार शराब डिस्टलर और ट्रांसपोर्टरों से एनुअल कमीशन लिया गया, और केवल तीन ग्रुप्स (केडिया ग्रुप, भाटिया ग्रुप, वेलकम ग्रुप) को शराब वितरण का मौका दिया गया।
वैसे तो करने को शराब बंदी की बातें हर सरकार, पार्टी करती है किन्तु इससे प्राप्त होने वाली दोनों तरह की कमाई को देखते हुए शराब बंदी नहीं हो पाती। भाजपा कांग्रेस दोनों के अपने-अपने तर्क हैं। हकीकत ये है कि शराब बिक्री से राज्यों को उनके राजस्व का 20-20 प्रतिशत तक मिलता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान, 29 राज्यों और दिल्ली तथा पुदुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों ने शराब पर राज्य द्वारा लगाए गए उत्पाद शुल्क से संयुक्त रूप से लगभग 1,75,501.42 करोड़ का अनुमानित बजट रखा था। जो कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान एकत्र किए गए 1,50,657.95 करोड़ से 16 प्रतिशत अधिक है। यदि हम शराब बिक्री से अधिक राजस्व प्राप्त करने वाले राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश के वित्तीय वर्ष 2020-21 एक्साइज रेवेन्यू 31,517 करोड़ रहा, जो राज्य के कुल राजस्व का 21.8 प्रतिशत था। वर्ष 2022 (जुलाई तक) शराब की बिक्री से राज्य को 12,087 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। कर्नाटक के वित्तीय वर्ष 2020-21 एक्साइज रेवेन्यू 20,950 करोड़ रहा, जो राज्य के कुल राजस्व का 20.6 प्रतिशत था। महाराष्ट्र के वित्तीय वर्ष 2020-21-एक्साइज रेवेन्यू 17,477 करोड़ रहा। पश्चिम बंगाल वित्तीय वर्ष 2018-19- शराब पर उत्पाद शुल्क से 10,554.36 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। तेलंगाना को वित्तीय वर्ष 2018-19-शराब पर उत्पाद शुल्क से 10,313.68 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। तमिलनाडु को वित्तीय वर्ष 2020-21- एक्साइज रेवेन्यू 7,262.30 करोड़ रहा। मध्य प्रदेश को वित्तीय वर्ष 2020-21- शराब पर टैक्स से 11,873 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ।
राजस्व प्राप्ति के इस बड़े माध्यम में घपले घोटाले भी खूब हुए। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (2019-2022), तमिलनाडु टीएएसएमएसी घोटाला (2017),बिहार शराब घोटाला (2016),हरियाणा शराब घोटाला (2020), दिल्ली आबकारी नीति घोटाला (2021), गुजरात नकली शराब कांड (2022),महाराष्ट्र शराब माफिया घोटाला (2009), उत्तर प्रदेश जहरीली शराब कांड (2019) में शराब घोटाला हुआ।
शराब घोटाले को लेकर हो रही कार्रवाई पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध बताया और कहा कि कांग्रेस पार्टी लखमा के साथ खड़ी है। वहीं इस मामले में हिरासत में गये कवासी लखमा का कहना है की मेरे पास से एक भी रुपया नहीं पकड़ा गया। शाह, मोदी और बीजेपी सरकार ने फर्जी मामला बनाकर मुझे परेशान किया है। वहीं 2023 में, ईडी ने छापेमारी की और घोटाले का खुलासा किया। सरकारी दुकानों में शराब बिक्री की कमाई को छुपाने के लिए अलग-अलग गल्ले रखे गए थे। 40 लाख पेटी से ज्यादा शराब नकली होलोग्राम से बेची गई थी। राज्य सरकार को 2,161 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सिंडिकेट के सदस्यों ने 1,660 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की। ईडी ने कोर्ट में आरोप लगाया कि लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपये कमीशन मिलता था। अदालत ने लखमा को 21 जनवरी तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया है । यह मामला अभी यहीं तक रूकने वाला नहीं है। ईडी की चार्जशीट बता रही है की अभी बहुतों को नापने की तैयारी है।
प्रसंगवश-
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएं रात हो गई।।