Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से- परलोक के साथ अब इस लोक की भी चिंता

-सुभाष मिश्रभारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक और मिथक कथाओं में शरीर को नश्वर और आत्मा को अमर माना है। बहुत सारे ...

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पत्रकार सुरक्षा कानून की तरह शासकीय सेवक सुरक्षा कानून भी जरूरी

छत्तीसगढ़ का समाज और शासन व्यवस्था हमेशा लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा का सम्मान करने वाला रहा है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है, और राज्य स...

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बिहार का चुनाव और तनाव

बिहार फिर चुनावी तपिश में है। यहां चुनाव महज़ लोकतंत्र का पर्व नहीं, बल्कि जाति, वर्ग, रोजगार और सत्ता के समीकरणों का संघर्ष भी होता है। हर बार की तरह इस बार ...

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क्या यह जातिगत मानसिकता का हमला है?

6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की एक सुनवाई के दौरान जो दृश्य उभरा, उसने न केवल न्यायालयीन गरिमा को हिलाकर रख गया बल्कि हमारे समाज के भीतर चल रहे गहरे तनाव-ल...

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सनातनी मानसिकता की चोट, सुप्रीम कोर्ट घायल

भारत में लोकतंत्र की नींव न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आधारित है, जो सत्ता, धर्म, राजनीति और समाज के बीच संतुलन बनाए रखती है। जब इस स्वतंत्रता पर हमला होता है...

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दवा बनी ज़हर : विश्वास का घूँटता गला

कभी दवा पर लिखा होता था—'आपके स्वास्थ्य की रक्षा हेतु। पर आज यही दवा जीवन छीनने का औजार बन चुकी है। देश के कई हिस्सों में बच्चों की मौत का कारण बनी 'कोल्ड्रिफ...

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