Womens day – महिला सशक्तिकरण : स्वच्छता की मिसाल बनी कोरिया के बुढ़ार गांव की महिलाएं

घर-घर से कचरा इकट्ठा कर महिला समूह ने कमाए 22 हजार रुपए,गांव को बनाया स्वच्छ

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर 

कोरिया जिले के बैकुंठपुर जनपद की ग्राम पंचायत बुढ़ार में स्वच्छता की एक नई मिसाल कायम हुई है। अंजली बाई, हिरामनी, मित्तल बाई और लीलावती दीदी ने अपनी मेहनत से गांव की तस्वीर बदल दी है।

सरपंच पुरन सिंह पैकरा ने स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित होकर गांव को आदर्श पंचायत बनाने का लक्ष्य रखा। इन महिलाओं ने इस पहल का नेतृत्व किया। शुरुआत में उन्हें गांव वालों का साथ नहीं मिला। कई लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया। लेकिन इन दीदियों ने हिम्मत नहीं हारी। महिलाओं ने घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। उन्होंने समझाया कि कचरे का सही निपटान स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। धीरे-धीरे लोगों का सहयोग मिलने लगा।

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कचरे से हुई आमदनी, गांव की स्वच्छता में इस्तेमाल

पंचायत ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत महिला समूह को रिक्शा दिया। अब ये महिलाएं हर बुधवार और शनिवार को घरों से कचरा एकत्र करती हैं। इसे सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर में ले जाया जाता है। वहां कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाता है। इस पहल से आर्थिक फायदा भी हुआ है। महिला समूह ने पिछले कुछ महीनों में 350 किलो सूखा कचरा और 57 किलो प्लास्टिक कचरा बेचा। इससे उन्हें 22 हजार रुपए की आमदनी हुई। इस पैसे का इस्तेमाल गांव की स्वच्छता सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जा रहा है।

इन दीदियों की मेहनत और ग्रामवासियों के सहयोग से ग्राम पंचायत बुढ़ार को 14 अगस्त 2024 को ओडीएफ प्लस मॉडल पंचायत घोषित किया गया। यह सफलता दिखाती है कि जब महिलाएं आगे बढ़ती है, तो केवल उनका परिवार ही नहीं, पूरा गांव सशक्त होता है। जिला कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा-स्वच्छता केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक आदत होनी चाहिए। जल, जंगल और जमीन को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करना हम सभी की जिम्मेदारी है। बुढ़ार की ये महिलाएं पूरे जिले के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है। जिला पंचायत सीईओ डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा, गांव की ये महिलाएं न केवल अपने गांव को स्वच्छ बना रही है, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा देने में सफल हो रही हैं। अंजली बाई, हिरामनी, मित्तल बाई और लीलावती दीदी जैसी महिलाएं यह साबित कर रही है कि यदि संकल्प और मेहनत हो, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं है। उनकी यह पहल न सिर्फ गांव को स्वच्छ बना रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि महिला नेतृत्व समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

ग्राम बुढ़ार की ये महिलाएं साबित कर रही हैं कि जब नारी ठान ले, तो बदलाव अवश्य संभव होता है। महिला दिवस के इस अवसर पर ये दीदियां न केवल अपने गांव बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

 

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