खास मुलाकात- विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार

खास मुलाकात

हिन्दी के शीर्ष कवि, कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की घोषणा से समूचे साहित्यजगत में और उनको चाहने वाले लोगों के बीच खुशी की लहर व्याप्त है। पुरस्कार की घोषणा के बाद से उनके रायपुर के शैलेन्द्र नगर स्थित आवास में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। मीडिया जगत से जुड़े लोगों द्वारा उनसे उनकी लेखन प्रक्रिया और पुरस्कार मिलने के बारे में सवाल होते रहे। ज्ञानपीठ द्वारा यह पुरस्कार रायपुर में आयोजित समारोह में विनोदजी को दिया जाएगा।
आज की जनधारा समाचार पत्र के प्रधान संपादक और छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष सुभाष मिश्र, रंगकर्म से जुड़ी उनकी पत्नी श्रीमती रचना मिश्रा, पुत्र सौरभ मिश्रा और पुत्रवधु प्रियंका ने विनोदजी के घर जाकर उन्हें और उनके परिवारजनों को बधाई दी।
इस अवसर पर सुभाष मिश्र ने जनधारा की साहित्य वार्षिकी का प्रेम विशेषांक, प्रेम अगम और अपरिभाष्य अनुभव की प्रति विनोद कुमार शुक्ल को भेंट की। सुभाष मिश्र ने उन्हें बताया कि फिल्म सोसायटी की ओर से 6 अप्रैल रविवार को आनंद हर्षुल की हाल में प्रकाशित दोनों उपन्यास देखना और रेतीला तथा कहानी संग्रह चिडिय़ा और मुस्कुराहट पर चर्चा होगी।
विनोदजी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर बधाई देते हुए सुभाष मिश्र ने उनसे आत्मीय बातचीत की।
यह सम्मान उन्हें हिन्दी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान, सृजनात्मकता और विशिष्ट लेखन शैली के लिए प्रदान किया जा रहा है। यह हिन्दी के 12वें साहित्यकार हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। ज्ञातो हो कि विनोद कुमार शुक्ल छत्तीसगढ़ राज्य के पहले लेखक हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
सुप्रसिद्घ कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में हुई प्रवर परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में चयन समिति के अन्य सदस्य माधव कौशिक, दामोदर सावजी, प्रभा वर्मा, डॉ. अनामिका, डॉ. ए. कृष्णा राव, प्रफुल्ल शिलेदार, डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनंद शामिल थे।
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जिसे भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले रचनाकारों को प्रदान किया जाता है। इस प्रतिष्ठित सम्मान के अंतर्गत 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
हिन्दी साहित्य प्रेमियों और संपूर्ण साहित्य जगत के लिए यह हर्ष और गौरव का विषय है कि विनोद कुमार शुक्ल को यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है। यह पुरस्कार उनकी साहित्यिक साधना और सृजनशीलता का सम्मान है जिससे हिन्दी साहित्य को नई ऊंचाईयां मिली हैं।

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