Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – बोलियों का समंदर बनी हिंदी भाषा 

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

आज हिंदी दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है। जब मैं हिंदी की बात करता हूं तो मैं उसे हिंदुस्तान की तरह देखता हूं। जैसे हमारा देश बहुत सारे समुदायों से मिलकर बना है। ठीक वैसी ही हमारी हिंदी भाषा है जो अलग-अलग बोलियों के साथ मिलकर बनी है। इसमें तमाम 18 भाषाएं समायी हुई हैं, जैसे हमारा देश विविधताओं से परिपूर्ण है। ठीक उसी प्रकार से हिंदी भाषा भी तमाम भाषाओं को अपने अंदर समेटे हुए है। आज हम दुनिया की नजर में सबसे बड़ा बाजार हैं तो बाजार की भी अपनी भाषा होती है, सामान बेचने के लिए। हमारे यहां जब अंग्रेज आए तो वे अपनी भाषा साथ लाएं। जब मुगल आए तो वे अपनी भाषा साथ लाए। इसके अलावा तमाम राज्यों की भाषाओं को भी इसने एडाप्ट किया। वैसे तो ये कहा जाता है कि संस्कृत और तमिल सबसे प्राचीन भाषा है। जब हिंदी आई तो ये खड़ी बोली के रूप में सामने आई। अब अगर हम भरतेंदु हरिश्चंद्र के बाद से बात करें, तो हिंदी ने बहुत सारे शब्दों को अपने अंदर समाहित किया। जो लोग हिंदी की शुद्घता की बात करते हैं, उनको ये समझना होगा कि किस प्रकार से हिंदी ने अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, अरबी और फारसी के शब्दों को अपने अंदर समाहित किया। ऐसे ही कुछ अंग्रेजी के शब्दों की आइए हम चर्चा कर लेते हैं, जिनका इस्तेमाल हम रोज बोलचाल की भाषा में करते हैं। मसलन डॉक्टर, लालटेन, कोट, बटन, सिनेमा, हॉकी, चाक, बूट, शूट और पेन आदि। इसी तरह हम तुर्की के कुछ शब्दों का भी बोलचाल की भाषा में धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। जैसे बुलबुल, काबू, तमाशा, लाश, गलीचा, रोगा, तमगा, तोप, बारूद। अरबी भाषा के भी शब्द हैं जिनको हम बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल करते हैं। इनमें गरीब, अमीर, ईमानदार, दुनिया, अदालत, दौलत, हुक्का, किस्सा, मालिक और जलेबी। इसकी प्रकार फारसी भाषा के भी तमाम लफ्जों को हमारी हिंदी ने एडाप्ट कर रखा है, जैसे खरगोश, जमीन, रूमाल, सिपाही, सितारा, शहर, रास्ता, सुराही, रेशम, आदमी, गुलाब, चश्मा, जहाज और चाकू आदि तो वहीं इसमें पुर्तगाली भाषा के जो शब्द हैं जैसे आलमारी, कप्तान, तौलिया, बाल्टी, कमरा, पिस्तौल, पादरी, काजी, गिरजाघर और साबुन। ये ऐसे शब्द हैं जिनको काफी अरसे पहले हिंदी अपने आप में समाहित कर चुकी है, लिहाजा बहुत से लोग इन्हें हिंदी के शब्द समझकर ही इस्तेमाल करते हैं।
पवित्र नदी की जो भूमि है उसे हिंदुस्तान कहा जाता है। दूसरा ये कि जब भारत में मध्यकाल में तुर्क और ईरानी आए। उन्होंने सिंधु क्षेत्र में प्रवेश किया। उनकी मातृभाषा में स को ह उच्चारित किया जाता है। लिहाजा सिंधु को हिन्दू कहा जाने लगा और सिन्धुस्तान को हिंदुस्तान कहा जाने लगा। हिंदुस्तान की भाषा ही हिंदी को माना जाता है। आज 500 मिलियन से ज्यादा लोग हिंदी को बोलचाल की भाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। दुनिया में भारतीयों की तादाद भी काफी ज्यादा है, लिहाजा दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा भी अब हिंदी बनती जा रही है। दुनिया के 150 देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है तो वहीं दुनिया के 176 से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिंदी को पढ़ाया जाता है। 14 सितंबर 1949 में हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया, तभी से हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा 1965 में दिया गया। 1805 में प्रकाशित लालू राम द्वारा कृष्ण भगवान की लीला पर लिखित प्रेम सागर को हिंदी की पहली पुस्तक माना जाता है। हिंदी के शब्दों को टाइप करने वाला पहला टाइपराइटर 1930 के दशक में बाजार में आया था। हिंदी भाषा में लेखनी ध्वनि प्रधान होती है जो अंग्रेजी भाषा से बिल्कुल अलग होती है। हिंदी भाषा में जो लिखा जाता है उसी का उच्चरण किया जाता है। जबकि अंग्रेजी भाषा में ऐसा नहीं होता है। अंग्रेजी की रोमन लिपि में जहां कुल 26 वर्ण हैं तो वहीं हिंदी में कुल 52 वर्ण होते हैं। अमेरिका के 45 समेत दुनिया के 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढाई जाती है और ये कोर्स में भी शामिल है।
इंटरनेट पर भी हिंदी भाषा 2 हजार से अस्तित्व में आई। हिंदी का वह पोर्टल भी बहुत पहले आ चुका है लेकिन अब तो पोर्टलों की भरमार है और हम देखते हैं कि नेट पर हिंदी बहुत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। उसका बहुत बड़ा बाजार भी है लेकिन जैसा कि मैं कह रहा था कि अब इंटरनेट पर

