Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – लालच और अज्ञानता का फायदा उठाती चिटफंड कंपनियां

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

लोगों की अज्ञानता, लालच और भविष्य के सुनहरे सपने देखने के चलते बहुत से लोग, खास करके ग्रामीण इलाके के लोग चिटफंड कंपनियों के झांसे में आकर घोटालों और धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। इन कंपनियों द्वारा लोगों की मेहनत की कमाई लूटने का सिलसिला लगातार जारी है। हम अक्सर सुनते हैं कि शॉर्टकट से पैसा कमाने का लालच दिखाकर लोग ठगे जाते हैं। इनमें से अधिकांश लोग ग्रामीण इलाकों के होते हैं जो अपनी जरूरतों के कारण इन स्कीमों के जाल में फंसते हैं। छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों की लूट और ठगी का सिलसिला लंबा है। सरकार ने इस पर अपना शिकंजा भी कसा है, किन्तु अभी भी बहुत से ठगी के शिकार लोग राहत की उम्मीद में हंै।
सबसे पहले चिटफंड कंपनियां अक्सर अपनी योजनाओं के तहत निवेशकों को आकर्षित करती हैंं जैसे डबल मनी स्कीम, उच्च ब्याज दरों का वादा और जल्द ही पैसे दोगुने करने की घोषणा करती है। इन कंपनियों द्वारा दिए गए आकर्षक प्रस्तावों में लोग अक्सर फंस जाते हैं। यह कंपनियां पहले कुछ निवेशकों को अच्छा रिटर्न देकर दूसरों को ललचाती हैं, लेकिन अंत में जब पैसे की जरूरत होती है तो निवेशक हाथ मलते रह जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आई हैं। इन कंपनियों ने किसानों से लेकर आम लोगों को भी ठगा। उदाहरण के लिए नया रायपुर में 29 गांवों के किसानों से मुआवजे में मिली राशि को दुगुना करने के लालच में चिटफंड कंपनियों ने निवेश किया, जिससे लगभग 200 करोड़ रुपए की हानि हुई। इसी तरह मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में भी एक चिटफंड कंपनी ने उच्च ब्याज दरों पर लोगों से करोड़ों रुपए इकठ्ठा किए और फिर फरार हो गई।
राज्य सरकारों ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश की है। छत्तीसगढ़ में सरकार ने इन कंपनियों की संपत्तियों की पहचान की और उनकी नीलामी की प्रक्रिया भी शुरू की। हालांकि, यह प्रक्रिया बहुत धीमी है और निवेशकों को पूरी राहत मिलने में समय लग रहा है। बिहार और राजस्थान में भी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कई मामलों की शिकायतें दर्ज की गई हैं।
मध्य प्रदेश में भी इंडिया निधि लिमिटेड नामक चिटफंड कंपनी ने लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी की और फिर फरार हो गई। इन कंपनियों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया और कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ये कंपनियां लोकल एजेंट्स का इस्तेमाल करती हैं, जो अपने जान-पहचान के लोगों को ललचाते हैं और इन एजेंट्स को बाद में गिरफ्तार कर लिया जाता है। देशभर में चिटफंड कंपनियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के कारण लोगों का पैसा डूब चुका है। पीएसीएल और रोज़वैली जैसी कंपनियों ने लाखों लोगों को ठगा और बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की। छत्तीसगढ़ में भी ऐसी कंपनियों के खिलाफ कई शिकायतें आईं हैं, जिनमें सहारा इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों का नाम भी शामिल है। सरकारों ने इन कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और कुछ आरोपियों को जेल भेजा, जबकि कुछ की संपत्तियां जब्त की गईं।
सरकार ने इस मामले में कुछ कदम उठाए हैं, बहुत लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। संपत्तियों की नीलामी की गई और सेबी द्वारा सख्त कार्रवाई की गई है। हालांकि, इन कदमों के बावजूद लोगों को पूरी राहत मिलने में समय लग रहा है। इसके अलावा लोगों की जागरूकता और शिक्षा की कमी भी एक बड़ी समस्या है। जब लोगों को शॉर्टकट से पैसा कमाने के लालच में फंसाया जाता है तो उन्हें लगता है कि यह एक आसान तरीका है, लेकिन बाद में यह धोखाधड़ी में बदल जाता है।
अक्सर हम देखते हैं कि अधिकांश लोग लालच और अज्ञानता के कारण लोग चिटफंड कंपनियों के जाल में फंसते हैं। इसलिए हमें अपनी जागरूकता बढ़ानी चाहिए और कोई भी उच्च रिटर्न की स्कीम या शॉर्टकट से पैसा कमाने के वादे से दूर रहना चाहिए। चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सख्त कानूनों की आवश्यकता है ताकि यह धोखाधड़ी का सिलसिला रोका जा सके। यदि आप भी किसी चिटफंड योजना में निवेश करने की सोच रहे हैं तो यह समझें कि कोई भी योजना जो असामान्य रूप से अधिक रिटर्न का वादा करती है वह धोखाधड़ी हो सकती है। हमें अपने निवेश फैसले सोच-समझकर लेने चाहिए और ऐसी योजनाओं से बचना चाहिए। इसी तरह आजकल सायबर फ्राड भी हो रहे हैं। अक्सर हमारी अज्ञानता, लालच या मनमोहक विज्ञापनों के झांसे में अक्सर तरह की ठगी के शिकार हो जाते हैं। समाज और राजनीति के प्रभावी लोग भी कई बार इस तरह की ठगी में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं। हमें सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है।

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