Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – दिवाली का तोहफा

Editor-in-Chief

-सुभाष मिश्र

दिवाली अभी दूर है, लेकिन दिवाली के लिए तोहफे खरीदने का सिलसिला शुरू हो चुका है। बहुत सारे बंपर इनाम देने की भी बात हो रही है और इसके लिए विज्ञापन निकाल रहे हैं। दिवाली आ रही है तो घरों-दुकानों और आफिस में रंग-रोगन चल रहा है। दिवाली के पहले धनतेरस आती है, इसलिए बाजार भी सज रहा है। लोग घरों में सफाई कर रहे हैं। नए सामान लाने का भी सिलसिला शुरू हो गया है। बहुत सी कंपनियों ने बंपर सेल लगा दी है। बड़े ऑफर दिए जा रहे हैं। फ्लिपकार्ट से लेकर तमाम ऑनलाइन कंपनियां छूट दे रही हैं। पुराने कपड़े-लत्ते या दूसरे सामान देकर लोग नया सामान ले रहे हैं, ताकि दिवाली पर कुछ नया रहे। दिवाली के लिए ज्वेलर्स भी बहुत सारा ऑफर दे रहे हैं तो पंडित खरीदारी का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं। दिवाली आती है तो बहुत सारे गिफ्ट और तोहफे लेकर आती है। दिवाली में पटाखे भी फूटते हैं और रोशनी होती है। कहा जाता है कि दिवाली पैसे वालों का त्यौहार है। हमारे जितने भी त्यौहार हैं। वह कहीं ना कहीं कृषि से जुड़े हैं, क्योंकि नई फसल आती है, इसलिए दिवाली होती है। दिवाली धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़ी है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम इसी दिन अयोध्या लौटे थे और वहां दिवाली मनाई गई थी। दिवाली मनाने के कई कारण हैं। अलग-अलग जगह पर अलग-अलग कारणों से दिवाली मनाई जाती है। हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली है। इससे पहले लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मगर, यह जरूरी नहीं है कि हर आदमी बेहतर ढंग से दिवाली मना पाए। नए कपड़े पहन ले, नए-नए पकवान खा ले और पटाखे फोड़ ले। सबके हिस्से में ऐसा नहीं होता है। एक शेर है-
‘सोचा था तुम्हें चांद सितारे लाकर दूंगा पर
हाथ की चंद लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं।।
लोग सोचते बहुत कुछ हैं पर उनकी व्यय क्षमता वैसी नहीं होती। उनकी जेब में पैसा नहीं होता और वह उस तरह से दिवाली नहीं माना पाते हैं, जैसा कि संपन्न लोग मनाते हैं या जिनके घरों में लक्ष्मी का वास है। दिवाली में गिफ्ट या तोहफे देने की परंपरा है। यह परंपरा सभी जगह देखने को मिलती है। एक कंपनी में कर्मचारियों को उसका मालिक उपहार देता है। सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के रूप में कुछ राशि देती है, बोनस मिलता है। अब तो सरकार अपनी कल्याणकारी योजना के माध्यम से बहुत सारे तोहफे देती है। सोने पर सुहागा यह है जब ऐसे समय में चुनाव भी घोषित हो जाए तो इस समय सरकार के तोहफे देने का सिलसिला कुछ ज्यादा ही हो जाता है। हमारे यहां सदियों से परंपरा चली आ रही है कि उपहार देने से आपसी रिश्ते में प्रेम बढ़ता है। हर किसी को जन्मदिन पर भी इसलिए गिफ्ट देते हैं या त्योहार पर गिफ्ट देते हैं तो उनको लगता है कि यह हमारा ध्यान रखना है। हमारे लिए कुछ ना कुछ ला रहे हैं। कंपनियां भी इस अवसर पर अपने-अपने उत्पाद पर कुछ छूट देती हैं। दिवाली के बहाने कई तरह को उपहार दिए जा रहे हैं। बाजार अपनी ओर लोगों को आकर्षित कर रहा है।
किसानों को मोदी सरकार ने दिवाली पर बड़ा गिफ्ट दिया है। सरकार ने रबी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी बढ़ा दी है। सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए रबी की 6 फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस फैसले के तहत अलग-अलग फसलों के एमएसपी में वृद्धि की गई है, जिससे किसानों को उनकी फसलों के बेहतर दाम मिल सकेंगे। सरकार ने यह कदम किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य दिलाने के मकसद से उठाया गया है। इसके तहत गेहूं के एमएसपी में 150 रूपये की बढ़ोतरी की गई है। गेहूं का एमएसपी 2,425 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले 2,275 था। गेहूं के एमएसपी में 30 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। जौ का एमएसपी 1,980 