Bhatapara Latest News : तेजी से घट रहा है परंपरागत झाड़ू- बुहारी का बाजार संकट में……

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राजकुमार मल

Bhatapara Latest News :  संकट में झाड़ू- बुहारी का बाजार

 

Bhatapara Latest News :  भाटापारा- चलन में है फूल और छिंद झाड़ू, लेकिन कीमत अब दोगुनी हो चली है क्योंकि जरूरी घास और पत्तियां तेजी से खत्म हो रहीं हैं। कुछ ऐसा ही हाल खरारा में भी देखा जा रहा है, जिसकी प्रति नग खरीदी के लिए अब 50 से 70 रुपए तक देने पड़ रहें हैं।

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तेजी से घट रहा है परंपरागत झाड़ू- बुहारी का बाजार। मैदान छोड़ने के लिए विवश हैं वह हाथ, जो इसे बना और बेच रहे हैं। यह इसलिए क्योंकि प्लास्टिक ने इस क्षेत्र को बेतहाशा नुकसान पहुंचाया है। रही- सही कसर जरूरी वनोपज की घटती उपलब्धता पूरी कर रही है। यही वजह है कि कीमत दोगुनी से भी आगे बढ़ चुकी है।

मांग में है छिंद लेकिन…

स्थानीय स्तर पर बनाई जाती है छिंद की झाड़ू। भले ही शहरी मांग कम हो रही हो लेकिन ग्रामीण खरीदी ने इसे बचाए रखा है। मजबूत सहारा बने हुए हैं, वे फेरी वाले जो, इसकी बिक्री गांव-देहातों तक पहुंचकर, कर रहे हैं। यह क्रम भी कीमत को बढ़ाए हुए हैं। कीमत प्रति नग 20 से 40 रुपए।
– खत्म होते छिंद के वृक्षों की वजह से जरूरी पत्तियों की उपलब्धता लगातार घट रही है। यही वजह है कीमत बढ़ चुकी है।

शहरी मांग में तेज गिरावट

शहरों की मांग तो फूल झाड़ू में है लेकिन तेज गिरावट का सामना कर रही है। प्लास्टिक के झाड़ू तेजी से इसकी जगह छीन रहे हैं। लिहाजा अब यह प्रदर्शन मात्र की सामग्री बनने लगे हैं। ऐसे में इकाइयां बना तो रहीं हैं लेकिन उत्पादन घटकर आधी रह गई है। कीमत- 60 से 150 रुपए प्रति नग।
– असम के घास के मैदान में तैयार होने वाली घास की यह प्रजाति खत्म होने की कगार पर है। इसलिए कीमत तेज हो चुकी है।

संकट में खरारा

Bhatapara Latest News :  तमिलनाडु से होती है खरारा की आपूर्ति। स्थानीय स्तर पर भी बनाए जाते हैं। बड़ी उपभोक्ता मांग वाले क्षेत्र स्थानीय निकाय प्रशासन हैं लेकिन जरूरी गुणवत्ता वाले बांस की खरीदी खुले बाजार से करनी पड़ रही है। कीमत ज्यादा देने की वजह से खरारा की खरीदी पर प्रति नग 50 से 60 रुपए देने पड़ रहे हैं। बीते सीजन में यह 20 से 40 रुपए था।

 

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– बांस डिपो से अब ऐसे बांस की आपूर्ति बंद हो चुकी है। इसलिए खरारा बनाने वालों को खुले बाजार से बांस की खरीदी करनी पड़ रही है।

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