Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से: बाबूजी क्या-क्या खरीदोगे

बाबूजी क्या-क्या खरीदोगे

-सुभाष मिश्र
पूरी दुनिया एक मंडी/बाजार में तब्दील होती जा रही है। आपकी जेब में खरीदने की सामर्थ हो तो आप विधायक, सांसद से लेकर कुछ भी खरीद सकते हैं। तमाम आचार संहिता, चुनाव सुधार अब तक इस खरीद-फरोख्त, आपरेशन लोटस को नहीं रोक पा रहे हैं। हमारे देश में जनप्रतिनिधियों की खरीदी-बिक्री का इतिहास पुराना है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव का नतीजा आज आने वाला है। मीडिया सर्वे के अनुसार भाजपा जीत रही है, इसके बावजूद रिजल्ट के एक दिन पहले आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर उसके 16 विधानसभा प्रत्याशियों को 15-15 करोड़ रूपये के साथ मंत्री पद का आफर देकर अपनी ओर आने का ऑफर देने का आरोप लगाया है।

भाजपा ने तत्परता से इसके खिलाफ एल-जी यानी दिल्ली के उपराज्यपाल को शिकायत की। एलजी ने तत्काल एसीबी को तीन टीम गठन कर सोशल मीडिया पर इस तरह की शिकायत को गंभीरता से लेकर अरविंद केजरीवाल, संजय सिंग और मुकेश अहलावत के घर टीम भेज दी। द्वारिका से आप पार्टी के विधायक विनय मिश्रा ने भी ऐसी शिकायत मीडिया के सामने की है। उम्मीदवार विधायको की कथित खरीद फरोक्त के लिए गठित एंटी करप्शन ब्यूरो ये जानना चाहता है की ये ऑफर कहां से मिला, किसने दिया। आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने एसीबी जाकर शिकायत दर्ज करायी है।
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एसीबी का कहना है कि अरविंद केजरीवाल सहित बाकी लोग जिनके यहां एसीबी गई हुई थी, वे आरोपी नहीं है, पीडि़त है। हम उनकी सहुलियत के लिए आये हंै। आम आदमी पार्टी के लीगल सेल से जुड़े वकीलों का कहना है की इनके पास कोई नोटिस नही है। देश में मौजूद कानून में ऐसी कोई प्रावधान नहीं है। इस पूरी कार्यवाही पर प्रसंगवश यह शेर याद आ रहा है
‘‘मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है
क्या मेरे हक में फैसला देगा।’’
भाजपा के संासद मनोज तिवारी कहते है की इनके कितने विधायक आयें या नहीं और वे बिकने लायक रहेंगे या नहीं। अरविंद केजरीवाल भविष्य में राजनीतिक जीवन में ट्विट पर ही मिलेंगे। सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर भाजपा की शिकायत पर जिस तत्परता से एलजी ने एसीबी की टीमे गठित करके जांच के लिए भेजा है, उसे लेकर भी सवाल उठने लगे है।
‘ऑपरेशन लोटस’ भारतीय राजनीति में एक अनौपचारिक शब्द है, जिसका उपयोग उस रणनीति के लिए किया जाता है जिसके तहत सत्ताधारी दल बीजेपी विपक्षी दलों के विधायकों को तोडक़र अपनी सरकार बनाने या बचाने की कोशिश करता है। इसमें आमतौर पर दल-बदल, विधायकों की खरीद-फरोख्त और राजनीतिक जोड़-तोड़ शामिल होते हैं।

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ऑपरेशन लोटस की कहानी थोड़ी पुरानी है। हरियाणा की राजनीति में आया राम, गया राम के साथ विधायकों की खऱीद फरोख्त, दल बदल की परम्परा का सूत्रपात हुआ। कर्नाटक 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोडऩे का आरोप लगा। 2019 में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के 17 विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे एच.डी. कुमारस्वामी की सरकार गिर गई और येदियुरप्पा फिर से मुख्यमंत्री बने।

मध्य प्रदेश में 2020 में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन वाले 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया, जिससे कमलनाथ की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी। महाराष्ट्र में 2022 में शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 40 से अधिक विधायकों ने बगावत की, जिससे उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई। बाद में शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। राजस्थान में 2020 में सचिन पायलट खेमे पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगा, लेकिन अशोक गहलोत सरकार बच गई। गोवा में 2017 के चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बीजेपी ने निर्दलीयों और छोटे दलों के समर्थन से सरकार बना ली। 2019 में कांग्रेस के 10 में से 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। मणिपुर में 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देकर सरकार बदलने की कोशिश की। अरुणाचल प्रदेश 2016 में कांग्रेस के 43 विधायक अचानक पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) में चले गए और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे कांग्रेस की सरकार गिर गई।

आज भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है केन्द्र सहित बहुत सारे राज्यों में भाजपा की सत्ता है। भाजपा देश को कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की बात करती है। भाजपा का कहना की विधायक भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर आते हैं। हमें किसी आपरेशन लोटस की ज़रूरत नहीं है। कांग्रेस और बाक़ी पार्टियों को अपने घर को सँभालने की ज़रूरत है।

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