-सुभाष मिश्र
हमारे देश और छत्तीसगढ़ में हाल के वर्षों में अपराध के मामलों में वृद्धि देखी गई है जो समाज में बढ़ती हिंसा और घटती संवेदनशीलता का प्रतीक हैं। अपराध को जिस तरह से महिमा मंडित किया जाता है और अपराधी किन्ही भी कारणों से बच निकलते हैं और उन्हें लेकर समाज में जिस तरह का तिरस्कार भाव होना चाहिए, वह नहीं होता वहीं उल्टे उन्हें कई बार राजनीतिक और सामाजिक संरक्षण मिलता है तो ना केवल उनके हौसले बुलंद होते हैं बल्कि उन्हें देखकर बहुत से युवा भी इससे आकर्षित होकर अपराध की ओर कदम बढ़ाते दिखते हैं। पूरे देश में सबसे ज़्यादा हिंसा की शिकार महिलाएं होती है। यदि हम घरेलू हिंसा और बलात्कार हत्या की घटनाएं देखें तो यह आँकड़ा हमें चौंकाता है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। इस सत्र में छत्तीसगढ़ जो एक शांत राज्य माना जाता है, वहां बढ़ते अपराध पर चिंता जाहिर की गई है। कांग्रेस के विधायक व पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने रायगढ़ जिले सहित प्रदेश में जनवरी 2024 से 2025 तक हत्या, लूटपाट, अपहरण, चोरी, डकैती और बलात्कार के दर्ज मामलों के संबंध में सवाल किया। इसके साथ अपराध को रोकने के लिए किए गए उपायों की जानकारी मांगी। गृह मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में साल 2024 से 2025 के बीच हत्या के 1114, लूट के 458, अपहरण के 3644, चोरी के 7960, डकैती के 56 और बलात्कार के 3191 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें रायगढ़ जिला हत्या के मामले में तीसरा, लूट में पांचवा, अपहण में दसवां, चोरी में पांचवा, डकैती में पांचवा और बलात्कार के मामले में छठवें स्थान पर है।
रायपुर डकैती को छोड़कर हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार के मामलों में राजधानी बना हुआ है। यहां पिछले एक साल में हत्या के 93, लूट के 80, अपहरण के 515, चोरी के 1645, डकैती के 9 और बलात्कार के 268 केस दर्ज किए गए। इन सब आंकड़ों में बलात्कार के आंकड़े सबसे ज्यादा चौंकाने वाले हैं। प्रदेश में एक साल के भीतर बलात्कार के 3191 केस दर्ज किए गए हैं। इस हिसाब से रोज प्रदेश में 8 से 9 महिलाएं हवस का शिकार बन रही है। इस तरह से छत्तीसगढ़ में हर 3 से 4 घंटे में महिला के साथ दुष्कर्म हो रहा है।
छत्तीसगढ़ में अपराध का ग्राफ बढ़ा है जिसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है। हर तीन घंटे में एक महिला दुष्कर्म का शिकार हो रही है। सिर्फ बलात्कार ही नहीं हत्या, लूट, अपहरण जैसे अपराधों के मामलों में भी रायपुर प्रदेश में सबसे आगे है। आंकड़ों के मुताबिक, दुष्कर्म के मामले में रायपुर पहले पायदान पर है, जबकि बिलासपुर दूसरे और कोरबा तीसरे नंबर पर है।
प्रदेश की राजधानी रायपुर डकैती को छोड़कर हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार के मामलों में भी राजधानी बना हुआ है। यहां पिछले एक साल में हत्या के 93, लूट के 80, अपहरण के 515, चोरी के 1645, डकैती के 9 और बलात्कार के 268 केस दर्ज किए गए हैं। 2024 में 247 और इस साल यानी 2025 में अब तक 21 मामले रेप के सामने आए हैं।
हरियाणा के रोहतक में कांग्रेस की महिला नेता हिमानी नरवाल की बेरहमी से हत्या करके उनकी लाश के टुकड़े करके उसे सोपला बस स्टैंड के पास नीले सूटकेस में रख दिया गया।
बिलासपुर के मस्तूरी क्षेत्र के देवगांव में अंधविश्वास के चलते पिता, दो भाई समेत चार लोगों ने मिलकर भूत चढऩे होने के आधार पर सरोज खांडेकर की भूत उतारने के नाम पर मार-मार कर हत्या कर दी।
बेमेतरा के किरीतपुर में एक 45 वर्षीय व्यक्ति को शराब नहीं लाने की वजह से पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया। योगेश चौहान, रामकैलाश पांडे और महेश साहू नामक तीन व्यक्ति एक जगह बैठकर शराब पी रहे थे। शराब खत्म होने पर योगेश ने राम कैलाश को शराब लाने कहा मना करने पर विवाद हुआ। इसके बाद योगेश ने पानी की बोतल में पेट्रोल खरीदकर राम कैलाश पर डालकर आग लगा दी। अस्पताल में बयान के बाद राम कैलाश की मौत हो गई।
