-सुभाष मिश्र
एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू…हिंदी फिल्म ओम शांति ओम का एक लोकप्रिय डायलॉग है, जिन विवाहिताओं के सिंदूर आतंकवादियों ने उजाड़े उन्हें अब पता चला कि सिंदूर की क़ीमत क्या होती है। ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर लक्षित सैन्य कार्रवाई की। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। हमले में आतंकियों ने मुख्य रूप से हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया, जिससे कई महिलाएं विधवा हुईं। इस ऑपरेशन का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंदूर रखा जो भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के सुहाग का प्रतीक है, यह दर्शाते हुए कि कार्रवाई उन महिलाओं के सम्मान और आतंकियों को जवाब देने के लिए थी। इस हमले का उद्देश्य आतंकी ढांचे पर प्रहार था। भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना के संयुक्त अभियान में बहावलपुर, कोटली, मुजफ्फराबाद, मुरीदके, बाग, गुलपुर, भिंबर, चाक अमरू और सियालकोट में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के मुख्यालय, प्रशिक्षण शिविर और अन्य सुविधाएं नष्ट की गईं। अनुमानित 90-100 से अधिक आतंकी मारे गए। पाकिस्तान अब इन्हें मस्जिदों पर हमला बता रहा है। जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने कहा है कि सुभान अल्लाह मस्जिद पर किए गए हमले में उसके परिवार के 10 सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए हैं। मसूद अजहर ने बयान जारी कर कहा, मेरे परिवार के लोगों को जन्नत नसीब होगी। मैं भी मर जाता तो अच्छा होता। अजहर ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। कहा कि अत्याचार ने सभी नियम तोड़ दिए, अब किसी को दया की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
यह कार्रवाई न केवल पहलगाम हमले का बदला थी, बल्कि 26/11 मुंबई हमले, उरी हमले (2016) और पुलवामा हमले (2019) जैसे पुराने आतंकी हमलों का हिसाब चुकाने का भी प्रयास था। अगर हम कहें कि यह भारत की जनभावनाओं का प्रकटीकरण है तो यह गलत नहीं होगा। इस ऑपरेशन ने भारत में राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना को बढ़ाया। स्थानीय निवासियों और राजनेताओं ने इसे नए भारत की ताकत का प्रतीक बताया, जो आतंकवाद के खिलाफ चुप नहीं रहता। देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ की सभी राजनीतिक दलों ने आलोचना की। कांग्रेस, बीजेपी और अन्य दलों ने एकजुट होकर सेना की कार्रवाई का समर्थन किया। आपरेशन के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि हम सरकार और सेना के साथ हैं। जिससे राजनीतिक एकता प्रदर्शित हुई। पहलगाम की घटना के बाद भारत की प्रतिक्रिया से पाकिस्तान में आपातकाल जैसे हालात बने, पंजाब प्रांत में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए और नागरिकों में दहशत फैली। लोग ऑपरेशन सिंदूर और सिंदूर के अर्थ को गूगल पर खोजने लगे। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था जो पहले से ही कर्ज और महंगाई से जूझ रही थी, को भारत के पहले के आर्थिक प्रतिबंधों (पाकिस्तान से आयात पर रोक, 3 मई 2025) और इस सैन्य कार्रवाई से और झटका लगा। पाकिस्तानी सेना और सरकार पर आंतरिक दबाव बढ़ा, क्योंकि नागरिकों और मीडिया ने सवाल उठाए कि इतने बड़े हमले को क्यों नहीं रोका गया। भारत की सैन्य रणनीति बहुत ही सटीक और सीमित कार्रवाई की थी ताकि पूरी दुनिया में यह संदेश जाए की भारत पाकिस्तान से युद्ध नहीं चाहता। वह आतंकवादी गतिविधियां जो पाकिस्तान की ज़मीन से संचालित हैं उन्हें ख़त्म करना चाहता है। भारत ने राफेल जेट्स, स्कैल्प और हैमर मिसाइलों का उपयोग कर 100 किमी तक पाकिस्तान के अंदर और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। कार्रवाई रात 1.05 बजे के आसपास शुरू हुई, ताकि नागरिक हताहत कम हों। भारत ने स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को निशाना नहीं बनाया गया और हमले केवल आतंकी ढांचों तक सीमित थे। यह युद्ध भड़काने से बचने की रणनीति थी। भारत ने इस आपरेशन के लिए इजरायली शैली अपनाई। ऑपरेशन में पहले टारगेट लॉक, फिर तबाही की रणनीति अपनाई गई जो इजरायल की सैन्य रणनीति से प्रेरित थी। पाकिस्तान के एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम को बेकार साबित किया गया। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने ठिकानों की सटीक पहचान की, जिससे ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित हुई। भारत ने ऑपरेशन के बाद तुरंत अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूएई और रूस जैसे देशों को कार्रवाई की जानकारी दी। यह दर्शाते हुए कि यह आतंकवाद के खिलाफ कदम था, न कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को अब नतीजे भुगतने होंगे। 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना और पाकिस्तानी विमानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र बंद करना जैसे कदम पहले ही उठाए जा चुके थे, जो कूटनीतिक दबाव का हिस्सा थे।