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले 1,850 था। चना के एमएसपी में 210 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। चना का एमएसपी 5,650 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले 5,440 था। मसूर के एमएसपी में 275 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। मसूर (लेंस) का एमएसपी 6,700 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले 6,425 था। सरसों के एमएसपी में 300 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। सरसों का एमएसपी 5,950 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले 5,650 था। कुसुम (सनफ्लॉवर) के एमएसपी में 140 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। कुसुम (सनफ्लॉवर) का एमएसपी 5,940 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले 5,800 था। दिवाली से पहले छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मियों को राज्य सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सरकारी कर्मियों के महंगाई भत्ते में 4 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया। अब तक राज्य के कर्मचारियों को 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलता था, जो बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा। कर्मचारियों को यह लाभ 1 अक्टूबर से मिलेगा। इसी तरह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डीए में 3 फीसदी बढ़ोतरी और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तनख्वाह में सालाना कुल 9448 करोड़ रुपये जुड़ेंगे। महाराष्ट्र सरकार ने भी राज्य में आचार संहिता लागू होने से पहले कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहन्मुंबई नगर निगम यानी बीएमसी के कर्मचारियों के लिए भारी बोनस का ऐलान किया है। इसके अलावा किंडरगार्टन टीचर्स और आशा वर्कर्स को भी दिवाली बोनस दिया जाएगा। दीवाली पर केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण खुशखबरी दी है। सरकार ने 250 करोड़ रुपये का बजट आवंटन कर दिया है, जिसके तहत अनुसूचित जनजाति उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत बकाया राशि का शीघ्र भुगतान किया जाएगा।
कोई भी किसी को गिफ्ट या उपहार दे सकता है। इस पर कोई प्रतिबन्ध भी नहीं है। लेकिन जिस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा होती है, वह है एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को उपहार देने पर आयकर के प्रावधान क्या है? अगर आपको किसी भी रिश्तेदार से उपहार मिलता है तो वह कर योग्य नहीं होता है। रिश्तेदार की परिभाषा आयकर कानून में दी गई है, वह बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त गिफ्ट को लेकर आयकर के प्रावधान हैं। रिश्ते में नहीं आने वाले व्यक्तियों से मिले कुछ गिफ्ट भी करमुक्त होते हैं। पहले सामान्य गिफ्ट की चर्चा करें, तो वे गिफ्ट जो कि आपको गैर रिश्तेदारों से मिले हैं। किसी एक व्यक्ति को पूरे साल में इस तरह के गिफ्ट चाहे एक व्यक्ति से मिले हो या एक से अधिक व्यक्ति से मिले हुए जिनकी कुल राशि 50 हजार रुपये से अधिक नहीं है, तो ये गिफ्ट आय में नहीं जुड़ते हैं। यदि यह कुल राशि 50 हज़ार रुपये से अधिक है तो फिर यह सारी राशि कर योग्य होगी। अगर आपको एक गैर रिश्तेदार से 30 हजार रुपये और दूसरे व्यक्ति से 35 हजार रुपये का गिफ्ट मिला है। दोनों व्यक्ति आपके रिश्तेदार नहीं है और यह राशि 50 हजार रुपये से अधिक है। इसलिए यह पूरा 65 हजार रुपये आपकी आय में जुड़ेगा। उस पर आपको कर देना होगा।
