Bhatapara News- जिस भुइयां कार्यक्रम के लिए राज्य सरकार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला उसके क्रियान्वयन के लिए ही सरकार के पास संसाधन नहीं !

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0 पटवारियों ने सरकार के खिलाफ फूंका बिगुल, दिया अल्टीमेटम

राजकुमार मल

भाटापारा। राजस्व विभाग जो आम जनता से सीधा जुड़ा विभाग है , इसमें कार्य करने वाले पटवारी अब फिर से आंदोलन की राह पर हैं, लेकिन इस बार इनका आंदोलन का तरीका अलग है । ना ही ये हड़ताल पर बैठ रहे हैं ना ही सड़कों पर उतर रहे हैं, ना ही कार्यालय बन्द कर रहें हैं । इनके द्वारा सिर्फ ई-हड़ताल किया जा रहा है अर्थात ऑनलाइन से संबंधित समस्त कार्यों का बहिष्कार । राजस्व पटवारी संघ जिला बलौदा बाजार के पदाधिकारियों द्वारा बताया गया कि प्रांतीय आह्वान पर प्रथम चरण में उन्होंने प्रदेश के राजस्व मंत्री समेत समस्त जिले के कलेक्टर्स को ज्ञापन देकर ऑनलाइन कार्य हेतु संसाधन की मांग की है जिसके लिए पटवारियों द्वारा 15 दिसंबर तक का सरकार को अल्टीमेटम दिया गया है, ज्ञात हो कि विगत कई वर्षों से यह माँग संघ द्वारा की जा रही है । उसके पश्चात अगर मांग पूरी नहीं की जाती है तो द्वितीय चरण में 16 तारीख से संपूर्ण ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार करते हुए समस्त विभागीय व्हाट्सअप ग्रुप से बाहर होने का निर्णय लिया गया है । पटवारी संघ द्वारा ये भी बताया गया कि उक्त मांग हेतु प्रदेश भर के पटवारी विरोधस्वरूप काले वस्त्र या काला पट्टी धारण करके अपने फील्ड में कार्य कर रहे हैं । ज्ञात हो कि 6 माह पूर्व भी इन्हीं मांगों को लेकर प्रदेश भर के पटवारी कलमबंद हड़ताल पर गए थे जिसमें राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा द्वारा मांगो को 6 माह के भीतर पूर्ण करने का ठोस आश्वासन मिलने पर पटवारियों द्वारा हड़ताल समाप्त कर दिया गया था, किंतु वर्तमान समय तक मांग पूरी नहीं होने से पटवारियों में भयंकर रोष व्याप्त है । राज्य सरकार की योजनाओं समेत केंद्र सरकार की कई महत्वपूर्ण योजना जैसे भुइयां कार्यक्रम( नामांतरण , फौती,बंटवारा, अभिलेख शुद्धता,नक्शा बटाकन),कृषि संगणना, फॉर्मर रजिस्ट्रेशन,स्वामित्व योजना, फसल प्रयोग, जिओ – रिफ्रेंसिंग समेत कई ऑनलाइन कार्य पटवारियों द्वारा वर्तमान में संचालित किए जा रहे हैं जो कि उनके द्वारा स्वयं के व्यय से संसाधन व्यवस्था या किसी प्राइवेट संस्था में किराए के माध्यम से कराए जा रहे हैं, तथा पटवारी कार्यालय भी निजी कमरे को किराए से लेकर संचालित किए जा रहें हैं, महत्वपूर्ण पटवारी दस्तावेजों के रखरखाव और कार्य के लिए संबंधित मुख्यालयों में सरकारी कार्यालय भवन उपलब्ध नहीं है। जिसमें बहुत से शासकीय दस्तावेज गैर जिम्मेदारों के हाथ में होने का खतरा भी है। पूर्व सरकार में इसी भुइयां कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर राज्य सरकार को सम्पूर्ण जमीन के दस्तावेज ऑनलाइन करने हेतु पुरस्कार मिल चुका है मगर जमीनी कर्मचारियों को इसमें कार्य करने हेतु अब तक किसी प्रकार का संसाधन नहीं मिलना सरकार के दावे को खोखले साबित करते नजर आ रहे हैं ।

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संसाधन की कमी को समझाते हुए संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि मानलो आप एक सरकारी शिक्षक हैं, और सरकार यह कहे कि हम आपको सिर्फ वेतन देंगे, बाकि स्कूल बिल्डिंग और सारे शैक्षणिक सामान आप खुद व्यवस्था करें । उसके लिए सरकार कुछ नहीं करेगी और स्कूल सुचारू रूप से चलाने और सभी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का बोझ भी डालेगी । तब क्या यह सार्थक होगा ? और कर्मचारी शासकीय कार्य के लिए निजी संसाधन की व्यवस्था कैसे और क्यों करेगा । कार्यवाही और नौकरी की मजबूरी के चलते ऐसा करने पर पटवारीगण मजबूर है । लेकिन यह अच्छी और भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था का सूचक नहीं है ।

इन सभी के मध्यनजर अब देखना यह है कि इस पर सरकार क्या निर्णय लेती है ? चूंकि वर्तमान में शासन द्वारा धान खरीदी कार्य तथा केंद्र और राज्य के विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा और ऐसे में पटवारियों का ऑनलाइन कार्यों से मुंह मोड़ना किसानों को मुसीबत में डाल देगा ।

हमने किसानों एवं जनता के कार्यों को निर्बाध एवं समय पे पूर्ण करने हेतु संसाधन की मांग की है, किंतु बड़े अफसोस की बात है कि शासन ने अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया।
-राजीव तिवारी
जिलाध्यक्ष,रा. प.संघ बलौदाबाजार

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