Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – डिजिटल अरेस्ट जागरूकता ही बचाव

Editor-in-Chief

-सुभाष मिश्र

हम डिजिटल युग में जी रहे हैं। यह डिजिटल क्रांति का योग है और सारी जगह हम कोशिश करते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हमारा ट्रांजेक्शन हो। हमारा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हो और कन्वर्सेशन हो। हम जो भी काम करें, उसमें कागज पत्र का उपयोग ना हो। यही वजह है कि आजकल बैंकों से लेकर तमाम जगहों पर डिजिटल ट्रांजेक्शन या डिजिटल चलन बढ़ गया है। यह बात इसलिए जरूरी हो गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 115वें एपिसोड में डिजिटल अरेस्ट और डिजिटल फ्रॉड को लेकर लोगों को चेताया आया है। उन्होंने कहा कि यह देश में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे मामलों में डिजिटल सुरक्षा के तीन कदम हैं। रुके, सोचें और कार्रवाई करें। अगर संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग भी कर लें। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर इस तरह की धमकी नहीं देती कि उनको गिरफ्तार कर लिया जाएगा या उन पर किसी प्रकार का केस दर्ज कर लिया जाएगा। सरकारी एजेंसियों के कामकाज करने का तरीका अलग होता है, लेकिन बहुत सारे लोग नकली सरकारी अधिकारी बनकर, सीबीआई के अफसर बनकर, ईडी अफसर बनकर धमकाते हैं, लेकिन सरकारी अफसरों को ऐसा करने की जरूरत नहीं होती। उनका अपना दफ्तर होता है, उनके अपने काम करने के तरीके होते हैं। जो लोग ऐसे फ्रॉड लोगों के जाल में फंसते हैं तो उनसे निकलने के लिए सरकारी अफसर से संपर्क करते हैं। फ्रॉड करने वाले अलग तरह के लोग होते हैं और उनके काम करने का तरीका अलग तरह का होता है।

इस साल की पहली तिमाही में ही डिजिटल अरेस्ट वाली धोखाधड़ी से अकेले भारतीयों को 120.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। डिजिटल अरेस्ट के शिकार हर वर्ग, हर उम्र के लोग हैं। बहुत से लोगों ने इसी डिजिटल अरेस्ट में डर से अपनी मेहनत से कमाए लाखों रुपए गवां दिए हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात में भी डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट कोई व्यवस्था नहीं है, यह फ्रॉड है, इसलिए डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण हैं। ‘रुको, सोचो और एक्शन लो। कभी भी आपको इस तरह का कोई कॉल आए तो आपको डरना नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दर्ज की गई डिजिटल गिरफ्तारी, व्यापारिक घोटालों, निवेश घोटालों और रोमांस/डेटिंग घोटालों सहित 46फीसदी डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में स्थित शातिर साइबर ठग शामिल थे। पीडि़तों को कुल मिलाकर 1,776 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पीडि़तों को व्यापारिक घोटालों में 1,420.48 करोड़ रुपये, निवेश घोटालों में 222.58 करोड़ रुपये और रोमांस/डेटिंग घोटालों में 13.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय के मुताबिक़ 1 जनवरी से 30 अप्रैल 2024 के बीच 7.4 लाख शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि 2023 में 15.56 लाख, 2022 में 9.66 लाख और 2021 में 4.52 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं। म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में बैठे ठग कई तरह की तिकड़म का इस्तेमाल करते हैं। इसमें नकली रोजगार के लिए लुभाना, सोशल मीडिया की मदद से शोषण करना आदि शामिल है। पिछले दिनों एक वेब सीरीज आई थी जमताड़ा। हमारे देश के गुजरात और झारखंड के अलावा कई राज्यों के बेरोजगार इस तरह की धोखाधड़ी कर रहे हैं। वे बैंक से फ्रॉड करके पैसे निकाल रहे हैं। इस वेब सीरीज में भी में भी कुछ युवा ऐसा करते हुए दिखाई दिए।

