-सुभाष मिश्र
छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानि पीडीएस की सराहना पूरे देश में हुई। इस मॉडल को देखने , अध्ययन करने और अपनाने के लिए बहुत से राज्य के अधिकारी आये। राज्य के पीडीएस को दिल्ली में पुरस्कार मिले, फिर ऐसा क्या हो गया कि राज्य शासन द्वारा उपभोक्ताओं को 3 माह का राशन एक साथ देने के निर्णय के बावजूद शहर के राशन दुकानों में आम आदमी की तकलीफ कम होने का नाम नहीं ले रही है। कहीं पर पॉस मशीन का सर्वर स्लो होने लगा तो आधे से पौन घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं कुछ राशन दुकानों में बीपीएल श्रेणी के चावल वितरण के लिए एक नहीं डबल लाइन लगाने की नौबत आ गई। गरियाबंद की एक उचित मूल्य दुकान का वीडियो सारी हकीकत बयान कर रहा है। एपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं के हिस्से का चावल कई राशन दुकानों में अब तक नहीं पहुंचा है।
यह वही छत्तीसगढ़ है जिसने पूर्व में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बेहतर संचालन, मॉनिटरिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर विकास और गांव-गांव तक खाद्यान्न वितरण के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है, जिसे केंद्र सरकार और अन्य राज्यों द्वारा सराहा गया है।
यदि हम इसकी उपलब्धियों की बात करें तो डिजिटल मॉनिटरिंग और सॉफ्टवेयर बाकी राज्यों के लिए रोल मॉडल कहा जाता रहा है। छत्तीसगढ़ ने पीडीएस को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और सॉफ्टवेयर लागू किए हैं। जैसे भौतिक सत्यापन ऐप और सोसाइटी मॉड्यूल जो धान खरीदी, टोकन सिस्टम और गेटपास प्रबंधन में मदद करते हैं। ई-पीओएस उपकरणों का उपयोग कर आधार-आधारित प्रमाणीकरण किया जाता है, जिससे 98 प्रतिशत खाद्यान्न सही लाभार्थियों तक पहुंचता है। राज्य ने राशन कार्ड डिजिटाइजेशन और ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम को लागू किया, जिससे वितरण में पारदर्शिता बढ़ी।
गांव-गांव तक खाद्यान्न वितरण की बेहतरीन व्यवस्था की बहुत सालों तक सराहना हुई। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है, आपातकालीन और प्राकृतिक आपदा की स्थिति में प्रभावित व्यक्तियों को छह माह तक नि:शुल्क भोजन प्रदान किया जाता है।
मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना और अंत्योदय योजना के तहत प्राथमिकता वाले परिवारों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। जनवरी 2025 तक 8,55,558 सामान्य राशन कार्ड जारी किए गए। उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर खाद्यान्न वितरण को मजबूत किया गया, जिसमें जीपीएस आधारित ट्रैकिंग और रियल-टाइम मॉनिटरिंग शामिल है।
यही वजह है कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की पीडीएस को कुशल और पारदर्शी माना है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से छत्तीसगढ़ ने राशन कार्डों और लाभार्थियों का केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया, जो राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी को सुगम बनाया।
छत्तीसगढ़ में पीडीएस के तहत महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है, जिसमें राशन कार्ड परिवार की महिला मुखिया के नाम पर जारी किए जाते हैं।
इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद आज पूरे छत्तीसगढ़ में खाद्यान्न आपूर्ति को लेकर हाहाकार की स्थिति क्यों निर्मित हुई।
सरकार के तीन महीने का राशन एक साथ देने के निर्णय ने दुकानों पर भीड़ बढ़ा दी है। सरोना में उपभोक्ताओं को राशन कार्ड जमा करने के बाद दो दिन बाद राशन लेने के लिए बुलाया जा रहा है। गरियाबंद जिले में तीन महीने से राशन नहीं मिलने के कारण उपभोक्ताओं ने गेट तोड़कर हंगामा किया।
सरकार द्वारा तीन माह का चावल एक साथ वितरित किए जाने की योजना तो बनी, लेकिन जमीनी हकीकत में यह अव्यवस्था और लापरवाही की भेंट चढ़ गई। 81 लाख कार्डधारियों में से अब तक सिर्फ 55 लाख को चावल मिला है। तीन जून से शुरू हुए वितरण के तहत सात दिन में लगभग 30 लाख कार्डधारियों को चावल बांटा जाना है, नई पीओस मशीनें लगने के बाद से राशन दुकानों में वितरण की रफ्तार बेहद धीमी है। प्रतिदिन आठ घंटे में महज 60 कार्डधारियों को ही चावल मिल पा रहा है। इससे लंबी-लंबी कतारें और अव्यवस्था फैल रही है। रविवार और छुट्टियों में भी दुकानें खोली गईं, फिर भी लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा। एपीएल कार्डधारियों के लिए तों राशन का स्टाक ही उपलब्ध नहीं है। प्रदेश के 81,62,448 राशन कार्डधारियों में से अब तक केवल 55,19,338 कार्डधारियों को ही चावल मिल पाया है, जो कि 62.46 प्रतिशत वितरण दर्शाता है। यानी करीब 26 लाख कार्डधारी अब भी चावल से वंचित हैं। राजधानी में 6,45,928 कार्डधारी हैं, जिसमें से अब तक 4,27,685 को चावल दे चुके हैं।
