स्त्री का मौन और विनोद कुमार शुक्ल की कोमल पितृसत्ता

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – नया साल: उम्मीद, आत्मबोध और उत्तरदायित्व

सुभाष मिश्रवर्ष 2026 का हम स्वागत कर रहे हैं अपने प्रिय कवि स्वर्गीय विनोद कुमार शुक्ल जिनका जन्मदिन भी है, उनक...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – अलविदा 2025 : जाते हुए लम्हों, जऱा ठहरो

-सुभाष मिश्रदिसंबर की आखिरी सांझ जब कैलेंडर का एक और पन्ना पलटने को होता है, तब समय केवल तारीख़ नहीं बदलता—वह ह...

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 नए साल की दस्तक और हड़ताल की आहट

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – नए साल की दस्तक और हड़ताल की आहट

-सुभाष मिश्रनया साल आम तौर पर उम्मीदों, संकल्पों और नई शुरुआत का प्रतीक होता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में 2026 का आग़ाज़ कर्मचारियों के लिए हड़ताल और टकराव के माहौ...

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याद किए गए महान शायर मिर्जा़ गालिब

रायपुर। नए साहित्यिक सांस्कृतिक समूह 'लोकमित्र' ने विगत 27 दिसंबर 2025 को हर्ष और उत्साह के साथ, एक वैविध्यपूर्ण कार्यक्रम के जरिए, महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब क...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – कहने को तो हैं दुनिया में सुखऩवर बहुत अच्छे

-सुभाष मिश्रमिर्जा असद-उल्लाह बेग ख़ाँ, जिन्हें दुनिया मिर्जा ग़ालिब के नाम से जानती है, को याद करना किसी एक शा...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से- शास्त्र की परंपरा, प्रवचन का उभार और राजनीति का प्रवेश

-सुभाष मिश्रभारतीय समाज की बुनियाद जिस बौद्धिक उदारता पर टिकी रही है, उसका सबसे जीवंत रूप शास्त्रार्थ की परंपरा...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सात फेरों की नहीं, अनुबंध की शादी

-सुभाष मिश्रविवाह भारतीय समाज में कभी केवल दो व्यक्तियों के बीच का निजी संबंध नहीं रहा। यह एक संस्कार था—जहां परिवार, समाज और धर्म साझी भूमिका निभाते थे। अग्न...

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अटल के आईने में आज की भाजपा, अटल से मोदी तक

सुभाष मिश्रभारतीय राजनीति में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जो अपने समय से आग...

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वेतनमान की दुहाई, बाज़ार की बन आई

Demand for pay scale : बाज़ार की बन आई

‘हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिनदिल को खुश रखने के लिए ग़ालिब खय़ाल अच्छा है।’यह पंक्ति ...

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