पाकिस्तान और अन्य देशों की प्रतिक्रिया भी इस आपरेशन के बाद आई है। एक आधिकारिक बयान में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमलों को कायराना और युद्ध की कार्रवाई करार दिया। दावा किया कि पांच स्थानों पर हमले हुए और पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई का हक है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि हमले भारत के हवाई क्षेत्र से किए गए और पाकिस्तान अपने चुने हुए समय और स्थान पर जवाब देगा। सेना ने हवाई क्षेत्र में जेट तैनात किए। पाकिस्तानी मीडिया ने इसे पाकिस्तान की संप्रभुता पर हमला बताया, लेकिन कुछ ने माना कि नागरिक हताहत कम थे। जनता में डर के साथ-साथ सरकार पर सवाल उठे। पंजाब में शैक्षणिक संस्थान बंद किए गए और एलओसी पर गोलीबारी शुरू हुई। अन्य देशों की प्रतिक्रियाओं में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को शर्मनाक बताया, लेकिन स्पष्ट रुख नहीं लिया। अमेरिकी विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने इसे 2016 और 2019 की तुलना में बड़ा और घातक बताया। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देश अमेरिका, और चीन ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की। कुछ अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं पाकिस्तान से आतंकवाद पर कदम उठाने की मांग करती नजर आई। पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने बांग्लादेश से संपर्क कर भारत की आलोचना की, लेकिन अन्य सहयोगियों की प्रतिक्रिया सीमित रही।
यदि हम इस आपरेशन के बाद भविष्य में क्या हो सकता है, इस बारे में सोचें तो पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया में सैन्य जवाब दे सकता है। भारत को इसका पूर्व अनुमान है। देश में हुई मॉक ड्रील उसका प्रतीक है। पाकिस्तान सीमित जवाबी कार्रवाई, जैसे एलओसी पर गोलीबारी या हवाई उड़ानें बढ़ा सकता है। हालांकि, पूर्ण युद्ध की संभावना कम है, क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और सैन्य स्थिति भारत से युद्ध का जोखिम उठाने की अनुमति नहीं देती। पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह भारत में और हमले कर सकते हैं, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में, तनाव को बढ़ाने के लिए। पाकिस्तान कूटनीतिक कदम उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र या अन्य मंचों पर भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की आतंकवाद-विरोधी कार्रवाई को व्यापक समर्थन मिलने की संभावना है।
यदि हम भारत की रणनीति की बात करें तो भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को और सख्त कर सकता है, जिसमें और सर्जिकल स्ट्राइक या आर्थिक प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं। कूटनीतिक रूप से, भारत वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थक के रूप में और अलग-थलग करने की कोशिश करेगा। भारत अपनी सैन्य और खुफिया तैयारियों को और मजबूत करेगा, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में। क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव की बात करें तो विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सीमित था और युद्ध में बदलने की संभावना कम है, लेकिन गलत अनुमान या उकसावे से तनाव बढ़ सकता है। इस आपरेशन के बाद भारत और पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा सकता है ताकि भविष्य के युद्ध को टाला जा सके। अमेरिका, चीन, और रूस जैसे देश दोनों पक्षों पर संयम बरतने का दबाव डाल सकते हैं। चीन, पाकिस्तान का सहयोगी होने के बावजूद, क्षेत्रीय स्थिरता के लिए तटस्थ रुख अपना सकता है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ेगा, जिससे आंतरिक अस्थिरता और जनता में असंतोष बढ़ सकता है। दक्षिण एशिया में भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत बढ़ेगी, जबकि पाकिस्तान की स्थिति कमजोर हो सकती है। अल्पकालिक रूप में, आतंकी संगठनों को बड़ा झटका लगा है, लेकिन लंबे समय में जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियां नहीं बदलता, आतंकी गतिविधियां फिर से शुरू हो सकती हैं। भारत को लगातार खुफिया निगरानी और सैन्य तैयारियों को बनाए रखना होगा।
ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत के सख्त और सटीक रणनीति का प्रतीक है, जिसने न केवल आतंकी ढांचों को नष्ट किया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की निर्णायक छवि को मजबूत किया। पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया और सीमित जवाबी कार्रवाई की संभावना तनाव को बनाए रख सकती है, लेकिन युद्ध की संभावना कम है। भविष्य में भारत को अपनी सैन्य और कूटनीतिक रणनीतियों को और मजबूत करते हुए आतंकवाद के खिलाफ निरंतर सतर्कता बरतनी होगी जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर आतंकवाद-विरोधी कदमों के लिए दबाव बनाए रखना होगा।