वहीं नई व्यवस्था के कारण उपभोक्ताओं को परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है। उपभोक्ताओं को सुबह जल्दी से लाइन में लगना पड़ रहा है और कई बार राशन नहीं मिलने से वे खाली हाथ लौट रहे हैं। तीन महीने का राशन एक साथ देने का निर्णय अच्छा है, लेकिन इसके लिए दुकानों में पर्याप्त स्टॉक, कर्मचारी और तकनीकी संसाधनों की व्यवस्था नहीं की गई। दुकान संचालकों और उपभोक्ताओं के बीच संवाद की कमी के कारण तनाव और विवाद की स्थिति बन रही है। बीपीएल उपभोक्ताओं को राशन मिल रहा है, लेकिन एपीएल उपभोक्ताओं के लिए स्टॉक की कमी है। यह प्राथमिकता निर्धारण में असंतुलन को दर्शाता है।
रायपुर शहर की दुकानों का नजारा भी कुछ इसी तरह का है। जोन 02 नगर निगम जोन-1 क्षेत्र स्थित लालबहादुर शास्त्री वार्ड के लाभांडी में संचालित राशन दुकान में 10 दिन इंतजार के बाद राशन का चावल पहुंचा।
रायपुर के डीडीनगर सेक्टर 1, शांति विहार कॉलोनी और सरोना जैसे क्षेत्रों में राशन दुकानों में स्टॉक की कमी है। कई दुकानों पर नो स्टॉक का बोर्ड लगा है और एपीएल श्रेणी के चावल का स्टॉक अभी तक नहीं पहुंचा है। मंदिर हसौद और गुढिय़ारी से राशन की गाडिय़ों के आने में देरी के कारण आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
वितरण प्रणाली में आ रही दिक्कतों की वजह सर्वर का स्लो होना और तकनीकी दिक्कतें भी इसका बड़ा कारण है। पॉस मशीनों के सर्वर की धीमी गति के कारण राशन वितरण में देरी हो रही है। एक उपभोक्ता को राशन देने में आधा घंटा लग रहा है।
तीन महीने का राशन एक साथ देने के लिए तीन बार थंब इंप्रेशन की आवश्यकता के कारण प्रक्रिया और धीमी हो रही है। कुछ क्षेत्रों में सर्वर डाउन होने की शिकायतें भी हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत कमजोर वितरण वाले जिले में छत्तीसगढ़ के सुदूर और वनवासी जिलों की स्थिति और भी खराब है। नारायणपुर 37,827 कार्डधारी में मात्र 10,011, बीजापुर 76,087 में केवल 40,507, सुकमा 83,265 में 41,090 और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ 76,144 में सिर्फ 43,497 कार्डधारियों को ही अब तक राशन मिल सका है। वहीं थोड़ा बेहतर परफ़ॉर्मेंस करने वाले जिलों में दुर्ग, रायगढ़, बेमेतरा, धमतरी, मुंगेली, बालोद है।
खाद्य विभाग की सचिव रीनाबाबा साहेब कंगाले के अनुसार, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के हितग्राहियों को जून से 20 जुलाई तक तीन माह के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न और एकमुश्त परिवहन व्यय वितरण की अनुमति मांगी है। तीन माह का चावल नहीं बंट पाया। इसके लिए केंद्रीय सचिव ने 20 जुलाई तक समय मांगा है। मांग पूरी होने पर लगभग 56.78 लाख राशनकार्डधारी परिवारों को लाभ मिलेगा। इस अवधि में 3.41 करोड़ किलोग्राम अतिरिक्त खाद्यान्न का उठाव और वितरण किया जाएगा।
यदि आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना है तो इसके लिए गोदामों से दुकानों तक राशन की समयबद्ध डिलीवरी के लिए जीपीएस-आधारित ट्रैकिंग और बेहतर लॉजिस्टिक्स प्रबंधन लागू करना होगा। स्टॉक की नियमित मॉनिटरिंग और दुकानों में पहले से पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करना होगा।
तकनीकी सुधार की सख्त आवश्यकता है, सर्वर की गति बढ़ाने और डाउनटाइम कम करने के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करना होगा। नई ई-पीओएस मशीनों को जल्द से जल्द लागू करना और पुरानी मशीनों की मरम्मत करनी होगी।
राशन लेने की प्रक्रिया को सरल करना होगा। अभी तीन महीने के राशन के लिए तीन बार थंब इंप्रेशन की प्रक्रिया लागू है। जिसे सरल करना जैसे एकल प्रमाणीकरण या ऑफलाइन विकल्प प्रदान करना है। राशन वितरण के लिए समयबद्ध शेड्यूल बनाना और उपभोक्ताओं को पहले से सूचित करना होगा।