-सुभाष मिश्र
टेक्नोलॉजी से आसानी के साथ-साथ बहुत से ख़तरे भी हैं। यह दोधारी तलवार की तरह है। यह सही है कि तकनीक ने जीवन को आसान बना दिया है, खासकर एआई के साथ जो रचनात्मक कार्यों को तेजी से पूरा करने में मदद करता है। लेकिन इसके साथ ही गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के जोखिम भी हैं। जब आप अपनी तस्वीरें अपलोड करते हैं तो सवाल उठता है कि ये डेटा कैसे संग्रहित और उपयोग किया जाता है। ओपन एआई जैसे प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ता सामग्री, जैसे अपलोड की गई तस्वीरें को संग्रहित कर सकते हैं और अपनी सेवाओं में सुधार के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं जिसमें मॉडल ट्रेनिंग भी शामिल है।
इधर के दिनों में Ghibli Style (घिबली स्टाइल) बहुत लोकप्रिय है। घिबली स्टाइल का मतलब है स्टूडियो घिबली की कला शैली है जो एक प्रसिद्ध जापानी एनिमेशन स्टूडियो है जो अपनी सुंदर, हाथ से बनाई गई एनिमेशन के लिए जानी जाती है, जिसमें चटकीले रंग और प्रकृति पर जोर दिया जाता है। हाल के दिनों में लोग ओपनएआई के जीपीटी-4ओ जैसे एआई टूल्स का उपयोग करके इस शैली में पोट्रेट बना रहे हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं जिसने इस ट्रेंड को वायरल बना दिया है। यह तकनीक लोगों को अपनी तस्वीरों को आसानी से घिबली शैली में बदलने की अनुमति देती है, जिससे यह बहुत लोकप्रिय हो गया है। आजकल लोगों में घिबली स्टाइल में अपनी तस्वीरें बनाने की होड़ लगी हुई है। नेता से लेकर सेलिब्रिटीज तक हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी घिबली स्टाइल में बनी तस्वीरें शेयर कर रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफॉम्र्स पर घिबली स्टाइल में बनी तस्वीरों की जैसे बाढ़ आ गई है। लोग अपनी और अपने बच्चों की एआई-जनरेटेड तस्वीरें धड़ल्ले से शेयर कर रहे हैं लेकिन यह देखने में जितना मजेदार लगता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। लोग सिर्फ चैट जीपीटी ही नहीं बल्कि कई एआई टूल्स का इस्तेमाल कर अपनी एआई जनरेटेड तस्वीरें बना रहे हैं लेकिन क्या आपने सोचा है ये तस्वीरें कहां स्टोर हो रही हैं और क्या इस ट्रेंड का हिस्सा बनकर बिना सोचे-समझे एआई प्लेटफॉम्र्स पर अपनी तस्वीरें शेयर करना कितना सेफ है?
दरअसल, एआई टेक्नोलॉजी को भूल से भी हल्के में लेने की कोशिश न करें। बिना सोचे-समझे किसी भी एआई प्लेटफॉर्म में तस्वीरें अपलोड करना आपको मुश्किल में डाल सकता है। कुछ साल पहले क्लीयरव्यू एआई नाम की एक कंपनी पर बिना इजाजत सोशल मीडिया और न्यूज वेबसाइट्स से 3 अरब से ज्यादा तस्वीरें चुराने का आरोप लगा था। यह डेटा पुलिस और प्राइवेट कंपनियों को बेचा गया था।
यही नहीं, मई 2024 में ऑस्ट्रेलिया की Outabox कंपनी का डेटा लीक हुआ, जिसमें 10 लाख से ज्यादा लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और पते चोरी हो गए। यह डेटा एक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया, जिससे हजारों लोग पहचान चोरी और साइबर धोखाधड़ी के शिकार हो गए। मेटा (फेसबुक) और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों पर आरोप लगते रहे हैं कि वे यूजर्स की तस्वीरों का उपयोग अपने एआई मॉडल्स को ट्रेन करने के लिए करती हैं। PimEyes जैसी वेबसाइट्स किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करके उसकी पूरी डिजिटल उपस्थिति निकाल सकती है। इसका सीधा मतलब है कि स्टॉकिंग, ब्लैकमेलिंग और साइबर क्राइम के मामले बढ़ सकते हैं।
एआई ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है लेकिन यह हमें अनजाने में बड़ी मुश्किलों में भी डाल सकता है। डेटा लीक, आइडेंटिटी चोरी और साइबर धोखाधड़ी जैसी समस्याओं से बचने के लिए हमें खुद सतर्क रहना होगा। सवाल यह नहीं है कि एआई आपके लिए कितना फायदेमंद है, बल्कि यह है कि आप इसे कितना समझदारी से इस्तेमाल कर रहे हैं। अगली बार जब आप किसी एआई ऐप पर अपनी तस्वीर अपलोड करें तो एक बार जरूर सोचें कि कहीं यह आपका सबसे बड़ा खतरा तो नहीं बन जाएगा?