रायपुर के चंगोराभाटा क्षेत्र में सड़क पर केक काटने और आतिशबाजी करने के आरोप में मेयर मीनल चौबे के बेटे मेहुल को गिरफ्तार किया गया। बेटे की करतूत पर मां को सार्वजनिक माफी मांगना पड़ी। इसके कुछ दिन बाद कांग्रेस के एक पदाधिकारी को भी इसी तरह की हरकत के लिए जेल जाना पड़ा था। इसके लेकर भाजपा-कांग्रेस के बीच राजनीति गरमा गई है। जिसमें कांग्रेस कह रही है कि हमारे नेता को जेल, मेयर के बेटे को बेल।
दरअसल यह घटना युवाओं में बढ़ती दिखावा संस्कृति का प्रतीक है। युवा अपना रुतबा दिखाने, माचो मैन अपने और सोशल मीडिया पर चर्चित होने, अलग दिखने की गर्ज से ये सब करते हैं, उन्हें अपने माता-पिता का संघर्ष, सार्वजनिक जीवन और प्रतिष्ठा की भी परवाह नहीं होती।
अभी देश और प्रदेश में घटी हालिया अपराध की घटनाओं को देखें तो पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला इंटर्न डॉक्टर के साथ हुई हिंसा की घटना ने समाज में घटती संवेदनशीलता को उजागर किया है।
भारत में हाल के वर्षों में अपराध दर में उतार-चढ़ाव देखा गया है, जो समाज में संवेदनशीलता की घटती प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में भी चिंताजनक वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक सात वर्षीय लड़की के साथ दो नाबालिग लड़कों (सात और आठ वर्ष) द्वारा सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया। यदि हम देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की स्थिति पर नजऱ डालें तो हमें पता चलता है कि 2023 में घरेलू हिंसा के 1,00,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। दहेज उत्पीडऩ के मामले में भी हम पीछे नहीं हैं। दहेज की मांग को 2023 में 8,000 से अधिक महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी। नये कि़स्म के साइबर अपराधों में महिलाएं ही ज़्यादा प्रताडि़त हो रही है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, धमकी और अश्लील सामग्री के जरिए परेशान करने के मामले हृष्टक्रक्च की रिपोर्ट में उजागर हुए हैं। दिल्ली हृष्टक्रक्च की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति लाख जनसंख्या पर संज्ञेय अपराधों की उच्चतम दर 1,518.2 दिल्ली में दर्ज की गई, जिससे यह देश की क्राइम कैपिटल कहलाती है। कोलकाता-इसके विपरीत, महानगरों में प्रति लाख जनसंख्या पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज करते हुए कोलकाता लगातार तीसरे वर्ष भारत का सबसे सुरक्षित शहर बनकर उभरा है। साइबर अपराधों में वर्ष 2021 के 52,974 मामलों से 24.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2022 में कुल 65,893 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से अधिकांश साइबर धोखाधड़ी (64.8 प्रतिशत) के मामले हैं, इसके बाद ज़बरन वसूली (5.5 प्रतिशत) और यौन शोषण (5.2 प्रतिशत) के मामले आते हैं। 2022 में भारत में आत्महत्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। कुल 1.7 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए जो 2021 की तुलना में 4.2 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि को दर्शाते हैं। प्रमुख कारणों में पारिवारिक समस्याएं विवाह संबंधी समस्याएं दिवालियापन और ऋणग्रस्तता, बेरोजग़ारी एवं पेशेवर मुद्दे तथा बीमारी शामिल है।
बढ़ते अपराध और घटती संवेदना के बीच हमें यह देखना होगा कि अपराधों का महिमामंडन ना हो और ना ही अपराधियों को बक्शा जाए। अपराधी यदि वाक़ई किसी अपराध के लिए जि़म्मेदार हैं तो पद, पार्टी पॉवर देखकर उसके साथ रियासत ना की जाए। युवाओं को सही तरह की काउंसिल भी ज़रूरी है ताकि वे हिंसा, अपराध की ओर अग्रसर ना हों।