-सुभाष मिश्र
मीडिया के ज़रिए यह लगातार प्रचारित किया जा रहा है कि अब तक प्रयागराज कुंभ में पचास करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगा ली है और अभी दस-पन्द्रह करोड़ लोग और डुबकी लगाने के लिए बेताब हैं। उन्हें कोई घटना दुर्घटना, सड़क जाम, रेल्वे स्टेशन की बेतहाशा भीड़ भी अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकती। लोग योगी मोदी सरकार के इस कुंभ की तारीफ़ करते नहीं थक रहे हैं। सरकार ने भी इसके प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। देश दुनिया के एक से बढ़कर एक सेलिब्रिटी यहां स्नान के लिए पहुँच रहे हैं। कुंभ मेले में होने वाली दुर्घटना को साजि़श करार दिया जा रहा है या इसे इतने बड़े महाकुंभ में होने वाली छोटी मोटी घटना के रूप में देखा जा रहा है। यही वजह है कि कुंभ की भगदड़ में जान गंवाने वाले तीस से अधिक लोग हों, दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर भीड़ के दबाव में मरने वाले बीस से अधिक लोग हों, सड़क जाम में दो-तीन फंसने वाले लोग हों या ट्रेन के डिब्बों में भेड़ बकरी की तरह चढ़कर जाने वाले लोग हों। सबकी आस्था का सैलाब उन्हें किसी चेतावनी से नहीं रोक सकता। उन्हें यह संयोग 144 साल बाद मिला है। महाकुंभ 2025 एक विशेष ज्योतिषीय संयोग के कारण 144 वर्षों बाद आयोजित हो रहा है, जिसे लेकर मीडिया में व्यापक चर्चा और प्रचार हुआ है। काल माक्र्स ने धर्म को अफ़ीम के नशे की तरह करार दिया था। लोगों की आस्था का आलम यह है कि दिल्ली में रेल्वे स्टेशन पर हुई इतनी बड़ी घटना के बाद भी लोग अब भी कोई सबक लेते नजर नहीं आ रहे हैं। स्टेशन पर अभी लोगों की खचाखच भीड़ है और ट्रेनों पर चढऩे के लिए धक्का-मुक्की तक हो रही है। इसके अलावा कई लोगों को इमरजेंसी खिड़की से अंदर जाते हुए भी देखा जा सकता है।
हादसे के एक दिन बाद यानी आज प्लेटफॉर्म नंबर-16 पर जैसे ही बिहार संपर्क क्रांति आई, लोग एक बार फिर ट्रेन में चढऩे की जद्दोजहद करने लगे। कुछ लोगों ने भारी-भारी सामान अपने सिर पर रख लिया तो कई लोग इमरजेंसी खिड़की के जरिए अंदर जाने की कोशिश करने लगे।
सरकार ने भी इसे विश्व का सबसे बड़ा आयोजन बनाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन से ट्रेनों और सड़कों पर अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हुई। इस महाकुंभ को लेकर यह प्रचारित-प्रसारित किया गया है कि 144 वर्षों बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है, जिसमें सूर्य, चंद्रमा, गुरु, शुक्र और बुध एक ही राशि में स्थित है। इस अद्वितीय संयोग को लेकर मीडिया में खूब प्रचार हुआ। लोगों को लग रहा है कि अभी नहीं तो कभी नहीं। ऐसा अवसर जो मोक्ष प्राप्ति है, फिर नहीं मिलेगा।
कुंभ मेला, जो विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, यह लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटना, दुर्घटना पहली बार हुई हो। पूर्व में भी 1954 के कुंभ मेला में भगदड़ मचने से लगभग 800 लोगों की मृत्यु हुई थी। यह आज़ाद भारत का पहला कुंभ मेला था, जहाँ भीड़ नियंत्रण में कमी के कारण यह त्रासदी घटी।
1986 का हरिद्वार कुंभ- इस दौरान भगदड़ में लगभग 200 लोगों की जान गई। यह घटना तब हुई जब वीआईपी आगमन के कारण आम श्रद्धालुओं को रोका गया, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई।
2025 का प्रयागराज महाकुंभ- हाल ही में मौनी अमावस्या के अवसर पर अखाड़ा मार्ग पर भीड़ बढऩे से बैरिकेड टूट गए, जिससे भगदड़ मच गई और 30 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 90 से अधिक लोग घायल हुए।
प्रयागराज और आसपास के रेलवे स्टेशन तथा बनारस, अयोध्या में भी भक्तगणों की अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ जैसी स्थितियां बनीं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भी भगदड़ की घटनाएं सामने आईं, जिसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया।
सड़कों पर जाम- प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में यातायात जाम की समस्या गंभीर रही। बारातें और शादियां भी इस जाम से प्रभावित हुईं, जिससे स्थानीय निवासियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
ट्रेनों में अव्यवस्था-कुछ स्थानों पर यात्रियों ने ट्रेनों के शीशे तोड़कर अंदर प्रवेश किया, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ीं। बिहार के मधुबनी में ऐसी घटनाएँ सामने आईं, जहाँ यात्रियों ने ट्रेन के शीशे तोड़े और अंदर बैठे लोगों को चोटें आईं।
अत्यधिक भीड़ का अनुमान लगाकर पर्याप्त व्यवस्थाएं न करने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन की आलोचना हो रही है। भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और सुरक्षा उपायों में कमियां स्पष्ट रूप से देखी गईं। इसके अलावा यात्री और श्रद्धालु भी बहुत हद तक इसके लिए जि़म्मेदार हैं। कुछ मामलों में यात्रियों का अनुशासनहीन व्यवहार, जैसे ट्रेनों के शीशे तोडऩा, अव्यवस्था का कारण बना।
कुंभ मेले जैसे विशाल आयोजनों में भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और मूल्य नियंत्रण महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे प्रभावी योजनाएं बनाकर इन समस्याओं का समाधान करें, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित और सुलभ तरीके से अपने धार्मिक कत्र्तव्यों का पालन कर सकें।