-सुभाष मिश्र
हम आधुनिक तकनीक के युग में जी रहे हैं। जब हम कहते हैं कि पूरा देश एक गांव है तो वह तकनीक है, जिसने पूरी दुनिया को एक गांव में तब्दील कर दिया है। जब मोबाइल के लिए यह कहते हैं कि कर लो दुनिया मुठ्ठी में तो आपको भी लगता है कि पूरी दुनिया मुट्ठी में है। अमूमन यह बात सही भी साबित होती जा रही है, क्योंकि एक मोबाइल है, जो अकेला बैंकिंग, टिकट रिजर्वेशन, लाइव चैटिंग से लेकर बहुत सारी चीज आपके काम की करता है। आपके हाथ में बंधी घड़ी आपके पूरे स्वास्थ्य की जानकारी दे रही है। तकनीकी जैसे-जैसे विकसित हो रही है। मनुष्य के लिए सुविधा होती जा रही है, पर क्या यह तकनीकी केवल मनुष्य को सुविधा दे रही है। सिनेमा का एक गाना है- ‘धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले’ पर आपके पास मोबाइल और उसके डिवाइस है। वह आप कितने भी धीरे बोल लें वह सुन लेता है। किसी चीज को सर्च करते हैं तो वह बताता है कि आपकी रुचि किसमें है। आप कोई फिल्म देखते हैं या सर्च करते हैं तो बार-बार इस तरह की फिल्में या वही चीज दिखने लगती हैं। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आपके निजी जीवन में हस्तक्षेप कर रहा है। वहां तक कोई बात नहीं है, अगर यही जानलेवा साबित हो जाए तो मुश्किल हो जाती है। अक्सर सुनने को मिलता है कि मोबाइल की बैटरी चार्जिंग के समय फट गई और मोबाइल ब्लास्ट हो गया। लेकिन, यह रेयर घटनाएं होती है। मोबाइल से पहले एक टेक्नोलॉजी आई थी पेजर। जिसे धीरे-धीरे हमने छोड़ दिया। पेजर केवल एसएमएस भेजने के काम आता था। बाद में उसका स्थान मोबाइल ने ले लिया। मोबाइल के भी लगातार अपडेट वर्जन आते गए। आप कल्पना करें कि आपके मोबाइल पर कोई अपडेशन का संदेश आया हो और आप उसे अपडेट करें, तभी मोबाइल ब्लास्ट कर जाए। मोबाइल बम में तब्दील हो जाए तो निश्चित रूप से यह मानव जीवन के लिए खतरा है। अभी हाल में ही लेबनान और सीरिया के कुछ इलाकों में पेजर से अटैक किया गया। इस अटैक में आतंकी गुट हिज्जबुला के लोगों को निशाना बनाया। इस अटैक के बाद पूरी दुनिया हैरान हो गई। लोगों को लगा कि क्या एक पेजर से भी इस तरह विस्फोट हो सकता है और जान जा सकती है। जब इस तरह का वीडियो देखा गया तो लगा कि यह क्या हो गया? पेजर अभी हमारे स्मृति से लुप्त हो चुका है। वह पेजर किसी देश में अभी भी इस्तेमाल हो रहा है और उससे बम विस्फोट हो रहा है।
पेजर मोबाइल फोन की तरह ही एक वायरलेस डिवाइस है, जिसे बीपर भी कहा जाता है। 1950 में न्यूयॉर्क से इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन 80 के दशक में पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल जाने लगा। भारत में भी काफी लोगों ने इसका इस्तेमाल किया था, लेकिन अब इसकी जगह मोबाइल ने ले ली है। पेजर में एक छोटी सी स्क्रीन होती है और इसके जरिए वॉयस मैसेज भेजा जाता है। जैसे फोन करने के लिए नंबर होते हैं, वैसे ही पेजर में भी एक नंबर होता है। उस कोड के जरिए मैसेज भेजा जाता है। पेजर में जीपीएस सिस्टम काम नहीं करता है। ऐसे में इसे ट्रैक करना मुश्किल है। साथ ही इसका कोई आईपी एड्रेस नहीं होता है, जिससे इसे मोबाइल की तरह ट्रेस नहीं किया जा सकता। पेजर का नंबर बदला जा सकता है, इसलिए सुरक्षा कारणों से इसे काफी सिक्योर माना जाता है। हिजबुल्लाह से जुड़े लोग अपनी बातचीत की गोपनीयता रखने के लिए इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। इसे एक बार चार्ज करने के बाद लंबे समय तक चार्ज करने की जरुरत नहीं होती और दूर-दराज इलाकों में बिना बिजली के भी इससे काम चलाया जा सकता है।
