Claim of subsidy: रिकॉर्ड में लाखों की सब्सिडी का दावा: किसानों ने किया इनकार

रिकॉर्ड में लाखों की सब्सिडी का दावा: किसानों ने किया इनकार

मछली पालक बोले- कैश देकर बीज खरीदा, खाते में नहीं आए रुपए

गरियाबंद। जिले में मछली पालक कृषक छले जा रहे हैं। विभाग के रिकॉर्ड में किसानों को सब्सिडी में मछली बीज देने का जिक्र है लेकिन हकीकत में किसान नकद भुगतान कर बीज लाए थे। साल भर में मछलियों का वजन 100 ग्राम भी नहीं बढ़ा। आरटीआई से मिली जानकारी से हुए खुलासे के बाद संभाग आयुक्त से शिकायत की गई है। मत्स्य विभाग में ग्रामीण मछली पलकों को बढ़ावा देने राज्य और केंद्र सरकार की कई योजनाएं संचालित हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में मत्स्य पलकों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है या वे ठगे जा रहे हैं। मामले का खुलासा आरटीआई से निकाले गए दस्तावेज से हुआ।

आरटीआई कार्यकर्ता मोहम्मद लतीफ ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना पर किए गए खर्च की जानकारी निकाली थी। दस्तावेज के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में जिले के आदिवासी और गैर आदिवासी 168 मछली पालकों को 50 प्रतिशत सब्सिडी के आधार पर 10 लाख 10450 रुपए के उन्नत किस्म के मछली बीज उपलब्ध कराने का दावा किया गया है। रिकॉर्ड में मैनपुर ब्लॉक के कोयबा गांव के 20 हितग्राहियों का नाम भी था, जिनसे मिलने पर सब्सिडी के बजाए नकद भुगतान कर बीज लाने की बात किसानों ने बताई है।

खाते ने पैसा लौटाने का झांसा देकर लिए थे आधार कार्ड
मामले की सच्चाई जानने रिकॉर्ड में उल्लेखित किसानों में से राम नेताम, लंबर सिंह,कुंवर सिंह, छत्तर सिंह, आशिक मांझी से मुलाकात की गई। सभी ने किसी भी प्रकार के योजना से अनभिज्ञता जाहिर की। कहा कि पिछले साल मछली विभाग के कर्मचारी उनसे संपर्क किए थे। उन्हें उच्च क्वालिटी के मछली बीज सस्ते कीमत में दिलाने का दावा किया गया था। सभी कर्मचारियों के कहने पर पिकअप किराए में लेकर गरियाबंद मछली डिपो तक पहुंचे। सभी से 4-4 हजार रुपए लिए गए, फिर मछली की मात्रा जितनी दिया वो उन्हें बाजार कीमत से भी महंगा लगा। किसानों ने कहा कि जितने लोगों को मछली बीज दिया गया सभी से विभाग के लोग आधार कार्ड की कॉपी मांग लिए थे, और वादा किया था कि फंड आने पर उनके खाते में पैसे जमा करा देंगे। मामला सितंबर 2023 का बताया जा रहा है।
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लीज पटाने लायक भी नहीं निकली मछली
ठगे जाने के एहसास उन्हें पहले से हो गया था, जब बीज की रकम उन्हें खाते में आने की बात कही गई थी और नहीं आया। कोयबा के उस तालाब लेकर किसान हमें ले गए, जहां साल भर पहले मछली बीज डाला गया था। हमारे सामने ही मछली का जाल फेंक जब मछली बाहर निकाला तो उसमें 50 ग्राम वजनी मछली नहीं निकला, जबकि इन्हें 6 माह में एक से दो किलो वजन होने का दावा विभाग ने किया था।

आरटीआई कार्यकर्ता ने ने संभाग आयुक्त से की शिकायत
आरटीआई कार्यकर्ता ने रिकॉर्ड में किए दावे के मिलान के बाद मामले में मत्स्य विभाग पर योजना क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी का आरोप लगा कर रायपुर संभाग आयुक्त से इसकी लिखित शिकायत की है। शिकायतकर्ता मोहम्मद लतीफ ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में 26 लाख के मछली जाली और 15 लाख से ज्यादा कीमत के आइस बॉक्स खरीदी की गई। विभाग ने इसे किन हितग्राहियों को दिया उसकी जानकारी नहीं दी। लतीफ ने आरोप लगाया कि सब्सिडी योजना की तरह नेट और आइस बॉक्स वितरण में भी भारी गड़बड़ी की गई है। विभाग प्रत्येक साल मछली वितरण ही नहीं जिले के कई छोटे-छोटे मछली बीज पालकों से बीज खरीदी का दावा कर लाखों का भुगतान किया है। समस्त व्यय की जांच की गई तो कई चौंकाने वाले खुलासे होने का दावा किया है।

रिकॉर्ड में जिनका नाम सभी को मिला सब्सिडी पर बीज
मामले में मत्स्य विभाग के उप संचालक आलोक वशिष्ठ ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि जिनका नाम रिकॉर्ड में उन सभी को सब्सिडी में बीज उपलब्ध कराया गया है।उनसे पैसे दिए गए मात्रा के कुल कीमत के आधे ही लिए गए हैं। जिले भर में स्टाफ की कमी है, प्रत्येक ब्लॉक में प्रत्येक किसान तक पहुंच एक-एक चीज बता पाना संभव नहीं है। नेट और बॉक्स शिविर या विशेष आयोजनों में ही कृषकों को वितरण किया जाता है।

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