Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – हंगामेदार होगा संसद का मानसून सत्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - हंगामेदार होगा संसद का मानसून सत्र

-सुभाष मिश्र

भारतीय संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है। 2025 का यह सत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि हालिया घटनाओं जैसे पहलगाम आतंकी हमला, भारत-पाकिस्तान संघर्ष और चुनावी मुद्दों के कारण यह काफी हंगामेदार रहने की उम्मीद है।
यह सत्र 21 जुलाई 2025 (सोमवार) से शुरू होकर 21 अगस्त 2025 (गुरुवार) तक चलेगा। इस सत्र में 21 बैठकें होंगी। बैठकें सोमवार से शुक्रवार तक होंगी, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों सुबह 11 बजे से शुरू होंगी। 12 अगस्त 2025 को सदन स्थगित होगा और 18 अगस्त 2025 को फिर से शुरू होगा। इस बीच 13 से 17 अगस्त तक स्वतंत्रता दिवस समारोह के कारण कोई बैठक नहीं होगी। शुक्रवार (25 जुलाई, 1 अगस्त, 8 अगस्त) को सरकारी कार्य के साथ निजी सदस्यों के विधेयक या प्रस्तावों पर चर्चा होगी। संसद सचिवालय के अनंतिम कैलेंडर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जुलाई को मीडिया को संबोधित करेंगे। संसद के यह सत्र राष्ट्रीय सुरक्षा, चुनावी सुधार, आर्थिक नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर केंद्रित रहेगा।
देश में हुए पहलगाम आतकी हमले और आपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष तत्काल सदन का विशेष सत्र आहूत करने की मांग कर रहा था किंतु सरकार ने विशेष सत्र नहीं बुलाकर मानसून सत्र की घोषणा कर दी । इस मानसून सत्र में पहलगाम आतंकी हमला (मई 2025), जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, प्रमुख मुद्दा होगा। इसके जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूरÓ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में मिसाइल हमले किए गए। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक कार्रवाई थी, जिसमें क्रूज मिसाइल और लोइटरिंग मुनिशन्स का इस्तेमाल हुआ। विपक्ष सीमा संघर्षों (चीन-पाकिस्तान दो-मोर्चा खतरा) पर सरकार से जवाब मांगेगा। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे की उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में संघर्ष विराम कराया और व्यापार समझौते का इस्तेमाल किया, साथ ही 5 लड़ाकू विमानों के गिराए जाने का दावा। भारत ने इन दावों को खारिज किया है, लेकिन विपक्ष इसे विदेश नीति की कमजोरी के रूप में उठाएगा। बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया जिसे विपक्ष मतदाता अधिकारों पर खतरा और चुनावी घोटाला बता रहा है। दिल्ली में झुग्गी तोडऩे और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के विस्तार की भी चर्चा हो सकती है।
इंडिया गठबंधन (कांग्रेस, आप आदि) सत्र को आक्रामक बनाने की तैयारी में है। ऑल-पार्टी मीटिंग (20 जुलाई) में विपक्ष ने जो मुद्दे उठाए उनके अनुसार कांग्रेस (गौरव गोगोई) पहलगाम हमला, संघर्ष और बिहार स्ढ्ढक्र पर प्रधानमंत्री की नैतिक जिम्मेदारी।
आप (संजय सिंह)- ट्रंप के संघर्षविराम दावों पर स्पष्टीकरण, दिल्ली झुग्गी तोडऩा और बिहार स्ढ्ढक्र को रोकना। विपक्ष की रणनीति सदन में हंगामा कर विधेयकों को अटकाना और सरकार को घेरना है। वे इंडिया ब्लॉक के रूप में एकजुट होकर इन मुद्दों पर बहस की मांग करेंगे।
विपक्षी हमलों के बीच सत्ता पक्ष की ओर से जो विधेयक लाये जा सकते हैं उनमें मोदी सरकार का फोकस महत्वपूर्ण सुधारों पर है। सत्र में 8 नए विधेयक पेश किए जाएंगे, साथ ही कुछ पुराने पारित किए जाएंगे।
नए विधेयक राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 (खेल सुशासन सुधार)। भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, 2025 (सांस्कृतिक संरक्षण) खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025 (खनन सुधार)। राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025 (खेल में डोपिंग रोकथाम)। मणिपुर माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 (मणिपुर जीएसटी सुधार)। जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 (व्यवसाय सुगमता)। भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 (आईआईएम में नए संस्थान जोडऩा)। कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 (कर सुधार) शमिल है। इसके अलावा विचार और पारित करने के लिए जो विधेयक लाये जायेंगे उनमें आयकर विधेयक, 2025 (आयकर ओवरहॉल, सिलेक्ट कमिटी रिपोर्ट 21 जुलाई को पेश)। गोवा राज्य में अनुसूचित जनजातियों के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक, 2024। भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025। व्यापारी जहाजरानी विधेयक, 2024। तटीय जहाजरानी विधेयक, 2024। समुद्र द्वारा माल ढुलाई विधेयक, 2024। लदान पत्र विधेयक, 2024। इसके अलावा, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार और राज्य के अनुदान मांगों को मंजूरी दी जाएगी।
मानसून सत्र से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक हुई। जिसमें पक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण, ओडिशा में कानून-व्यवस्था और पहलगाम आतंकवादी हमले सहित विभिन्न मुद्दे उठाए सरकार ने सदन के सुचारू संचालन के लिए विपक्षी दलों से सहयोग मांगा। केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए. संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू और उनके कनिष्ठ मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया । कांग्रेस के गौरव गोगोई एवं जयराम रमेश, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)-शरदचंद्र पवार की सुप्रिया सुले, द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (द्रमुक) के टी आर बालू और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई-ए) के नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले बैठक में शामिल हुए।
कांग्रेस नेता गौरव गगोई ने अमेरिका से आ रहे बयानों को लेकर केंद्र सरकार के रूख के बारे में पूछा और कहा कि संसद में पीएम को इस पर बोलना चाहिए। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने बताया कि उन्होंने बैठक में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के कथित चुनावी घोटाले और भारत तथा पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की मध्यस्थता को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे का मुद्दा उठाया।
सर्वदलीय बैठक में हुई गहमागहमी को देखकर लगता है कि संसद का यह मानसून सत्र ‘तूफानी और विवादास्पदÓ होगा। विपक्ष के आक्रामक रुख से कई दिन हंगामे में बीत सकते हैं, जैसा कि पिछले सत्रों में देखा गया। उत्पादकता कम रह सकती है, लेकिन यदि सहयोग हो तो महत्वपूर्ण विधेयक पारित हो सकते हैं। सरकार ने सभी मुद्दों पर चर्चा की तैयारी की है लेकिन विपक्ष के दबाव से कई विधेयक अटक सकते हैं। यह सत्र लोकतंत्र की परीक्षा होगा, जहां राष्ट्रीय हितों पर बहस जरूरी है।

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