क्या यह जातिगत मानसिकता का हमला है?

6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की एक सुनवाई के दौरान जो दृश्य उभरा, उसने न केवल न्यायालयीन गरिमा को हिलाकर रख गया बल्कि हमारे समाज के भीतर चल रहे गहरे तनाव-ल...

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सनातनी मानसिकता की चोट, सुप्रीम कोर्ट घायल

भारत में लोकतंत्र की नींव न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आधारित है, जो सत्ता, धर्म, राजनीति और समाज के बीच संतुलन बनाए रखती है। जब इस स्वतंत्रता पर हमला होता है...

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दवा बनी ज़हर : विश्वास का घूँटता गला

कभी दवा पर लिखा होता था—'आपके स्वास्थ्य की रक्षा हेतु। पर आज यही दवा जीवन छीनने का औजार बन चुकी है। देश के कई हिस्सों में बच्चों की मौत का कारण बनी 'कोल्ड्रिफ...

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सिनेमा के आईने में समाज-जॉली एलएलबी 3 : अदालत में गूँजती कविता और किसानों की चुप्पी

फिल्म की शुरुआत में एक वकील नहीं, एक कवि बैठा दिखता है। उसकी मेज़ पर गजानन माधव मुक्तिबोध की तस्वीर रखी है—वही मुक्तिबोध जो कहा करते थे, कहीं कोई तो होगा, जो ...

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आस्था का सम्मोहन और मौत का मेला

इस देश में आस्था कभी मंदिर के दरवाज़े पर सिर झुकवाती है, कभी चुनावी मंच पर नेता की झलक दिखाने के लिए भीड़ को पसीना बहवाती है। लोग देवता हों या अभिनेता, बाबाओं...

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बदलता बस्तर : कितना आंतरिक कितना बाहरी !

(नक्सली हिंसा की आँच जंगल से शहर की ओर )सुभाष मिश्रपिछले कुछ समय...

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गुड़ खायें, गुलगुले से परहेज करें

गुड़ खाए और गुलगुले से परहेज़ करें—भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का ताज़ा खेल यही कहावत दोहराता दिख रहा है। नेताओं की जुबान पर जंग, खिलाडिय़ों की हरकतों में...

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महिला सशक्तिकरण या चुनावी सौदा?

बिहार की महिलाओं के खाते में पहुँचे 10-10 हज़ार, सवाल यह कि राहत स्थायी है या वोटों की रिश्वत। भारतीय राजनीति का इतिहास नारों की कब्रगाह है। कभी गरीबी हटाओ ने...

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रंगबिरादरी खड़े करने वाले अरूण पांडेय को सभी ने किया याद…

हम दोनों हरिशंकर परसाई स्कूल से हैं । हमारा स्कूल एक था,हमारा कुनबा एक था। और हमारा DNA एक हैं, क्योंकि हम उसी तरह से चीजों को बदलने की कोशिश करते हैं जैसे पर...

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