मनोरंजन का बहुत बड़ा बाजार भी उपलब्ध है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जितनी अंग्रेजी और अलग-अलग भाषाओं की फिल्में आ रही है या सीरियल आ रहे हैं उसका भी अनुवाद हिंदी में हमको मिलता है। क्योंकि हिंदी का दर्शक हिंदी का श्रोता पूरी दुनिया में फैला हुआ है और खास करके हिंदुस्तान में इसलिए यह एक बहुत बड़ा बाजार है। यह बड़ा बाजार चाहे खेल हो चाहे सिनेमा हो या कोई दूसरी बात हो, उसको हिंदी में अनुवादित किया जाता है। हमारे देश में राजकाज़ की भाषा हिंदी है। शासन-प्रशासन में काम करने के लिए भी एक प्रकार से हिंदी का राज है। नेताओं को चुनाव लडऩे के लिए हिंदी भाषा सीखना जरूरी है। केवल आप अंग्रेजी बोलकर या किसी साउथ की भाषा बोलकर आप हिंदुस्तान में राज नहीं कर सकते हैं। इसलिए हम देखते हैं कि इटली से आई सोनिया गांधी भी धीरे-धीरे हिंदी सिखाती हैं। हिंदी अपने स्वभाव में बहुत उदार है। हिंदुस्तान में पहले जिस तरीके से भाषा की राजनीति होती थी, उस तरह की राजनीति अब नहीं होती। अगर हम अलग-अलग भाषाओं के इतिहास में जाते हैं, जैसा कि मैंने शुरू में कहा कि संस्कृत 3500 साल पुरानी है और भारत में बोली जाने वाली भाषा संस्कृत उसी के कई सारे शब्द हैं जिनको आज हिंदी में हम लोग देखते हैं। भारत की 197 भाषा विलुप्त होने की कगार पर है। कई बार दुनिया में लोग कह रहे हैं कि यह शब्द गायब हो रहे हैं। बहुत तेजी से हमारी बोलियां गायब हो रही है, जिस पर हमको चिंता करने की जरूरत है। इस तरह हम हिंदी की बात करते हैं तो हिंदी भी अपनी उदारता के कारण जानी जाती है, लेकिन उसमें हिंग्लिश एक नए तरह की लैंग्वेज टेक्नोलॉजी ने विकसित की है। जो अब सब जगह स्वीकार्य है। हम देख रहे हैं कि जबसे मोबाइल आया है, इंटरनेट आया है, कंप्यूटर आया है, उसकी एक अपनी भाषा लोगों ने स्वीकार की है। अभी दुनिया में 7000 भाषाएं हैं, उसमें भारत में 450 जीवित भाषाएं हैं। हम भाषा के मामले में बहुत समृद्ध है लेकिन जब तक हम अपनी बोलियां की चिंता नहीं करेंगे तब तक हमारी भाषा समृद्ध नहीं हो पाएगी। हमारा बहुत सारा साहित्य अवधि में है, ब्रज और अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में है। हम अपनी पड़ोस की भाषा समझते हैं। क्या अगर हमारा कोई साथी आंध्र की तेलुगू या कोई कन्नड़ बोलता है, या कोई मराठी बोलता है, अथवा गुजराती बोलता है, तो क्या हम उसको समझने लगे हैं? या हम उसके बारे में भाषा के प्रति सजग हैं। यह एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है और उससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हम हिंदी की बात करते हैं। जब हमारी हिंदी राजभाषा बनी तो जिन लोगों ने राजभाषा के लिए शब्दावली गढ़ी वह इतनी कठिन थी कि जो घर में बोली जाती है या आम लोगों के बीच बोली जाती है या फिर जो सरकारी कामकाज में इस्तेमाल हुआ कराती है उससे ज्यादा क्लिष्ट थी। इस तरह हुआ ये कि वह आमजन की भाषा नहीं बन पाई। हमने पिछले दिनों देखा कि मध्य प्रदेश सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई के लिए हिंदी में पाठ्यक्रम तैयार किया और उसको लाया पर उसको उस तरीके से स्वीकार नहीं किया गया। धीरे-धीरे अंग्रेजी ही लोग पढऩा पसंद करने लगे हैं। हम देख रहे हैं कि अभी अलग-अलग लैंग्वेज में बच्चे बात करते हैं। जो नई पीढ़ी है वो पीढ़ी दो दशक या तीन दशक पहले पैदा हुई है। अंग्रेजी स्कूल बहुत बड़े हैं तो उनको हिंदी के बहुत सारे शब्द नहीं आते हैं। उनको हिंदी की गिनती जैसे कि 67 या 78 ऐसे चीज बोलने में तकलीफ होती है। आज जिस तरीके की भाषा बोली जाती है उसी को वह सुनते हैं और बोलते हैं। तो निश्चित रूप से हिंदी का बाजार बड़ा है, हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ी है। हिंदी सिनेमा ने टीवी सीरियल ने इन सबने हिंदी को बढ़ावा देने में एक बड़ा रोल प्ले किया है। हम यह समझते हैं कि अब पूरी दुनिया में भारतीय लोग हैं और एशिया के लोग हैं, जो हिंदी में ही संवाद स्थापित करते हैं।

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