-सुभाष मिश्र
कभी नया रायपुर, कभी अटल नगर तो कभी नवा रायपुर जो छत्तीसगढ़ की नई राजधानी के रूप में 23 सालों से बहुत सारे उतार-चढ़ाव को झेलते हुए विकसित हो रहा है। आने वाले समय में देश के टू टियर सिटी में सबसे तेज ग्रोथ कर रहा है। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इसको लेकर बहुत कुछ दावा किया।
नया रायपुर, जिसे अब अटल नगर-नया रायपुर के नाम से जाना जाता है, छत्तीसगढ़ की प्रस्तावित राजधानी है, जिसकी स्थापना 2000 में राज्य के गठन के बाद एक नियोजित स्मार्ट सिटी के रूप में की गई थी। पिछले 12-13 वर्षों में इस परियोजना में प्रगति हुई है, लेकिन यह अभी भी पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाई है। सरकार के दावों और जमीनी हकीकत का विश्लेषण करें तो बहुत सी बातें सामने आती हैं। दावों की बात करें तो सरकार का दावा है कि नया रायपुर टू-टियर शहरों में सबसे तेजी से विकसित हो रहा है। इसे स्मार्ट सिटी के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसमें आधुनिक बुनियादी ढांचा, हरित ऊर्जा, और तकनीकी नवाचार शामिल हैं। नया रायपुर को आईटी हब और साइबर सिटी के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर, सेमीकंडक्टर प्लांट और फार्मास्युटिकल पार्क जैसी परियोजनाओं की घोषणा हुई है। सरकार का मानना है कि यहां की अधोसंरचना और प्राकृतिक संसाधनों और खुलेपन के कारण निवेश का आकर्षण यहां के लिए कुछ ज़्यादा है। सरकार का कहना है कि विशाल खाली भूमि (लगभग 80,000 हेक्टेयर अधिग्रहित) और कनेक्टिविटी (एनएच-30 और एनएच-53) निवेशकों को आकर्षित कर रही है। साथ ही पर्यावरण-अनुकूल नीतियां और स्टांप ड्यूटी में छूट जैसे प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। नवा रायपुर में आधुनिक सुविधाओं का तेज़ी से विस्तार हो रहा है। नया विधानसभा परिसर बनकर लगभग तैयार है। सीएम हाउस, मंत्रियों के आवास बन गये हैं और बहुत से मंत्री-अधिकारी यहां रहने भी लगे हैं। यहां विश्वस्तरीय स्कूल और रेलवे कनेक्टिविटी जैसी सुविधाओं का विकास हो चुका है।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने नवा रायपुर कैपिटल सिटी पर चैलेंज के साथ कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ का नवा रायपुर जल्द ही देश के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा। मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूं कि आज टियर 1 सिटी से ज्यादा का योगदान टियर 2 सिटी से दे रही है। नवा रायपुर में 237 स्क्वायर किलोमीटर का एरिया है। छत्तीसगढ़ के पास 20 हजार एकड़ का लैंड बैंक नया रायपुर में हमारे पास है। इतना बड़ा लैंड बैंक और किसी राज्य के पास नही है। इसलिए हम एजुसिटी-मेडिसिटी बना पा रहे है। दूरी को अब किलोमीटर में नापने का समय चला गया। अब हम इसे समय के आधार पर नापते हैं आप देश के किसी टियर 1 शहर में चले जाइये। देश के किसी भी बड़े शहर में जाइये, बंगलुरू, दिल्ली, हैदराबाद सभी जगह आपको ट्रैफिक की समस्या मिलेगी। नवा रायपुर के पास जो पोटेंशियल है वो देश के किसी अन्य राज्य के राजधानी या शहर में नहीं है।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि किसी जगह के आगे बढऩे के लिए 3 फैक्टर है और वो तीनों है ‘लोकेशनÓ। हम पोर्ट सिटी विशाखापट्नम से सबसे नजदीक है। देश के किसी भी मेट्रो से मात्र 90 मिनट की दूरी पर है, ये इतना बढ़ा इलाका है जिसे कोई भी विजनरी बिजनेस मेन चाहता है। हमारे यहां का एअर क्वालिटी भी सबसे बेहतर है जो हरियाली नवा रायपुर में है वो देश के किसी भी कैपिटल के पास नहीं है। हैदराबाद, बैंगलुरू में जो समस्याएं है वो हमारे यहां नही है। इसलिए हमारा कांपीटिशन उनसे नहीं है। हमारी पालिसी भी वहां से अलग है हम मैक्सिम सब्सिडी दे रहे हैं।
