Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

कश्मीर की बैसरन घाटी, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के खिलाफ पूरा देश लामबंद है। सर्वदलीय बैठक के जरिये सभी ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान के खिलाफ पुरजोर कार्यवाही का समर्थन किया और सरकार के हर कदम के साथ अपनी सहमति जताई। किन्तु अलग-अलग माध्यमों से विपक्ष ने सरकार से कश्मीर में हुई सुरक्षा चूक और शांति के दावों पर भी सवाल किया। विपक्ष के नेताओं ने पहलगाम की घटना को सोशल मीडिया के जरिए हिन्दू-मुस्लिम एंगल देने के प्रयासो की आलोचना कर इस पर सख्ती से रोक लगाने की बात कही। यदि एक ओर आतंकियों ने लोगों को मारने के पहले कुछ लोगों से उनका धर्म पूछा तो उन्होंने एक कश्मीरों को और एक मुस्लिम परिवार को भी अपना निशाना बनाया। जो लोग इस घटना में आहत हुए, जिन्हें वहां से बचाकर सुरक्षित निकालने की बात है तो कश्मीर के लोगों ने बिना किसी जाति, धर्म को पीडि़तों की मदद की। देश में कुछ लोग जो इस मामले में एक तरफा नजरिया पेश कर रहे हैं, दरअसल वे भी आतंवादियों के मंसूबे को ही आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना के बाद पहली बार बिहार के मधुबनी से पब्लिक मीटिंग को संबोधित करते हुए भारत के मंसूबों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि यह हमला निहत्थे पर्यटकों पर नहीं, भारत की आस्था पर हमला किया है, उन आतंकियों और हमले की साजिश रचने वालों को सजा मिलकर रहेगी। अब आतंकवादियों की बचीकुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति है, जो आतंकवादियों की कमर तोड़कर रहेगी।
विपक्ष ने साफ तौर से कहा है कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। ऐसी घटना पर राजनीति नहीं होना चाहिए। फेक न्यूज, वो न्यूज जो हमारी आतंरिक और बाहरी सुरक्षा को ठेस पहुंचाती है, जो गलत जानकारी दी जा रही है उस पर कार्यवाही होना चाहिए। हमें आपस में बंटना नहीं है। किन्तु कथावाचक प्रदीप मिश्रा सहित बहुत से लोगों की प्रतिक्रिया भड़काने वाली है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा है कि पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछकर कत्लेआम किया, निर्दोष लोगों की जान ले ली। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन कानून का विरोध करने वाले 200 सांसद कहां गए, उन्हें कश्मीर भेजो। उन्होंने देश के गृहमंत्री पर विश्वास जताते हुए कहा कि वे महादेव के अवतार हैं। अंतिवादियों को जरूर सबक सिखाएंगे। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर अत्याचार हुए, किसी ने कुछ नहीं कहा। हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। अब समय आ गया है, हिंदुओं को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, घर में शास्त्र हो या न हो, हर बच्चे को शस्त्र चलाना आना चाहिए। राष्ट्र की सुरक्षा और समाज की रक्षा के लिए शस्त्र ज्ञान जरूरी है। इसके ठीक विपरीत सच्चाई यह भी है की
चिरमिरी छत्तीसगढ़ के अरविंद अग्रवाल जो भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं ने एक पोस्ट के ज़रिए कहा है कि जब आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया तब परिवार के साथ पहलगाम में ही थे। कश्मीर के कपड़ा व्यवसायी नजाकत अली ने अपनी जान पर खेलकर अरविंद सहित कुल 11 लोगों की जान बचाई। इसलिए यह बात दिमाग से निकाल दीजिए कि मुसलमान हमारे शत्रु है। अच्छे-बुरे और अपराधिक तत्व हर समाज में मिल जाएंगे, लेकिन हर समाज में इंसानियत से मोहब्बत करने वाले लोग भी मौजूद रहते हैं। हमें इंसानियत से मोहब्बत करने वालों के साथ रहना है और घृणा-नफरत फैलाने को खदेडऩा है।
इस बीच पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की बॉलीवुड कमबैक फिल्म अबीर गुलाल अब 9 मई को रिलीज नहीं होगी। फिल्म में फवाद के साथ वाणी कपूर लीड रोल में हैं। लोग अब भारत पाकिस्तान के बीच टी20 का क्रिकेट जो दुबई में हुआ, अब उसके खिलाफ भी हैं।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों के कथित उत्पीडऩ को एक्स पर पोस्ट किया और लिखा जम्मू-कश्मीर सरकार उन राज्यों की सरकारों के संपर्क में है, जहां से ये रिपोर्ट आ रही हैं। उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों अनुरोध किया है कि वे अतिरिक्त सावधानी बरतें।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि इन आतंकयों के खात्मे से ही उन लोगों के परिवार को न्याय मिलेगा, जिनकी इसमें हत्या हुई है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि एक ऐसी जगह जहां इतने सारे पर्यटक थे, वहां एक भी पुलिस कर्मी या सीआरपीएफ कैंप नहीं था। क्विक रिएक्शन टीम को मौके पर पहुंचने में एक घंटे से अधिक का समय लगा और इन कमीनों-हरमजादों ने लोगों से उनका धर्म पूछने के बाद उन्हें गोली मार दी। यूनाइटेड किंगडम की संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्री लिसा नैंडी ने पहलगाम हमले के पीडि़तों के लिए मौन रखा और ब्रिटिश सरकार की ओर से गहरी संवेदना व्यक्त की। कई सरकारों ने हमले की निंदा की और भारत के प्रति एकजुटता दिखाई, जो आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता को दर्शाता है।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरण घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए (25 भारतीय और 1 नेपाली) और 17 घायल हुए। यह हमला दशकों में पर्यटकों पर सबसे घातक हमलों में से एक था। हमले की जिम्मेदारी दा रेसिटेंस फ्रंट(टीआरएफ), जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है, ने ली। भारतीय पुलिस ने चार संदिग्धों में से तीन की पहचान की, जिनमें दो पाकिस्तानी नागरिक और एक स्थानीय व्यक्ति शामिल हैं।
