Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – ट्रंप जीतीस, कमला हारिस

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

पूरी दुनिया जिस चुनाव परिणाम के लिए टकटकी लगाए थी, उसका परिणाम आ गया। अमेरिका में एक बार फिर ट्रंप जीत कर आए है, ट्रंप की जीत के क्या मायने हैं? अगर हम जीत-हार को छत्तीसगढ़ी में कहें तो कहेंगे ट्रंप जीतीस-कमला हारिस। कमला का मूल नाम कमला हैरिस है, लेकिन अगर छत्तीसगढ़ी वह हारने वाली कैंडिडेट लगेंगी। कमला हैरिस के प्रति भारतीयों का लगाव इसलिए था, क्योंकि उनकी पृष्ठभूमि भारत थी, परंतु चुनाव ट्रंप जीते हैं। ट्रंप की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह मेरे मित्र हैं और ट्रंप भी उनके प्रति अपने मित्रता दिखाते हैं। इसके पहले जब ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे थे तब मैंने उस चुनाव को नजदीक से देखा, क्योंकि उस समय मैं अमेरिका में था। इस बार रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए। ट्रंप ने भारत यूएस संबंधों को मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। ट्रंप ने सरकार बनने पर साझेदारी बढ़ाने का दावा किया है. बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा की निंदा भी ट्रंप ने की थी। ट्रंप ने अमेरिका केंद्रीत ट्रेड पॉलिसी पर भी पर जोर दिया है और भारत पर व्यापार दबाव को कम करने का दबाव डालने का भी फैसला लिया है। भारत के लिए अमेरिका एक बहुत बड़ा बाजार है। चीन को लेकर भारत की चिंताएं ट्रंप की विचारधारा से मेल खाती है। ट्रंप के जीतने से भारत और अमेरिका के बीच सहयोग मजबूत होंगे। हालांकि ट्रंप की नीतियां भारत के क्षेत्रीय हितों को प्रभावित कर सकती है। अमेरिका चुनाव में इस बार ट्रंप और एलन मस्क की जोड़ी कमाल की रही। ट्रंप की जीत के बाद ऑस्ट्रेलिया के शेयर बाजार में बढ़ोतरी हुई, भारतीय टेक्नोलॉजी शेयरों में भी उछाल देखने को मिला। अमेरिकी चुनाव के नतीजे का दुनिया भर की इकोनॉमी पर असर पड़ा है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए में गिरावट आई है। चीनी युआन से लेकर कोरियन, मलेशिय, थाई में भी गिरावट आई है। चुनाव से पहले अमेरिका खुफिया एजेंसी ने रूस पर चुनाव प्रभावित करने का आरोप लगाया था। मगर, ट्रंप के राष्ट्रपति चुने के जाने के बाद रूस को कुछ अच्छा हो जाने की उम्मीद है। हालांकि यूक्रेन के लिए बुरी खबर होगी। 78 साल के ट्रंप बड़े कारोबारी हैं। उनके भारत में भी कई शहरों में कारोबार हैं। मुंबई, पुणे, गुरुग्राम और कोलकाता शहर में ट्रंप का कारोबार है। इस तरह से ट्रंप का राष्ट्रपति बनना निश्चित रूप से भारत के लिए लाभदायक है।
ट्रंप 267 इलेक्टोरल सीटों पर बढ़त बनाए। हालांकि, शुरुआत में पिछडऩे के बाद कमला हैरिस ने अंतर को कम किया है, लेकिन जीत से काफी दूर रही। कमला के खाते में 224 इलेक्टोरल सीट ही आई. यानी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप कार्ड चल गया है और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड की ऐतिहासिक जीत हुई। पूरे चुनाव में कमला चर्चा के केंद्र में रहीं और अंत में ट्रंप ने बाजी मार ली। अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं और राष्ट्रपति चुनाव में इन राज्यों में 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट होते हैं। किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 270 वोटों की जरूरत होती है। चुनाव में जिन 7 स्विंग स्टेट की सबसे ज्यादा चर्चा थी, वहां ट्रंप का जादू चला है। राष्ट्रपति चुनाव के साथ ही अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के भी चुनाव हुए हैं। इनमें सीनेट यानी ऊपरी सदन में ट्रम्प की पार्टी रिपब्लिकन ने जीत हासिल कर ली है। उन्हें 93 सीटों में से 51 सीटें मिली। बहुमत के लिए 50 सीटों की जरूरत थी। कांग्रेस के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रजेंटिव में डेमोक्रेट्स को 133 वहीं, रिपब्लिकन