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गृह मंत्रालय ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के ज़रिए केंद्रीय स्तर पर साइबर क्राइम की निगरानी करता है। डिजिटल फ्रॉड करने वाले ज़्यादातर लोग तीन दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में स्थित होते हैं। ये देश हैं म्यांमार, लाओस और कंबोडिया, क्योकि साइबर ठगी के लगभग 46फीसदी मामले इन्हीं तीन देशों से दर्ज हुए। इसमें चार तरह के घोटालों का जि़क्र किया है- डिजिटल अरेस्ट, ट्रेडिंग स्कैम, इनवेस्टमेंट स्कैम और डेटिंग स्कैम। इसमें वीडियो कॉल पर पीडि़त से संपर्क किया जाता है, फिर उन्हें धमकाकर या लालच देकर लंबे समय तक कैमरे के सामने रखा जाता है। इसमें आमतौर पर रिटायर्ड या काम कर रहे पेशेवरों को निशाना बनाया जाता है, क्योंकि उनके बचत खातों में अच्छी-खासी रकम होती है और वे तकनीकी रूप से उतने अपडेटेड नहीं होते हैं। ‘डिजिटल गिरफ्तारीÓ धोखाधड़ी के तहत, कॉल करने वाले पुलिस, सीबीआई, आरबीआई या नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी बनकर बड़े आत्मविश्वास के साथ बात करते हैं। उनका पहला कदम आपकी व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करना है। दूसरा कदम डर का माहौल बनाना है, इतनी चिंता पैदा करना कि आप ठीक से सोच ही न सकें। तीसरा कम समय का दबाव बनाना है। साइबर अपराध का खतरा पिछले कुछ सालों में बढ़ा है, खासकर इंटरनेट यूजर्स की बढ़ती संख्या के साथ यह और बढ़ गया है। 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स के साथ भारत ने डिजिटल इंडिया पहल के तहत असाधारण डिजिटल विकास देखा है, लेकिन इस प्रगति के साथ साइबर धोखाधड़ी की चुनौतियां भी आई हैं। 2023 में ऐसी 11 लाख घटनाएं सामने आई हैं। लोगों को डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगा जा रहा है। साइबर अपराधी वीडियो कॉल के जरिए डराते हैं और पैसे ऐंठते हैं। सरकार ने चेतावनी भी दी है और साइबर अपराध रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 और पोर्टल दिया है। दिल्ली के एक 50 वर्षीय पत्रकार ने ऑनलाइन ठगी में 1.86 करोड़ रुपये गंवा दिए। नोएडा में एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी को 1.19 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया। अहमदाबाद की 27 वर्षीय महिला को साइबर अपराधियों ने 5 लाख रुपये ऐंठने से पहले वेबकैम पर कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया। इन सभी मामलों में एक बात समान है-पीडि़तों को ‘डिजिटल गिरफ्तारीÓ के तहत रखा गया था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में साइबर अपराधों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। 2017 में 3,466 मामले, 2018 में 3,353, 2019 में 6,229, 2020 में 10,395, 2021 में 14,007 और 2022 में 17,470 मामले दर्ज किए गए। तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा को एक लिखित उत्तर में बताया कि 2023 में वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की 11,28,265 शिकायतें मिली थीं।

मार्च 2024 में, गृह मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लोगों को पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक अर्थात आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के नाम पर फर्जी कॉल करने वाले ब्लैकमेलर्स के प्रति सतर्क किया था। धोखाधड़ी करने वालों का तरीका आमतौर पर पीडि़तों से संपर्क करना और दावा करना होता है कि पीडि़त ने या तो नशीले पदार्थ, नकली पासपोर्ट, या अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं जैसे अवैध सामानों वाला एक पार्सल भेजा है या प्राप्त करने वाला है। कुछ मामलों में वे आरोप लगाते हैं कि पीडि़त का कोई करीबी रिश्तेदार या दोस्त किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल रहा है और अब हिरासत में है। कथित मामले को सुलझाने के लिए धोखाधड़ी करने वाले पैसे की मांग करते हैं। कुछ मामलों में पीडि़तों को एक ‘डिजिटल गिरफ्तारीÓ से गुजरने के लिए बरगलाया जाता है, उन्हें स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से लगातार निगरानी में रखा जाता है, जब तक कि अपराधियों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं। ये धोखाधड़ी करने वाले पुलिस थानों और सरकारी कार्यालयों जैसे स्टूडियो का इस्तेमाल करते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं। ऐसे अपराधियों के हाथों देशभर में कई पीडि़तों ने बड़ी रकम गंवाई है। यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और इसे सीमा पार अपराध सिंडिकेट की ओर से संचालित करने की जानकारी मिली है। शिक्षित व्यक्ति भी इन धोखाधड़ी करने वालों के झांसे में आ रहे हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि सीबीआई, पुलिस या ईडी किसी को भी वीडियो कॉल पर गिरफ्तार नहीं करते हैं। इसलिए आप उसके झांसे में ना आए।

साइबर सुरक्षा एक्पर्ट मानते हैं कि अपराधी लोगों के मन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ मामलों में धोखाधड़ी करने वाले माता-पिता से पैसे ऐंठने के लिए बच्चों को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करते हैं, यह कहकर कि उनके बच्चे को ड्रग्स के साथ पकड़ा गया है। ये अपराधी अब इंसानी मन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले, उनका तरीका पीडि़तों को यह बताना होता था कि उनके पार्सल में ड्रग्स मिले हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा और कानूनी परिणामों के डर से पीडि़त पैसे दे देते हैं। अपराधी लोगों से जुर्माना देने या वकील करने के लिए भी कहते हैं। एक बार जब आप भुगतान कर देते हैं, तो वे जान जाते हैं कि पीडि़त अब कहानी पर विश्वास करते हैं। फिर पीडि़तों को कैमरे के सामने बैठने के लिए कहा जाता है जब तक कि वे पूरी राशि जमा नहीं कर देते। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर अपराधों में वृद्धि के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दोषी ठहराते हुए कहा कि सरकार को इस खतरे को रोकने के लिए और कदम उठाने चाहिए। ‘अपराधी लंबे समय से वित्तीय धोखाधड़ी करते रहे हैं। यह कानून प्रवर्तन की विफलता है, जिसके कारण ये अपराधी अब निडर हो गए हैं। सरकार की ओर से ऐसे अपराधों को रोकने के लिए उठाए गए कदम केवल कागजों पर ही हैं।

