सुभाष मिश्र
चाहे दिन प्रतिदिन सरकारी नौकरियाँ कम क्यों ना हो रही हों पर लोगों का रूझान इनके प्रति कम नहीं होता। राज्य लोक सभा आयोग द्वारा हर साल सौ सवा नौकरियाँ विज्ञप्ति होती हैं किन्तु इनके लिए लाखों लोग आवेदन करते हैं। दिन-रात पढ़ाई, कोचिंग करके गाँव देहात से आकर लोगों शहरों में छोटी-छोटी खोलियों में रहते है। सबको उम्मीद होती है की वे चयनित होकर सरकारी नौकरी पा लेंगे। इनमें कुछ ही लोग डार्क हॉर्स निकलते हैं। किन्तु यदि लोगों को लगे की कुछ लोग जान-पहचान, पैसे, पॉवर और रितेशदारी के बूते पर कमतर होने के बावजूद चयनित हो रहे हैं तो उनका सडक़ों पर आना, सरकार को गरियाना ठीक है। छत्तीसगढ़ में सीजीपीएससी का घोटाला इसी की जीती जागती मिसाल है।
विधानसभा चुनाव क पहले राज्य के युवाओं ने और उनके साथ मिलकर भाजपा ने बड़ा आंदोलन किया और युवाओं को आश्वस्त किया की सत्ता में आते ही वह राज्य में हुए घोटालों की जांच करायेगी। छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ ही कई बड़े घोटाले उजागर हुए हैं। केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार के दौरान भी कई घोटाले की जाँच कर उन्हें ईडी और अन्य केन्द्रीय एजेंसियों के ज़रिये उजागर किया। विधानसभा में कांग्रेस की हार और राज्य में विष्णु देव साय की सरकार आई, तो सीबीआई की एंट्री हो गई। सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की और हाल ही में विशेष न्यायालय में अपनी चार्जशीट प्रस्तुत की। यह चार्जशीट छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और अन्य सात व्यक्तियों के खिलाफ है। नवंबर में टामन सिंह सोनवानी और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था और बाद में उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया। इस मामले में सीबीआई की एंट्री भाजपा की सरकार के आने के बाद हुई, क्योंकि भूपेश बघेल की सरकार ने इस पर पहले बैन लगा रखा था।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में यह बताया कि कई ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने के लिए पैसे लिए थे। साथ ही, उन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए गए जिन्होंने परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक करने में मदद की। सीबीआई ने यह भी खुलासा किया कि कई चयनित उम्मीदवारों ने अपने रिश्तेदारों के लिए पैसे दिए और उन्हें चयनित कराया। इससे पहले, जब पीएससी द्वारा परीक्षा आयोजित की जा रही थी, तो कुछ आरोप लगे थे कि परीक्षाओं में पारदर्शिता की कमी थी। 2017-18 के दौरान यह आरोप सामने आए थे कि प्रश्न पत्र लीक हो गए थे और मूल्यांकन में भी गड़बड़ी की गई थी। आरोप था कि कुछ परीक्षार्थियों को उनकी जाति, क्षेत्र और राजनीतिक पहुंच के आधार पर अतिरिक्त अंक दिए गए थे। इसके चलते पूरे राज्य में गुस्सा था और छात्र-छात्राओं ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया।
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यह घोटाला इतना बड़ा हो गया था कि विधानसभा चुनावों के दौरान इस मुद्दे ने खासा महत्व लिया। कांग्रेस सरकार के खिलाफ युवाओं में गुस्सा था, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके प्रयासों को नजरअंदाज किया जा रहा है और भ्रष्टाचार के जरिए कुछ रिश्तेदारों को नौकरी मिल रही है। भाजपा ने इस मुद्दे को अपने चुनावी प्रचार का हिस्सा बनाया और वादा किया कि यदि वे सत्ता में आए, तो इस मामले की सीबीआई जांच करेंगे। भाजपा सत्ता में आई और उसने सीबीआई जांच की घोषणा की।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) राज्य के युवाओं के लिए सरकारी नौकरी पाने का सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित माध्यम रहा है, लेकिन इन घोटालों के बाद इसकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पीएससी की परीक्षा में पारदर्शिता की कमी को लेकर कई आरोप लगे हैं, जिससे आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। विशेषकर 2019 में परीक्षा परिणामों में गड़बड़ी को लेकर कई असफल उम्मीदवारों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया।
इसके बाद, राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए और एक विशेष जांच समिति का गठन किया। आंतरिक ऑडिट की प्रक्रिया भी शुरू की गई, जिसमें कई संदिग्ध व्यक्तियों के नाम सामने आए। इसके अलावा, कुछ प्रमुख राजनीति हस्तियों के नाम भी इस घोटाले में आए। 2023-24 में मामले के और खुलासे हुए, और जब परीक्षार्थियों ने परिणाम की जांच की मांग की, तो उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतने जल्द बड़े कदम उठाए जाएंगे। उच्च न्यायालय ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी और कहा कि भविष्य की परीक्षाओं में पारदर्शिता बनी रहे। इसके बाद सरकार ने डिजिटल निगरानी, सीसीटीवी निगरानी और डिजिटल मूल्यांकन जैसे उपायों का प्रस्ताव रखा। यह उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में पीएससी की परीक्षाओं में पारदर्शिता बनी रहेगी और योग्य उम्मीदवारों को ही चयनित किया जाएगा।
सीबीआई की चार्जशीट के बाद, यह मामला अब फिर से मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है। सभी प्रमुख समाचार पत्रों में पीएससी घोटाले की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं। यह माना जा रहा है कि सीबीआई की जांच से कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं, और यह घोटाला भविष्य में और अधिक जटिल हो सकता है। छत्तीसगढ़ में छात्रों के बीच यह उम्मीद जगी है कि अब सीबीआई की जांच से पीएससी की परीक्षा पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होगी। सरकार ने इसे लेकर कई कदम उठाए हैं, और अगर सीबीआई ने इस मामले में सफलता हासिल की तो यह राज्य के युवाओं के लिए एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है। अब पीएससी की परीक्षा में जिन लोगों ने पिछले दरवाजे से नौकरी पाने की कोशिश की है, उन्हें उनके कर्मों का परिणाम भुगतना होगा। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि पीएससी की कार्यप्रणाली में कितनी सुधार होती है और किस तरह से परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाई जाती है।