एक परंपरा होती है जो बहुत पहले से चली आ रही है। उसे कहते हैं नजराना, शुकराना और जबराना। सरकार में बहुत लोग हैं और कामकाज होता है या किसी बड़े व्यक्ति से हमलोग मिलने जाते हैं उनके यहां अगर कोई फसल हुई है या कोई फल-फूल हुआ है या सब्जी हुई है या जो कुछ भी उनके पास होता है तो मिलने के दौरान उनको भेंट करते हैं। इसे कहा जाता है नजराना। उसके बाद अगर किसी ने कोई काम उनको बताया है और वह काम हो जाता है तो काम होने के बाद लोग जाते हैं और व्यक्ति को धन्यवाद करते हैं। इसे कहते हैं कि शुकराना है। लोग उनको कहते हैं कि आपने हमारा काम कर दिया। यह अलग बात है कि वह व्यक्तिे उससे कुछ लेता है या नहीं लेता है या कहता है कि यह तो मेरी जिम्मेदारी है। मुझे आपसे किसी प्रकार का कोई गिफ्ट नहीं चाहिए। पर एक होता है जबराना। जिसे लोग जबरन किसी भी व्यक्ति से सरकारी दफ्तर या दूसरे जगह पर यह कहकर लेते हैं कि हम आपका काम कर रहे हैं। आपकी फाइल रोककर रखेंगे। आपका काम नहीं होने देंगे। टेंडर नहीं लेने देंगे आदि के नाम पर वसूली करता है। अगर वह आपको किसी भी प्रकार का लाभ दे रहे हैं भले ही वह आपका व्यक्तिगत पीएफ निकल रहे हैं। छुट्टी कर रहे हैं या कोई एडवांस मिल रहा है या कोई लोन ले रहे हैं या कोई मुआवजे की राशि है। इस पर हम आए दिन पढ़ते हैं कि जबरदस्ती पैसे वसूले जाते हैं। यह जबराना हमारी परंपरा में नहीं है, लेकिन कुछ लोग इस तरह करते हैं। दिवाली के समय भी इसी तरह का माहौल देखने को मिलता है जो लोग किसी का काम करते हैं तो उसके बदले उपहार लेते हैं या जो लोग किसी का काम करवाते हैं तो उसको उपहार देते हैं। वहां के ठेकेदार और बाबू विभाग के बड़े अधिकारियों को दिवाली के नाम पर उपहार दिया करते हैं। अलग-अलग तरह से जिसकी जितनी हैसियत होती है लोग ले जाकर गिफ्ट देते हैं।
पहले तो ऐसा होता था कि बहुत सारे घरों में बच्चों को दिवाली पर नए कपड़े मिलते थे। अब यह चलन धीरे-धीरे खत्म हो गया। अब सालभर कई लोगों की दिवाली है। साल भर लोग पकवान बनाते हैं। इतनी सारी सर्विसेज है जो चाहे चीज घर बैठकर मंगवा लेते हैं और दिवाली पर लोग कहीं भी रहें। दूरदराज कमाने गए हैं। कमाने-खाने को नौकरी के लिए गए हो। वे दिवाली पर अपने घर लौटते थे, क्योंकि दिवाली का त्यौहार घर पर आकर मनाते थे। इसी तरह एक-दूसरे को गिफ्ट देते थे। घर का बड़ा सदस्य दिवाली पर घर के सभी सदस्यों को कुछ न कुछ चीजों को उपहार के रूप में देता था और दिवाली हंसी-खुशी के साथ मनाई जाती थी। अब सरकारी भी अपने कर्मचारियों को और किसानों को सौगात के रूप में दे रही है तो कहीं 137 साल पुराना पुल वहां नया पुल बनाने का फैसला भी एक प्रकार से जनता को एक समर्पण है। जनकल्याण के काम कोई गिफ्ट नहीं है या सरकार की मेहरबानी नहीं है। अगर नेता किसी को कोई सौगात देता है तो वह अपने पास से नहीं देता है बल्कि सरकार के पास जो धन है, वह जनता का है और बजट में प्रावधान होता है। उसी की घोषणा करता है, पर लोग कहते हैं कि सरकार ने करोड़ों की सौगात दी है। सरकार कोई प्रावधान करती है तो उसे भी उपहार का नाम दिया जाता है। उसे भी हम सौगात मानते हैं। यह कहते हैं कि लोगों को तोहफा आया है। तोहफा क्षेत्र के लोगों को तोहफा दिया है। जब नेता मंच से किसी प्रकार की घोषणा नहीं करता है तो लोग निराश भी होते हैं। वह उम्मीद करते हैं कि नेता और मंत्री उनके क्षेत्र के लिए आए हैं तो कुछ न कुछ देकर जाए और ऐसा होता भी है। लोगों की अपेक्षा इसी तरह बढ़ती है। क्या-क्या सौगात मिलेगी? बहरहाल, हम बात कर रहे हैं दिवाली में मिलने वाले तोहफों की। दिवाली में तोहफे देने का चलन है और लोग देते भी हैं, ताकि लोग खुशियां मना सके। मगर, यह भी सही है कि तोहफा जबरदस्ती नहीं लिया-दिया जा सकता है। देने वाला अपने मन से देता है। जिसकी जितनी हैसियत होती है उतना देता है। अगर वह तोहफा नहीं भी दे पता है तो ढेर सारा आशीर्वाद देता है, दुआएं देता है। बहुत लोगों को दुआओं की भी जरूरत है। आशीर्वाद की जरूरत है। उनकी सद्भावनाओं की जरूरत है, इसीलिए हम दिवाली में तमसो मा ज्योतिर्गमय की बात करते हैं, ताकि जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएं। हमारे जीवन में उजाला भरे। दिवाली भी सभी के लिए अपने-अपने हिस्से का उजाला लेकर आएगी। यह रोशनी सभी को उजाला देगी। जिस तरह सूरज सभी को रोशनी देता है। चांदनी सबको शीतलता देती है। उसी तरह दिवाली पर दीये की रोशनी भी हमारे हृदय में जलने वाली दीये की तरह होगी और यह खुशियां चारों ओर फैलेगी।

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