प्रधानमंत्री डिजिटल अरेस्ट की बात कर रहे हैं और उसके प्रति सचेत कर रहे हैं। आखिर प्रधानमंत्री को मन की बात में ऐसा क्यों कहना पड़ा, क्योंकि इस तरह के अपराध बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। बहुत से लोग भी उनके झांसे में आ रहे हैं। रायपुर, लखनऊ, भोपाल जैसे बड़े शहरों की बात करें तो यहां भी लोगों को बहुत से कॉल आते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति को कपड़े उतारने के लिए कहा जाता है और उसका वीडियो बना लिया जाता है, ऐसा निर्देश देने वाले की आवाज किसी महिला की होती है। बाद में उसका वीडियो दिखाकर उसे डर दिखाया जाता है कि उसका वीडियो वायरल कर दिया जाएगा। इस तरह की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ रही है। बहुत बार आपको किसी ऐप के जरिए या आपको कोई नंबर भेजकर आपके मोबाइल से ही पैसा निकाल लेते हैं। जब आप डिजिटल ट्रांसफर ट्रांजेक्शन करते हैं तो उससे भी पैसा निकाल लेते हैं। कई तरह के फ्रॉड होते हैं। आए दिन हर आदमी के पास बहुत सारे अज्ञात कॉल आते हैं। अगर आप अपने फोन पर अज्ञात कॉल उठा रहे हैं और आप ट्रूकॉलर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो भी आप फंसते हैं। कई बार आदमी उत्सुक होकर कि हो सकता है कि काल कोई पहचान का व्यक्ति हो या किसी ने मुसीबत में आकर कॉल किया होगा यह सोचकर फोन उठा लेते हैं। जो लोग लैपटॉप पर काम करते हैं और अपना पासवर्ड हमेशा एक जैसा रखते हैं। उसमें बदलाव नहीं करते हैं तो पासवर्ड लीक हो जाता है या उनके मोबाइल पर कोई जानकारी है और मोबाइल हैक हो जाता है। उसमें फोटोग्राफ भी होते हैं। कई इंटीमेट फोटो होती है, हैककर उसका उपयोग ब्लैकमेल करते हैं। आजकल हम देखते हैं कि डाटा बेचे जाने की भी बहुत खबरें आ रही है। हम जहां भी जाते हैं हमारा ईमेल मांगा जाता है। होटल में जाते हैं तो आधार कार्ड मांगा जाता है। हमसे कहा जाता है कि अपना परिचय पत्र दिखाइए। अपना पैन कार्ड दे दीजिए। बहुत सारी हमारी आईडी जमा करनी पड़ती है। यही आईडी लेककर हैकर्स जानकारी इक_ा करते हैं और फिर लोगों को डरा-धमकाकर उनसे पैसे ऐंठते हैं और ब्लैकमेलिंग करते हैं। हम नए युग में डिजिटल का उपयोग तो नहीं रोक सकते हैं। हम बहुत सारे ट्रांजेक्शन डिजिटल मनी के जरिए ही करते हैं। बहुत सारे काम ईमेल के जरिए करते हैं। पिक्चर अलग-अलग ऐप से बुक करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निश्चित रूप से डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए लोगों को तीन मंत्र दे रहे हैं, उसे हमें ध्यान रखना है। यह प्रकार का फ्रॉड है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वह समाज के दुश्मन हैं। वह देश के दुश्मन हैं। इस तरह का काम चल रहा है, उसके लिए तमाम जांच एजेंसी है जो राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। एजेंसियां आपस में तालमेल बनाने के लिए कोऑर्डिनेशन केंद्र की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपकी डिजिटल सुरक्षा के लिए कुछ चरण बताए हैं। रुको, सोचो और एक्शन लो। यानी कॉल आते ही पहले रुको, घबराओ नहीं शांत रहो, जल्दबाजी मत करो, जल्दबाजी में कोई कदम मत उठाओ। किसी को व्यक्तिगत जानकारी मत दो। संभव हो तो स्क्रीनशॉट लो और उसकी रिकॉर्डिंग भी कर लो। जब किसी देश का प्रधानमंत्री यह बात कह रहा है तो निश्चित रूप से गंभीर समस्या है। हमें इसको समझाना पड़ेगा कि प्रधानमंत्री की अपील या जो समझाना चाहते हैं या वह जो बता रहे हैं। वह बहुत काम की चीज है। जब भी आप किसी तरह का डिजिटल लेन-देन करें। डिजिटल जानकारी शेयर करें या किसी भी तरह का कोई फोन आए तो घबराए नहीं, पहले देखें सोचें उसके बारे में फिर कोई निर्णय लें।

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