हिजबुल्लाह ने कुछ महीनों पहले ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो को पेजर्स का ऑर्डर दिया था। इन पेजर्स का शिपमेंट सीधे लेबनान नहीं जा रहा था, क्योंकि लेबनान के लिए इस तरह के उपकरण इंपोर्ट करना बैन है। इजरायल ने यह जानकारी जुटा ली थी कि हिजबुल्लाह पेजर ऑर्डर कर रहा है। इजरायल तकनीक के मामले में काफी आगे है। उसने उनकी मैन्युफैक्चरिंग में ही छेड़छाड़ करा दी। ऐसी डिवाइसेज में 15 से 20 ग्राम तक विस्फोटक छिपाया जा सकता है। इस डिवाइस पर एक कोडेड मेसेज भेजकर विस्फोट कराया जा सकता है। पेजर को टैस्क्स्ट मैसेज से जोड़ कर लीथियम बैटरी के माध्यम से हमला कराए जाने की आशंका है।
लीथियम माइनर बैटरी होती है। लिथियम-आयन बैटरी में आग लगने का एक और आम कारण उच्च तापमान के संपर्क में आना है। इन बैटरियों को एक विशिष्ट तापमान सीमा के भीतर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यदि बहुत अधिक गर्म हो जाती हैं, तो वे अस्थिर हो सकती हैं, थर्मल रनवे की ओर ले जा सकती हैं, विस्फोटक गैसें पैदा कर सकती हैं या आग पकड़ सकती हैं।
जब हम हवाई जहाज में यात्रा करते हैं तो इसके पहले तो हमसे पूछा जाता है कि आपके बैग में बैटरी तो नहीं है? कोई ऐसी इलेक्ट्रॉनिक चीज तो नहीं है, जो ज्वलनशील हो या विस्फोट कर सकती हो। ऐसी चीजे निकलवा दी जाती है। इसके अलावा एयरपोर्ट पर लगी स्कैनर मशीन हमारे बैग का स्कैनिंग करती है और ऐसी वस्तुओं को चेक करती है, क्योंकि आशंका है कि लिथियम बैटरी के जरिए या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के जरिए इस तरह की घटनाएं हो सकती है। पर, किसी को यह कल्पना नहीं थी कि पेजर जैसी छोटी सी चीज से इस तरह का विस्फोट कराया जा सकता है। लेबनान के हमले में एक प्रकार का विस्फोटक पीईटेन इस्तेमाल किया गया। पीईटेन को पेजर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में लगाया गया था, जो एक हाई-लेवल टेक्नोलॉजी है और बिना किसी देश की खुफिया एजेंसी के इसका इस्तेमाल करना बेहद मुश्किल है। हर पेजर में बैटरी के पास 30 से 60 ग्राम विस्फोटक लगाया गया। इस तरह के विस्फोट से पूरी दुनिया डर गई है। पूरी दुनिया के समक्ष चुनौती है कि अब इस तरह के डिवाइस से कहीं भी विस्फोट किया जा सकता है। आप घर में या बाजार में बैठे हो आप पर हमला हो सकता है। जिस तरह से परमाणु हमला होता है उसी तरह से कोई बहुत दूर से मार सकता है। यह पेजर टेक्नोलॉजी के विस्फोट ने बता दिया है कि कहीं से भी कोई देश की डिवाइस में छेडख़ानी करके इस तरह के हमले कर सकता है। हम चीन का लाख विरोध कर लें, लेकिन चीन के खिलौने, मोबाइल और दूसरी बहुत सी चीज हमारे देश में आती है और इस्तेमाल होती है। पहले ताइवान से रेडियो आया करते थे। कई देशों के रेडियो से दूसरे सामान भी आते हैं। हमारे मोबाइल पर रोज कई तरह के मैसेज आते हैं। कुछ मैसेज में सलाह भी दी जाती है कि इसको क्लिक न करें, इससे फ्रॉड हो सकता है। आपके बैंक खाते से पैसे गायब हो जाएंगे। आपकी जानकारी हासिल कर ली जाएगी। हैकर हमारी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जानकारी निकाल लेते हैं। इससे हमको अब तक यही लगता था कि अब आर्थिक नुकसान होता है। हमारी कुछ गोपनीय फोटोग्राफ को कॉपी कर लेते हैं। हमारा डाटा चुरा लेते हैं। यहां तक बात समझ में आ रही थी, पर आपकी जान चली जाएगी यह किसी ने कल्पना नहीं की थी। लेबनान में पेजर पर एक संदेश भेजा गया, वाइब्रेशन के साथ उसमें तीन-चार बार एरर लिख कर आया और जैसे ही उसे देखना शुरू किया फट गया। इसमें 300 से ज्यादा लोगों को नुकसान हुआ। किसी की आंखें चली गई, किसी का हाथ चला गया, किसी के पेट में चोट आई, क्योंकि उसमें विस्फोटक भरा था। इस तकनीकी ने मानव जीवन के लिए खतरा पैदा कर दिया। इस तरह अगर तकनीक का दुरुपयोग होगा तो पता नहीं कौन सा देश कहां बैठकर हमला कर दे। जो देश बहुत सारी सामग्री भेज रहे हैं, वह उसके जरिए आपकी जान लेने के लिए आमदा हो जाएगा। आने वाले समय में धीरे-धीरे यह भी खतरे बढ़ेंगे।