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि घिबली की वजह से ही अपना फेशियल रिकॉग्निशन एआई कंपनियों को सौंप रहे हैं। बल्कि रोजाना लोग एआई कंपनियों को अपनी फोटो देते हैं। चाहे वह फोन अनलॉक करने के लिए हो या फिर सोशल मीडिया पर टैग करने के लिए या फिर किसी सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए। आइए आपको बताएं कैसे।
जब हम सोशल मीडिया पर फोटो डालते हैं या किसी भी सोशव मीडिया ऐप्स पर तो उन ऐप्स को कैमरा एक्सेस देते हैं। हम अक्सर इस खतरे को नजरअंदाज कर देते हैं। इसका असर ये होता है कि एआई कंपनियां हमारे चेहरे के यूनिक डाइमेंशन्स को स्कैन कर लेती है और फिर उसे स्टोर कर लेती हैं। ये डेटा पासवर्ड या क्रेडिट कार्ड नंबर से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है क्योंकि उन्हें तो आप बदल भी सकते हैं, लेकिन अगर एक बार ये लीक हुआ तो इससे बचा भी नहीं जा सकता है।
हम नक़ल में बहुत विश्वास करते हैं और देखा-देखी में बहुत कुछ करने लगते हैं बिना ये जाने की इससे क्या नफा नुक़सान है। हमारी हर चीज को हल्के में लेने की आदत होती है। यही वजह है कि पिछली कई ऐसी घटनाओं को इग्नोर कर दिया गया है, जो हमें सतर्क रहे के लिए आगाह कर रही थी।
क्लीयरव्यू एआई कंट्रोवर्सी वाली घटना उनमें से एक थी। दरअसल, क्लीयरव्यू एआई पर आरोप लगे थे कि कंपनी ने लोगों का डेटा बिना इजाजत सोशल मीडिया, न्यूज साइट्स और पब्लिक रिकॉर्ड्स से 3 बिलियन फोटोज चुराकर डेटाबेस बनाया था। वहीं इसे प्राइवेट कंपनियों को बेच दिया था। इसके अलावा, मई 2024 में ऑस्ट्रेलियाई कंपनी Outabox का डेटा लीक हुआ था। इसमें 1.05 मिलियन लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और एड्ड्रेस चोरी हो गए थे। ये डेटा ‘Have I Been Outaboxed’ नाम की साइट पर डाल दिया था। पीडि़तों ने जब इसकी शिकायत की तक मामले का पता चला। यहां तक कि दुकानों में चोरियों को रोकने के लिए इस्तेमाल होने वाले Facial Recognition Technology (FRT) सिस्टम भी हैकर्स के निशाने पर हैं। एक बार चोरी होने के बाद ये डेटा ब्लैक मार्केट में बिक जाता है। जिससे सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड या डीपफेक बनाने जैसे स्कैम में मदद होती है।
एआई मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए बड़े डेटासेट का उपयोग किया जाता है, जो इंटरनेट से ली गई तस्वीरों और पाठ से बने होते हैं। इनमें व्यक्तिगत या कॉपीराइट डेटा शामिल हो सकता है, जिससे गोपनीयता उल्लंघन का खतरा बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए मॉडल आपके अपलोड की गई तस्वीरों को याद कर सकता है या पुन: उत्पन्न कर सकता है जो गोपनीयता के लिए खतरा पैदा करता है। इसके अलावा, एआई जनित छवियां, जैसे डीपफेक गलत जानकारी फैलाने या निजी जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी डेटा सुरक्षित है और प्लेटफॉर्म की गोपनीयता नीतियों को समझें।