-सुभाष मिश्र
भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में पाकिस्तान को साफ़-साफ़ शब्दों में बता दिया कि बात भी होगी, व्यापार भी होगा पानी भी बहेगा पर आतंक के साथ नहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह समय यदि युद्ध का नहीं है तो आंतक का भी नहीं है। आतंकवाद के खि़लाफ़ ज़ीरो टारलेंस एक बेहतर दुनिया की गारंटी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि टेरर और टॉक एक साथ नहीं हो सकती। टेरर और व्यापार भी एक साथ नहीं हो सकता। पानी और ख़ून भी एक साथ नहीं बह सकता। टेरर के इन्फ्रास्ट्रक्चर का सफाया ही शांति की गारंटी है। उन्होंने कहा कि आज बुद्घ पूर्णिमा है जिन्होंने हमें शांति का रास्ता दिखाया। शांति का मार्ग शक्ति के साथ जाता है।
प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश से पहले ही सेना की प्रेस ब्रीफिंग और डीजीएमओ चर्चा के ज़रिए भारत-पाकिस्तान सीजफॉयर और युद्ध में हुए नफे-नुकसान को लेकर बहुत सी बातें साफ हो गई थी। सोशल मीडिया के ज़रिए जिस तरह की भ्रांति फैलाने, नरेटिव सेट करने की कोशिशें हो रही थी वह भी प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद साफ हो गई। पाकिस्तान द्वारा की जा रही अपनी जीत के दावे की असलियत भी उजागर हो गई। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सेना, सशस्त्र बलों, राजनीतिक दलों और देश के नागरिकों द्वारा प्रदर्शित की गई एकता और साहस को सेल्यूट किया। उन्होंने आपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई को सैनिकों की वीरता, साहस, पराक्रम को समर्पित करते हुए विस्तार से ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि हमारी एकता हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंकी आकाओं को वे अलग-अलग नहीं देखते। यदि भारत पर आतंकी हमला हुआ तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जायेग।
प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, वायुसेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑपरेशंस एयर मार्शल एके भारती और नौसेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑपरेशंस वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने एक संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग की, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के उल्लंघनों पर विस्तार से जानकारी दी गई।
भारत और पाकिस्तान के बीच डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) स्तर की बातचीत 10 मई 2025 को शुरू हुई थी। पर युद्धविराम के कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर और अन्य क्षेत्रों में गोलीबारी और ड्रोन हमले शुरू कर दिए, जिसे भारत ने ‘समझौते का घोर उल्लंघनÓ बताया। जिसके बाद 12 मई 2025 को एक और दौर की वार्ता हुई। यह बातचीत ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के संदर्भ में हुई, जिसका उद्देश्य युद्धविराम (सीजफायर) को लागू करना और सीमा पर शांति स्थापित करना था। पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से दोपहर 3:35 बजे हॉटलाइन पर संपर्क किया। दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयां और गोलीबारी रोकी जाएगी। दोनों देशों ने अपनी सेनाओं को इस समझौते को तुरंत लागू करने के निर्देश जारी किए।
12 मई को दूसरी बातचीत का मुख्य उद्देश्य युद्धविराम के कार्यान्वयन की समीक्षा करना, पाकिस्तान के उल्लंघनों पर चर्चा करना, और सीमा पर स्थायी शांति के लिए कदम उठाना था। भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बातचीत का नेतृत्व किया, जबकि पाकिस्तान की ओर से मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला शामिल थे। भारत ने स्पष्ट किया कि बातचीत केवल सैन्य कार्रवाइयों को रोकने और युद्धविराम उल्लंघनों पर केंद्रित होगी। कश्मीर या अन्य राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं है। भारत ने यह भी दोहराया कि वह केवल डीजीएमओ स्तर की द्विपक्षीय बातचीत स्वीकार करेगा और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता (जैसे अमेरिका या चीन) को खारिज करता है। भारत ने युद्धविराम के बाद पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों, जैसे अखनूर और पुंछ में गोलीबारी और ड्रोन घुसपैठ को प्रमुखता से उठाया। भारत ने जोर दिया कि पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देना बंद करना होगा। दोनों पक्षों ने युद्धविराम को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए तंत्र स्थापित करने पर चर्चा की, जिसमें हॉटलाइन संचार को मजबूत करना और सीमा पर उकसावे वाली कार्रवाइयों को रोकना शामिल था। भारत ने स्पष्ट किया कि कश्मीर पर केवल एक मुद्दा बाकी है—पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का भारत में विलय। भारत ने कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताया और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया। पाकिस्तान ने युद्धविराम उल्लंघनों से इनकार किया और दावा किया कि उसकी सभी सैन्य सुविधाएं पूरी तरह कार्यात्मक है। पाकिस्तान ने युद्धविराम को अपनी संप्रभुता से समझौता किए बिना शांति की दिशा में कदम बताया। हालांकि, उसने भारत के हमलों को ‘नागरिक क्षेत्रोंÓ पर हमला करार दिया और तटस्थ जांच की मांग की। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला ‘युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस समझौते की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि यह बातचीत द्विपक्षीय थी, जिसमें किसी तीसरे पक्ष (जैसे अमेरिका) की मध्यस्थता नहीं थी।
डीजीएमओ स्तर की बातचीत हॉटलाइन के माध्यम से होती है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव को कम करने का एक स्थापित तंत्र है। यह हॉटलाइन दोनों देशों के डीजीएमओ को सीधे और त्वरित संवाद की सुविधा देती है। डीजीएमओ (लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी) सैन्य अभियानों की निगरानी करते हैं और अपने देश की सैन्य गतिविधियों की रीयल-टाइम जानकारी रखते हैं। वे फील्ड कमांडरों को त्वरित निर्देश जारी कर सकते हैं, जिससे डी-एस्केलेशन में मदद मिलती है।
सीजफायर के बाद 12 मई की सुबह तक, जम्मू-कश्मीर और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में रात शांत रही, जो पिछले कुछ दिनों में पहली शांत रात थी। भारत ने 32 हवाई अड्डों को फिर से खोल दिया, जो संघर्ष के दौरान बंद किए गए थे। भारतीय सेना ने कहा कि वह पूरी तरह तैयार है और किसी भी उल्लंघन का जवाब देने के लिए अधिकृत है। सोशल मीडिया पर कई पोस्ट्स में डीजीएमओ बातचीत को भारत की कूटनीतिक और सैन्य ताकत का प्रतीक बताया गया। कई यूजर्स ने इसे पाकिस्तान के दबाव में आने का सबूत माना। कुछ पोस्ट्स में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के दावे को खारिज किया गया और भारत ने स्पष्ट किया कि यह डीजीएमओ स्तर की द्विपक्षीय बातचीत थी। पाकिस्तानी सोशल मीडिया ने युद्धविराम को अपनी जीत और अमेरिका-चीन की मध्यस्थता का परिणाम बताया, हालांकि इसके लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संदेश और सेना के अधिकारियों की बातचीत दोनों में एक सी बात थी। सेना ने वही कहा जो किया। प्रधानमंत्री ने भूत भविष्य और वर्तमान सभी की बात करते हुए साफ कर दिया कि हम लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे। आपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है, स्थगित है। हम हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे कि वो क्या रवैया अपनाता है।