Piyush Goyal: भारत और कतर प्रतिस्पर्धी नहीं, एक-दूसरे के पूरक हैं : पीयूष गोयल

भारत और कतर प्रतिस्पर्धी नहीं, एक-दूसरे के पूरक हैं : पीयूष गोयल

नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और कतर एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में एक-दूसरे के पूरक हैं। मंगलवार को भारत-कतर व्यापार मंच के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री गोयल ने दोनों देशों द्वारा समृद्धि और आर्थिक विकास के लिए एक साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

इस कार्यक्रम को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सहयोग से आयोजित किया गया था। कतर के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री शेख फैसल बिन थानी बिन फैसल अल थानी भी कार्यक्रम का हिस्सा बने।
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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, भारत और कतर के बीच संबंध ऐतिहासिक भी हैं और संभावनाओं से भरे हुए भी हैं। सोमवार को पीएम मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी को एयरपोर्ट पर रिसीव कर मित्रता और भाईचारा का एक संदेश दिया। यह दोनों देशों के बीच भाईचारे और बढ़ते विश्वास को दिखाता है।

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केंद्रीय मंत्री गोयल ने आने वाले दिनों में व्यापार और निवेश दोनों में भारत और कतर के बीच बड़े पैमाने पर वृद्धि होने की संभावना जताई है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बदलते दौर के साथ दोनों देश अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और कतर के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की उपस्थिति में भारत और कतर के बीच दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, हम दो देश हैं, जो कतर और भारत दोनों देशों के लोगों के बेहतर भविष्य, अधिक समृद्धि और कल्याण के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि भारत और कतर दोनों ही देश अपने व्यापार और निवेश संबंधों में बड़े बदलाव के लिए तैयार हैं। उन्होंने सस्टेनेबिलिटी, उद्यमशीलता और एनर्जी को तीन प्रमुख स्तंभों के रूप में पहचाना जो आने वाले वर्षों में दोनों ही देशों की आर्थिक साझेदारी को आकार देने का काम करेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ये तीन स्तंभ परिभाषित करेंगे कि हम इस बदलती दुनिया में एक साथ कैसे काम करेंगे, जहां हर 10 या 20 साल में हम विश्व व्यवस्था और व्यापार दोनों में बड़ा फेरबदल देखते हैं।

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