Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – उत्सव का स्वरूप तय करता बाज़ार

-सुभाष मिश्रहमारे पारंपरिक उत्सवों का स्वरूप बदलता जा रहा है। मोहल्ले, चौक-चौराहे में होने वाले गणेश, दुर्गा पंडालों में अब बाज़ार द्वारा तय आयोजन ज़्यादा हो रहे हैं। पहले समाज...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – तेज आवाज का दुष्प्रभाव 

-सुभाष मिश्रदुष्यंत कुमार का शेर है कि- रोने गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नहीं। पेट भर के गालियां दें, जी भर के बद्दुआ।। हम बात कर रहे हैं आवाज की और आवाज का मतलब शोर है...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – खेल में हम क्यों हैं दुनिया में फेल

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - खेल में हम क्यों हैं दुनिया में फेल-सुभाष मिश्र आज यह सवाल हमारे जेहन में आता है कि आखिर खेल में हम क्यों हैं दुनिया में फेल? विभिन्...

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