कई बार हम देखते हैं कि किसी जगह पर जाने पर वहां निर्देश होता है कि आप अपना मोबाइल बाहर रख दें। यहां मोबाइल लेकर जाना माना है। इस तरह की घटना से मोबाइल पर प्रतिबंध लगेगा। इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर प्रतिबंध लगेगा। पेजर बहुत छोटा सा उपकरण है लोगों को यह समझ भी नहीं आ रहा था कि इस तरह का कमाल दिखाएगा। लोग कान में सुनने के लिए एयर फोन लगाते हैं, उसमें भी चिप लगी होती है। उसमे भी विस्फोट के कराया जा सकता है। अब जिस प्रकार से तकनीकी बदल रही है और बढ़ रही है उसे लगता है कि कोई भी दुश्मन किसी भी तरह के टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके हम पर अटैक कर सकता है। लेबनान में पेजर अटैक से ऐसा कुछ हुआ कि पूरी दुनिया की चिंता बढऩे वाला है। आज तो हर चीज वाईफाई से जुड़ी है। जैसे ही हम वाई-फाई की रेंज में जाते हैं, मोबाइल पर डाटा आने लगते हैं। हमारी लोकेशन आने लगती है कि हम इस समय कहां हैं? कौन सा बॉर्डर पार किए? किस शहर में है? किस राज्य में है? वाई-फाई के जरिए एक तरह से निगरानी होती है। यह वाईफाई तो पूरी दुनिया को जोड़ रहा है। हम आज आपसे बैठकर बात करते हैं, वह बात भी इसलिए सुन पा रहे हैं या देख पाते हैं कि तकनीक है। तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को आसान किया है, पर यही टेक्नोलॉजी अगर हमारे दुश्मन के हाथ में होती है तो जिस तरह से लेबनान में हमला हुआ वैसा हमला आप पर भी हो सकता है। आतंकी संगठन 24 घंटे सतर्क रहते हैं ताकि कोई उन पर हमला न कर दे। जब उन पर हमला हो सकता है तो एक सामान्य नागरिक कभी सचेत नहीं होता है, क्योंकि उसे कभी खतरा ही नहीं होता कि कोई मार भी देगा। अगर भीड़ में इसी तरह का विस्फोट होता है। किसी धार्मिक समारोह या जलसे में इस प्रकार का विस्फोट हो जाए तो लोग हमले में कम मरेंगे, भगदड़ से ज्यादा मौतें होगी। आने वाले समय में मोबाइल भी विस्फोटक का रूप ना ले ले, क्योंकि इसमें बहुत सारे चिप लगे हैं। पेगासस का नाम बहुत से लोगों ने सुना होगा। पेगासस ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसे मोबाइल में फिट करने की भी जरूरत नहीं होती और पेगासस आपकी हर बातों पर नजर रखता है। पिछले दिनों राजनीतिक दलों ने आरोप भी लगाया था कि सरकार पेगासस की मदद से उनकी जासूसी कर रही है। अब तकनीकी इतनी तेज और सुलभ है कि आप दुश्मन पर नजर रख सकते हैं। मोबाइल या टीवी में कैमरा लगा होता है। आपको लगता है कि कैमरा बंद है, लेकिन वह कैमरा खुला है। आपकी बात सुनता है और देखता है। वह आपकी बात वहां तक पहुंचा देता है, जहां तक इसकी जरूरत होती है। आपको अगर कोई मोबाइल या दूसरे उपकरण भेंट करता है या कोई गिफ्ट देता है और उसकी नियत खराब हो तो हो सकता है कि उसमें कुछ ऐसा पदार्थ फिट कर रखा है, जो विस्फोटक हो। हम टीवी के सामने बैठे हैं या लैपटॉप के सामने बैठे हैं या फिर हमारे हाथ में मोबाइल है और हम यह समझे कि हम गोपनीय हैं और सुरक्षित हैं। हमारी बात कोई नहीं सुन रहा है। हम पर किसी प्रकार की निगरानी नहीं हो रही है तो यह हमारी नादानी है। अब इस देश में इलेक्ट्रॉनिक चीजों के विषय भी शिक्षा की जरूरत है कि उनका उपयोग कैसे किया जाए और उनके खतरों से कैसे बचा जाए?