चर्चा में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि सर्विस सेक्टर को ग्रो करने पर हमारा फोकस है। युवाओं को अधिक से अधिक जॉब मिले इसलिये सरकार ने लेबर इंटेसिव मैन्युफैक्चरिंग में भी काम किया। टेक्सटाइल पर काम करना शुरू किया। बीते शुक्रवार को मोस्ट एडवांस देश के सेकंड सेमीकंडक्टर प्लांट की नींव सीएम विष्णु देव साय ने रखी। 2030 तक 1 बिलियन चीप का प्रोडक्शन हम करेंगे। 10 हजार करोड़ का और इंन्वेस्टमेंट मिला। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि आईटी हमारे छत्तीसगढ़ में कभी नहीं आया पर बीते शुक्रवार ही प्रदेश के 350 युवाओं को सीएम विष्णु देव साय ने नियुक्ति पत्र दिया। देश की जानी-मानी 3 कंपनियों ने हमारे साथ काम करने के लिए एमओयू साईन किया। हम इन सेक्टर को जॉब के प्वाइंट आफ व्यू से तैयार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के आर्ट कल्चर से जुड़े जॉब के लिए हम निफ्ट को नवा रायपुर में बना रहे हैं जो आने वाले 2 साल में शुरू हो जाएगा।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि साय सरकार के पहले बजट में हमने पीएम मोदी के सपने ज्ञान के थीम पर आधारित था। गरीब युवा अन्नदाता और नारी के थीम पर था। फिर दूसरे बजट में हमने ज्ञान को गति देने के लिए गति (गुड गर्वनेंस एक्सलेरेटिंग इफ्रास्ट्रकचर टेक्नोलाजी इंड्रस्टियल ग्रोथ) का बजट पेश किया।
अब यदि हम जमीनी हकीकत की बात करें तो सच यह है कि पिछले 15 सालों में यहां जिस तेज़ी से विकास होना था, वह नहीं हुआ। हालांकि, मंत्रालय और कुछ सरकारी कार्यालय 2014 में स्थानांतरित हो चुके हैं, लेकिन शहर की बसाहट और व्यावसायिक गतिविधियां अभी भी सीमित हैं। 2031 तक 5 लाख लोगों को बसाने का लक्ष्य था, लेकिन वर्तमान में जनसंख्या इससे बहुत कम है। यहां के कई सेक्टर और आवासीय क्षेत्र अभी भी खाली पड़े हैं और बुनियादी ढांचे का पूर्ण उपयोग नहीं हो रहा है। हाल के वर्षों में निवेश की घोषणाएं बढ़ी हैं, जैसे कि पॉलीमेटिक का 10,000 करोड़ रुपये का सेमीकंडक्टर प्लांट और 141.84 एकड़ में फार्मास्युटिकल पार्क। फिर भी इन परियोजनाओं का कार्यान्वयन शुरुआती चरण में है और तत्काल आर्थिक प्रभाव सीमित है।
स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसरों की कमी की शिकायत रही है। साइबर सिटी का दावा आंशिक रूप से सही है क्योंकि कुछ आईटी कंपनियों ने कार्यालय खोले हैं, लेकिन यह अभी बेंगलुरु या हैदराबाद जैसे स्थापित आईटी हब से बहुत पीछे है। सरकार का दावा है कि विशाल खाली जमीन निवेशकों को आकर्षित करती है लेकिन स्थानीय स्तर पर भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद रहा है। कई किसानों ने उचित मुआवजे की मांग की है और कुछ क्षेत्रों में विकास कार्य रुके हुए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हुई है, जैसे राखी गांव में 18 करोड़ रुपये की लागत से हायर सेकेंडरी स्कूल और 11 गांवों में प्राथमिक स्कूलों का निर्माण हुआ है। हिदायतुल्लाह विश्वविद्यालय और एनआईटी जैसे संस्थान स्थापित हैं, लेकिन अभी भी कई प्रस्तावित परियोजनाएं पूरी नहीं हुई हैं। रेलवे और सड़क कनेक्टिविटी में सुधार हो रहा है, लेकिन पूर्ण कनेक्टिविटी अभी बाकी है। नया रायपुर में बुनियादी ढांचे का विकास (सड़कें, मंत्रालय भवन, स्कूल) उल्लेखनीय है। यदि हम नवा रायपुर की चुनौतियों की बात करें तो धीमी बसाहट और व्यावसायिक गतिविधियों की कमी, भूमि अधिग्रहण और स्थानीय समुदायों के असंतोष का मुद्दा, बड़े पैमाने पर निवेश का तत्काल परिणाम न दिखना। नया रायपुर अटल नगर में विकास कार्य चल रहे हैं और यह निश्चित रूप से एक आधुनिक, नियोजित शहर बनने की दिशा में अग्रसर है किन्तु अन्य टू-टियर शहरों (जैसे भोपाल, इंदौर) की तुलना में अपेक्षाकृत यहां की प्रगति की रफ़्तार कम है।
सरकार के दावों में कुछ सच्चाई है खासकर हाल के निवेश और तकनीकी परियोजनाओं को देखते हुए। हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि पूर्ण विकास में अभी समय लगेगा। यह परियोजना दीर्घकालिक दृष्टिकोण से आशाजनक है, लेकिन अल्पकालिक परिणाम और स्थानीय समुदायों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हुई हैं। यदि निवेश समय पर लागू होते हैं और बसाहट बढ़ती है तो यह वास्तव में एक प्रमुख टू-टियर सिटी बन सकता है।