भारतीय समाज: राजनीति और पत्रकारिता

भारतीय समाज, राजनीति और पत्रकारिता

अटल बिहारी वाजपेयीसबसे पहले मैं ‘तरुण भारत’ के संस्थापकों, संचालकों, संपादक मंडल और कर्मचारियों को बधाई देना चाहता हूँ। जिनके परिश्रम और-प्रयत्नों से आज ‘तरुण...

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सुशासन की ओर मुख्यमंत्री का प्रशासनिक मिशन

सुशासन की ओर मुख्यमंत्री का प्रशासनिक मिशन

छत्तीसगढ़ 1 नवंबर 2025 को अपना 25 वां जन्मदिन मना रहा हैं। रजत जयंती वर्ष पर छत्तीसगढ़ सरकार जश्न की तैयारी में जुटी हुई हैं। इससे पहले आत्ममंथन का भी मौका है...

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(यात्रा संस्मरण): पथरीले गांव में स्पंदित ‘हुगांपारा’ मारडूम (बस्तर )

(यात्रा संस्मरण): पथरीले गांव में स्पंदित ‘हुगांपारा’ मारडूम (बस्तर )

उर्मिला आचार्यपत्थर से बने छत् छाजन बाड़ी खाड़ी— मिट्टी और घास का उपयोग—- दूर-दूर बसे घर और उनमें से एक घर चिंगड़ी का भी —-!। हुंगापारा मारडूम बस्तर में हमने ...

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ए रामचंद्रन होने के मायने

राजेन्द्र शर्माबीते साल 10 फरवरी 2024 को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त चित्रकार और मूर्तिकार ए रामचन्द्रन इस फानी दुनिया से रुखसत हो गए। 89 वर्षीय ए ...

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रकम दोगुना करने के झांसे में फंसते छत्तीसगढ़ के पढ़े-लिखे लोग

रकम दोगुना करने के झांसे में फंसते छत्तीसगढ़ के पढ़े-लिखे लोग

दीक्षा मिश्रारायपुर। छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ते डिजिटल घोटालों ने न केवल आम लोगों की जेबें खाली की हैं, बल्कि पढ़े-लिखे और जागरूक समझे जाने वाले पेशेवरों को ...

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सिनेमा के आईने में समाज-जॉली एलएलबी 3 : अदालत में गूँजती कविता और किसानों की चुप्पी

फिल्म की शुरुआत में एक वकील नहीं, एक कवि बैठा दिखता है। उसकी मेज़ पर गजानन माधव मुक्तिबोध की तस्वीर रखी है—वही मुक्तिबोध जो कहा करते थे, कहीं कोई तो होगा, जो ...

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हबीब तनवीर ने लेखन में भारतीय संस्कृति को हूबहू उतारा

हबीब तनवीर ने लेखन में भारतीय संस्कृति को हूबहू उतारा

सड्डू स्थित जनमंच में रंग हबीब का आयोजन किया गयारायपुर। हबीब तनवीर वह नाम जिसकी रंगशाला में भारत देश की...

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छत्तीसगढ़ कला और संस्कृति की वैभव - विरासत पर फूहड़ आयोजनों का कब्जा

छत्तीसगढ़ कला और संस्कृति की वैभव – विरासत पर फूहड़ आयोजनों का कब्जा

कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक लंबी परंपरा और विरासत बनाना बहुत लंबे श्रम का कार्य है। बरसों बरस बीत जाते हैं और अनेक लोग इस परंपरा की स्थापना में निरंतर स...

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बेआवाज़ लोगों की आवाज़ हैं अब्दुल बिस्मिल्लाह की रचनाएँ

बेआवाज़ लोगों की आवाज़ हैं अब्दुल बिस्मिल्लाह की रचनाएँ

अब्दुल बिस्मिल्लाह के जीवन के 75 वर्ष पूरे होने पर हुआ ‘उपलक्ष्य 75’ का आयोजननई दिल्ली। हिन्दी कथा-संसा...

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सत्तासीनों की धार्मिक , साम्प्रदायिक आयोजनों में हिस्सेदारी

सत्तासीनों की धार्मिक , साम्प्रदायिक आयोजनों में हिस्सेदारी

इस समय साधु संतों, पंडे-पंडितों से ज्यादा धर्म की ध्वजा उठाये राजनीतिक लोग दिखते हैं। हमारे संवैधानिक मूल अधिकारों में हमारी धार्मिक स्वतंत्रता का भी अधिकार ह...

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