आने वाले दिनों में यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि कोई भी आपके मोबाइल में लगे कैमरे या माइक्रोफोन के जरिए कोई कुछ भी कर सकता है। वाईफाई के जरिए आपके संपर्क में रह सकता है और वह कहीं दूसरी जगह बैठकर आपको कोई नोटिफिकेशन भेज कर हमला कर सकता है। घरों में आजकल अलास्का आपके इशारों पर काम करती है। लोग बैठे कहते हैं कि अलास्का हमारे लिए गाना लगा। हमारे लिए ये कर दो। हमारे लिए वो कर दो और अलास्का आपकी आवाज सुनकर करती है। अलास्का ऐसी तकनीक है, जो आपकी बात सुन रही है तो उसमें बहुत सी चिप लगी है। ऐसे ही पेजर पर भी संदेश आया और विस्फोट हो गया। आने वाला समय में जैसा लेबनान और सीरिया के कुछ इलाकों में हुआ है। कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हमारे यहां भी हो। उसमें कोई आतंकी संगठन के लोगों का हाथ हो सकता है। लेबनान में तो आतंकी घायल हुए हैं, मगर, हमारे यहां आम आदमी को निशाना बनाया जा सकता है। तकनीक हमारे जीवन में बहुत सारी सुविधाएं ला रही हैं तो बहुत सारी दुश्वारियां भी हैं। अब हमें देखना है कि हम किस तरह से तकनीक का इस्तेमाल करेंगे और तकनीक के इस्तेमाल के समय हम कितने सतर्क रहेंगे। अगर हमें सही जानकारी नहीं है तो बहुत सारे साइट्स है, जहां हमें इसकी सावधानी की जानकारी दी जाती है। आजकल बच्चों के खिलौने विदेश से आ रहे हैं। हमारे यहां त्यौहार में चीन का समान बड़ी संख्या में आता है। यह अलग बात है कि चीन व्यापार के मामले में इस तरह की शरारत नहीं कर रहा है। केवल सीमाओं तक उसकी हरकत है, लेकिन अगर चीन की नियत खराब हो जाए और वह सोचे कि हमें हिंदुस्तान को या किसी भी देश को नुकसान पहुंचाना है तो घटना लेबनान में हुई है वह कहीं पर भी हो सकती है। हमें इलेक्ट्रॉनिक चीजों का उपयोग करते हुए सतर्क रहने की जरूरत है। सैन्य जानकार बताते हैं कि 15 से 20 ग्राम का विस्फोटक आसानी से छुपाया जा सकता है। फर्जी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के भीतर भी रखा जा सकता है। इसके बाद डिवाइस पर एक्सपोर्टेड मैसेज भेज कर विस्फोट कराया जा सकता है। अगर कोई देश आप पर या आपके देश पर हमला करना चाहता है तो डिवाइस के जरिए भी हमला कर सकता है। आप यह मत समझिए कि आग पड़ोस में लगी है तो आप सुरक्षित है। यह आग कभी आपके घर में भी पहुंच सकती है। यह विस्फोट आपके आसपास भी हो सकता है। हमें इससे सतर्क रहने की जरूरत है।