को 174 सीटें मिली है। इसमें 435 सदस्य होते हैं, इनका कार्यकाल दो साल के लिए होता है। इस चुनाव में ट्रम्प 4 साल बाद व्हाइट हाउस में वापसी करेंगे। ट्रम्प 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। वहीं, अगर कमला हैरिस फिलहाल अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और यूएस के संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है। दीवाली के खास मौके पर ट्रंप ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया था। साथ ही अपनी सरकार आने पर दोनों देशों के बीच की साझेदारी को और आगे बढ़ाने का वादा किया है। ट्रंप ने हाल ही में बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान हिंदुओं ओर अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा की भी कड़ी निंदा की थी। नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप की मित्रता है या भारत में हिंदुओं का पक्ष लेने की बात हो तो ऐसा लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से वह संबंध घनिष्ठ होंगे और निश्चित रूप से इसका लाभ भारत को मिलेगा। अमेरिका के डॉलर का पूरी दुनिया में डंका बजता है। अमेरिका बहुत सारी चीजों को तय करता है। दूसरे देशों की राजनीति में भी उसका हास्य होता है। उसके निर्णय से पूरी दुनिया में बहुत सारी चीज प्रभावित होती है। डोनाल्ड ट्रंप पहले भी राष्ट्रपति रहे हैं और उनके साथ कुछ कंट्रोवर्सी भी रही है, वह फिल्मों में भी काम करते रहे हैं। सार्वजनिक जीवन में भी बहुत सारी चीज ट्रंप को लेकर चर्चा में रही है। कई बार ऐसा लगता है कि इतने उम्रदराज ट्रंप क्या कुछ करेंगे? ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की केमेस्ट्री भी खूब चर्चा में रही है. दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध की बानगी कई हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में दिख चुकी है. 2019 में टेक्सास में हाउडी, मोदी! रैली में यह नजर आया था, जहां ट्रंप ने लगभग 50,000 लोगों के सामने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की मेजबानी की थी। यह किसी विदेशी नेता के लिए अमेरिका में अब तक की सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी मेहमाननवाजी दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में की थी. इस दौरान 1 लाख 20 हजार से भी ज्यादा लोग अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए मौजूद थे। दोनों नेताओं के बीच तालमेल सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है। दोनों के राष्ट्रवादी विचार भी तकरीबन एक जैसे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंडिया फ़स्र्ट विजन और डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फस्र्ट नीति काफी मिलते-जुलते हैं, जिसमें दोनों नेता घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा पर जोर देते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला प्रशासन साफतौर पर अमेरिका केंद्रित ट्रेड पॉलिसीज पर ही जोर देगा। साथ ही भारत पर व्यापार बाधाओं को कम करने और टैरिफ का सामना करने का दबाव डालेगा। ऐसे में भारत का आईटी, फ़ार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकता है। इसी साल सितंबर में ट्रंप ने आयात शुल्क के मामले में भारत को एब्यूजर यानी दोहन करने वाले की संज्ञा दी थी। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें शानदार व्यक्ति बताया था। मिशिगन के फ्लिंट में एक टाउन हॉल के दौरान, व्यापार और शुल्कों पर चर्चा करते हुए ट्रंप ने कहा था कि इस मामले में भारत एक बहुत बड़ा एब्यूजर है, ये लोग सबसे चतुर लोग हैं. वे पिछड़े नहीं है। भारत आयात के मामले पर शीर्ष पर है, जिसका इस्तेमाल वह हमारे खिलाफ करता है।
भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए अमेरिका एक बहुत बड़ा बाजार है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका से 42.2 बिलियन डॉलर की वस्तुओं का आयात किया था। वहीं, भारत ने अमेरिका में तकरीबन 77.52 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। ट्रंप ने ये भी कहा था कि आयात शुल्क के मामले में भारत बहुत सख्त है, ब्राजील बहुत सख्त है। चीन सबसे ज्यादा सख्त है, लेकिन हम शुल्कों के साथ चीन का ख्याल रख रहे थे, ऐसे में अगर ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कंपनियों को अपनी सप्लाई चेन कहीं और ले जाने और चीन पर निर्भरता कम करने को प्रोत्साहित करता है तो यह भारत के पक्ष में काम कर सकता है। ऐसे में भारत अनुकूल नीतियों के साथ अधिक अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित कर सकता है, जिससे आर्थिक संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, ट्रंप प्रशासन भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने को लेकर भी दबाव बना सकता है। ट्रंप के आने से बहुत सारी संभावनाएं बन रही है। चीन को लेकर भी बहुत सारी बात हो रही है, चूंकि चीन नई आर्थिक ताकत के रूप में उभरा है तो निश्चित रूप से चीन और अमेरिका के संबंध थोड़े बिगड़े हैं। अभी अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण है. कई बार इनके बीच में तनावपूर्ण बातचीत और संवाद होता है।
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनाव के बीच अतिरिक्त संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री और टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकते हैं। इमिग्रेशन पर डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबंधात्मक नीतियों, विशेष रूप से एच-1बी वीजा प्रोगाम ने अमेरिका में भारतीय प्रोफेशनल्स पर काफी ज्यादा प्रभाव डाला है। ऐसी नीतियों की वापसी से भारतीयों के लिए अमेरिका जॉब मार्केट में नौकरी हासिल करना थोड़ा कठिन हो जाएगा। पिछले दिनों भी अमेरिका में भारतीयों को इमीग्रेशन के मामले में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा था। भारतीय मूल के बहुत सारे लोग अमेरिका में रहते हैं. कनाडा के साथ भी आजकल हमारे संबंध थोड़े तनावपूर्ण है, ऐसे में ट्रंप किस प्रकार की नीति अपनाते हैं? हमारा पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान के साथ भी ट्रंप ने काम करने की इच्छा जताई है, लेकिन संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए आतंकवाद विरोधी प्रयासों में जवाबदेही पर जोर दिया। हालांकि, ट्रंप के ताकत के जरिए शांति मंत्र के कारण अमेरिका आतंकवाद और उग्रवाद पर कड़ा रुख अपना सकता है, जो भारत के पक्ष में जाएगा. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता में कटौती कर दी थी। इसके बावजूद कई पाकिस्तानी भी डोनाल्ड ट्रंप को जीतते हुए देखना चाहते थे। उनका तर्क है कि पिछले कार्यकाल में ट्रंप का अपने समकक्ष पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अच्छे संबंध थे. साल 2019 में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात भी हुई थी. इस दौरान इमरान खान का व्हाइट हाउस में जोरदार तरीके से स्वागत भी किया गया था। अमेरिका चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के साथ एलन मस्क की जोड़ी कमाल की रही है। जहां भारत में लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की जोड़ी काफी चर्चा में रही। इस तरह की जोड़ी अमेरिका के चुनाव में ट्रंप और एलन मस्क के बीच में देखने को मिली। अमेरिकी चुनाव में एक और बात सामने आई कि राष्ट्रपति जो विडेन अधिक उम्र के कारण उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी और बीच में कमला हैरिस को मैदान में उतर गया कुछ लोगों का मानना है कि अगर कमला हैरिस को शुरू में ही मैदान में उतर जाता तो शायद चुनाव परिणाम कुछ और होते।