जब हम पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादियों और उनके सरगनाओं के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की बात कर रहे हैं तो लोग पूछ रहे हैं कि जैसे अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के खिलाफ या इजराइल ने गाजा में जिस तरह की कार्यवाही की है क्या वैसी कार्यवाही होगी। पुलवामा से पहलगाम तक का इंतकाम कब पूरा होगा। कश्मीर इस समय केंद्र शासित राज्य है जहां की पुलिस उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नियंत्रण में है।
सैन्य बल सीधे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को रिपोर्ट करता है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की कोई खास भूमिका सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर नहीं है। उन्हें पूर्व में हुई बैठकों में भी नहीं बुलाया गया। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब पुलवामा में आतंकवादी घटनाओं के इन्पुट थे तो फिर ये सुरक्षा में चूक क्यों हुई। तमाम सवालों के बीच देश के लोग एकजुट है और चाहते हैं कि जिन्होंने भी इस घटना को अंजाम दिया है उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही हो। बहुत सारे आम नागरिकों के मन में ये आशंका की कहीं इस लड़ाई में आम और निर्दोष लोगों पर किसी तरह का हमला न हो। जिस जगह यह घटना हुई वहां लोकल पुलिस की मौजूदगी भई पूरी तरह नदारद थी। आतंकवादियों ने पहले से वहां रेकी की और बहुत आराम से लोगों की जाति, धर्म पूछकर गोलीबारी की।यह इंटेलीजेंस इम्पुट का फ़ेलवर है।
इस समय भारत सरकार द्वारा लिए गये फैसलों से पाकिस्तान बौखला गया है। भारत द्वारा लिए गये फैसलों से चिढ़कर पाकिस्तान ने भी 5 बड़े फैसले लिए हैं। पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने पानी रोका तो उसे युद्ध के रूप में माना जाएगा। एनएससी ने जोर देकर कहा कि पानी पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित है, यह उसके 240 मिलियन लोगों की जीवनरेखा है और इसकी उपलब्धता को हर कीमत पर सुरक्षित रखा जाएगा। इसने चेतावनी दी, सिंधु जल संधि के अनुसार पाकिस्तान के पानी के प्रवाह को रोकने या मोडऩे का कोई भी प्रयास और निचले तटवर्ती क्षेत्र के अधिकारों का हनन युद्ध की कार्रवाई के रूप में माना जाएगा ।सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, जो सिंधु नदी प्रणाली के छह नदियों (पश्चिमी नदियाँ-सिंधु, झेलम, चिनाब, पूर्वी नदियाँ- रावी, ब्यास, सतलज) के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है। पाकिस्तान को कुल जल का लगभग 80फीसदी (135 मिलियन एकड़-फीट) मिलता है, जो उसकी कृषि (80-90फीसदी) के लिए महत्वपूर्ण है। भारत का निलंबन इसे जल विद्युत और सिंचाई परियोजनाओं (जैसे किशनगंगा, रतले) के लिए स्वतंत्रता देता है, जो पहले पाकिस्तान के विरोध के कारण रुकी थीं।
पाकिस्तान ने भी भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौते को तत्काल प्रभाव से रोक दिए। पाकिस्तान ने शिमला समझौता भी रोक दिया। पाकिस्तान ने अपना वाघा बॉर्डर भी बंद किया। पाकिस्तान अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है। कश्मीर हुई अमानवीय घटना की सच्चाई जर्मनी, जापान, पोलैंड, ब्रिटेन और रूस समेत कई देशों के राजदूत ने दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में विदेश मंत्रालय के दफ्तर पहुंचकर जानी। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इन देशों के राजदूतों को हाल ही में हुए पहलगाम हमले को लेकर विस्तृत जानकारी दी।
पुलवामा से पहलगाम तक के हमलों की बात करें तो पहलगाम हमला भी एक गंभीर घटना थी, जिसने भारत-पाकिस्तान तनाव को बढ़ा दिया है। बावजूद इसके दोनों देश सीधे युद्ध से दूर रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बयान और भारत के कदम (सिंधु जल समझौते का निलंबन) दबाव की रणनीति दर्शाते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बात करें तो अभी तक की प्रतिक्रिया बताती है की आतंकवाद की निंदा कर रहे हैं लेकिन युद्ध रोकने के लिए कूटनीति पर जोर देगें। जल समझौते का निलंबन) दबाव की रणनीति दर्शाते हैं। यदि हम भारत पाक के बीच युद्ध की संभावनाओं की बात करें तो दोनों ही देश अभी युद्ध की स्थिति नहीं है, लेकिन तनाव बढ़ रहा है। दोनों देशों के बयान और कदम स्थिति को नाजुक बनाते हैं। आने वाले दिनों में भारत सरकार क्या कदम उठाएगी इस पर सबकी नजऱ है।

Related News