Bhatapara news : आया मौसम बरसीम का…!

सूखे दिनों में भी मिलेगा हरा चारा

राजकुमार मल
भाटापारा। बरसीम। नाम है, उस दलहन फसल का, जिसे हरा चारा के रूप में उपयोग किया जाता है। पहला लाभ- गर्मी के मौसम में मवेशियों को हरा चारा की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। दूसरा लाभ – भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खरीफ की फसल के बाद रबी में इसे बोया जा सकता है।
पशु आहार के रूप में हरा चारा के दिन, बहुत जल्द खत्म होने वाले हैं। मवेशी पालकों को अब चारा के लिए उस बाजार पर ही निर्भर होना पड़ेगा, जहां कीमत हर बरस बढ़त ले रही है। सर्वाधिक परेशानी खेतिहर मवेशी पालक और डेयरियां को होगी, जहां इसकी जरूरत सबसे ज्यादा होती है। इसलिए हरा चारा की ऐसी प्रजाति की बोनी की सलाह दी जा रही है, जिससे इस समस्या से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।

सर्वोत्तम है बरसीम
दलहनी फसलों में बरसीम का नाम हरा चारा की सूची में इसलिए शीर्ष पर रखा गया है क्योंकि यह सर्वाधिक उत्पादन और सर्वाधिक लाभ देने वाला हरा चारा है। उच्च प्रोटीन वाली यह प्रजाति दुधारू मवेशियों के लिए इसलिए सही मानी गई है क्योंकि इससे दूध उत्पादन का बढऩा पाया गया है। इसके अलावा अपने जीवनकाल में यह पांच से छह कटाई जैसी लाभ पहुंचाती है। इस दौरान, इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 900 से 1000 क्विंटल होता है।

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बढ़ती है उर्वरा शक्ति
दीर्घ अवधि तक मवेशियों को हरा चारा उपलब्ध करवाने वाली बरसीम, दोमट और हल्की भूमि पर भी तैयार की जा सकती है। सबसे बड़ा लाभ भूमि की उर्वरा शक्ति के बढऩे से होता है, जिसे खरीफ में ली गई किसी भी फसल के उत्पादन से जाना जा सकता है। याने हरा चारा के बाद इसे दोहरा लाभ माना जा सकता है।
समय है बोनी का
मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर के बीच का समय बरसीम की बोनी के लिए सही माना गया है। मार्च तक के महीने के बीच किसानों को 5 से 6 कटाई का मौका मिलता है। अल्प सिंचाई में तैयार होने वाली इस फसल के लिए पहली सिंचाई, बोनी के 5 से 6 दिन बाद करनी होगी। परिपक्वता अवधि के बीच 15 से 20 दिन में सिंचाई के किए जाने पर उत्पादन प्रति हेक्टेयर 900 से 1000 क्विंटल मिलता है।
ही समय बोनी के लिए
बरसीम की बोनी के लिए सही समय है। विलंब से बोनी पर कटाई के अवसर कम होंगे। इसलिए बोनी का काम जल्द करें और प्रबंधन पर ध्यान दें।
डॉ एस आर पटेल
रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

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