पोहा उत्पादन बंद, राईस मिलों में कामकाज धीमा
राजकुमार मल
भाटापारा। प्रति बारदाना मरम्मत की दरों में तीन गुना वृद्धि। इसके बावजूद न बारदाने तैयार हो पा रहे हैं, न ओल्ड जूट बैग मिल रहे हैं। रही-सही कसर कड़ी प्रतिस्पर्धा पूरी कर रही है।
पहली बार ओल्ड जूट बैग मार्केट ऐसे संकट में घिरता नजर आ रहा, जिससे निजात पाने का कोई राह नहीं मिल रही है। भंडारण तो किया हुआ है लेकिन संकट इसलिए फैलता नजर आ रहा है क्योंकि खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयों से पुराने बारदानों की आवक लगभग बंद जैसी हो चली है।
बड़ा संकट
पोहा मिलों में उत्पादन बंद है। ऐसे में यहां से अनुपयोगी बारदानों की उपलब्धता भी बंद है। कुल मांग के लगभग 75 फीसदी हिस्से की आपूर्ति पर ब्रेक लगने के बाद पुराने बारदाने का कारोबार करने वाली ईकाइयां इसलिए संकट में हैं क्योंकि वे मांग के अनुरूप खुले बाजार को बारदाने उपलब्ध नहीं करवा पा रहीं हैं। इसकी वजह से ओल्ड जूट बैग की कीमत बढ़त लिए हुए हैं।
संकट-2- मरम्मत दर बढ़ी
रफू कारीगरों को सीजन की शुरुआत में प्रति बारदाने की मरम्मत के लिए 1 रुपए 50 पैसे की दर पर भुगतान किया जाता था। अब इसमें 2 रुपए 50 पैसे की वृद्धि हो चुकी है। एक रफू कारीगर सामान्य कार्य अवधि में 100 से 200 बारदाने की मरम्मत करता है। अब हालात यह है कि काम पूरा कर लेने के बाद शेष समय में खाली बैठा हुआ है क्योंकि मरम्मत के लायक बारदाने नहीं मिल रहे हैं।
संकट-3- तगड़ी प्रतिस्पर्धा
शहर में पुराने बारदाने की मरम्मत करने वाली पांच इकाइयां हैं लेकिन यह भी कड़ी प्रतिस्पर्धा के घेरे में है क्योंकि काम करने वाली इकाइयों की संख्या बढ़ रही है। कुछ ऐसा ही हाल ओपन मार्केट का भी हैं, जहां दुकान हर बरस बढ़ रही हैं। असर अंतर जिला कारोबार में पड़ता देखा जा रहा है, जहां कम कीमत वाले ओल्ड जूट बैग की खरीदी को प्राथमिकता मिल रही है।