ट्रम्प की जीत के बाद जापान (1.4 प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया (1प्रतिशत) के शेयर बाजार में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। भारतीय टेक्नोलॉजी शेयरों में भारी उछाल देखने को मिल रही है, क्योंकि तमाम बड़ी भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबार अमेरिका में है और ट्रंप की इस जीत से टीसीएस, इंफोसिस, एससीएल टेक, विप्रो और डिक्सान टेक जैसे शेयरों में तूफानी तेजी आई है. डॉलर बाकी करेंसी की तुलना में मजबूत रहा है। अमेरिकी चुनाव के नतीजों का दुनियाभर की इकोनॉमी खासकर एशिया पर काफी असर दिखेगा। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट बढ़ गई और ये अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। बहुत सारी जगह पर कारोबार निचले स्तर पर चला गया है और या उसकी मुद्रा का मूल्य नीचे हो गया है या कहीं कुछ उछाल आया है।
पिछले चुनाव में जब ट्रंप हार गए थे, उस समय अमेरिका में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई थी। व्हाइट हाउस पर हंगामा हो गया था. इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप पर गोली भी चली। गोली उनके कान को छुकर निकल गई. उनको करने की कोशिश की गई। इसके बाद भी कई बार हमले हुए. इसके अलावा राजनीतिक रूप से उनके खिलाफ घेराबंदी चल रही थी, इससे अमेरिकी जनता के मन में ट्रंप के प्रति सहानुभूति देखने को मिली। इस बीच कमला हैरिस के आने से ऐसा लगा कि यह मुकाबला बहुत मजबूत हो गया है. पर, परिणाम बता रहे हैं कि लोगों ने डोनाल्ड ट्रंप को ही पसंद किया और वह दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. आने वाले समय में देखा जाएगा किस तरह से ट्रंप प्रशासन काम करता है? किस तरह से भारत के लिए उसकी नीतियाँ रहती हैं? लोगों की नजर यूक्रेन और रूस युद्ध पर भी थी। अब देखना होगा कि किस तरह से अमेरिका का नया रुख होगा? ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध पर किस तरह की नीति अपनाते हैं? अमेरिका ने इस युद्ध में यूक्रेन को 60 अरब डॉलर से भी अधिक की सहायता कर चुका है. ट्रंप हमेशा से यूक्रेन को दी जाने वाली आर्थिक मदद की आलोचना कर चुके हैं। एक बार तो उन्होंने जेलेस्की को सबसे बड़ा सेल्समैन करार दिया था। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद जो विडेन सरकार ने रूस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए थे, उसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा. अब ट्रंप जीत कर आए हैं तो हो सकता है कि व्हाइट हाउस में जब उनकी वापसी हो तो बहुत सारी चीज बदलेगी. बहुत सारे यहां-वहां प्रतिबंध लगाए गए हैं, वह शायद हटा दिए जाएं या काम हो. हो सकता है कि यूक्रेन के लिए बुरी खबर हो।
बहरहाल ट्रंप दूसरी बार जीत गए हैं। अमेरिका पूरी दुनिया का सिरमौर बना हुआ है. उसका राष्ट्रपति बनना बहुत बड़ी बात है. डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति के पद को हासिल किया है। वह व्हाइट हाउस से ना केवल अमेरिका को चलाएंगे, बल्कि बहुत सारे देशों में अमेरिका का जिस तरह हस्तक्षेप है. वह क्या रंग लाएगा? वहां की मुद्रा की स्थिति क्या होगी? देश-दुनिया में अमेरिका किस तरह से चीजे तय करता है करेगा या आने वाला समय बताएगा. हम बात करेंगे कि इससे भारत के लोगों को क्या फायदा होगा? पाकिस्तान में किस तरह का उसका रोल होगा? चीन में चीन में वह क्या करेगा? रसिया और यूक्रेन में क्या करेगा? अरब देशों के साथ किस तरह के संबंध होंगे? ये बहुत सारी चीज आने वाले समय में तय होगी। हम उम्मीद करते हैं कि ट्रंप के पहले कार्यकाल की तुलना में जो गलतियां हुई और वह अब नहीं होगा, क्योंकि वह दूसरी बार राष्ट्रपति बन रहे हैं. वह उस तरह की गलती नहीं करेंगे, जिस तरह की गलती की थी. इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई तो उम्मीद किया की जा सकती है कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल पूरी दुनिया में खासकर भारत और उसके आसपास के देशों में शुभ संकेत होगा। नरेंद्र मोदी अगर उन्हें अपना मित्र मानते हैं तो ट्रंप का मित्रवत व्यवहार हमारे देश से करेंगे।

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