इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 के अनुसार साउथ इंडिया के राज्यों की पुलिसिंग, जेल और इंसाफ देश के बाकी राज्यों के मुकाबले कई ज्यादा बेहतर है। पुलिसिंग के मामले में तेलंगाना पहले नंबर पर है, वहीं बद से बदतर पुलिसिंग के लिए पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश का नाम आता है। इसी तरह जेल और इंसाफ के मामले में भी पश्चिम बंगाल और यूपी निचले पायदान पर हैं। छत्तीसगढ़ 13वें स्थान पर और मध्यप्रदेश 5वें स्थान पर है।
ज्ञात है कि पिछले कुछ महिनों पहले केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्य की पुलिस को राष्ट्रपति निशान (पुलिस कलर्स अवार्ड-2024) सौंपा। यह देश के सशस्त्र बलों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। बीते 24 वर्षों में छत्तीसगढ़ पुलिस की असाधारण सेवाओं, बहादुरी और कर्तव्यपरायणता के लिए राज्य को यह सम्मान मिला है। छत्तीसगढ़ यह सम्मान हासिल करने वाला देश का सबसे युवा राज्य है, जिसने अपने गठन के मात्र 24 वर्षों में ही यह उपलब्धि हासिल की है। किन्तु इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में वह पीछे है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट ने देश भर के राज्यों को दो अलग अलग हिस्सों में बांटा गया है। एक बड़े राज्य और दूसरा छोटे राज्य। बड़े राज्यों में कुल 18 राज्यों को पुलिस, जेल, जूडिशियरी और कानूनी मदद के मामले में अच्छे या बुरे काम के लिए रैंकिंग दी गई है। इस रैंकिंग में पुलिसिंग के मामले में तेलंगाना को सबसे बेहतर राज्य करार दिया गया है। जबकि पश्चिम बंगाल को सबसे बदतर। बदतर पुलिसिंग के मामले में पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश का नाम आता है।
पूरे देश में 20 लाख पुलिसवाले। देश में एक पुलिसवाले पर 831 लोगों की जिम्मेदारी। करीब ढाई लाख महिला पुलिस में से 90 फीसदी कॉंस्टेबल पश्चिम बंगाल। उत्तर प्रदेश पुलिसिंग के मामले में सबसे बदतरीन। 2024 के आखिर तक देशभर की अदालतों में 5 करोड़ केस पेंडिंग। देशभर में कुल 21 हजार 285 जज। देश की हर 10 लाख की आबादी में सिर्फ 15 जज। हाईकोर्ट में 33 फीसदी और निचली अदालतों में जजों के 21 फीसदी पद खाली। मध्य प्रदेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट के हर जज पर 15 हजार मामलों का भार।
इस रिपोर्ट में देश भर में पुलिस, जेल, ज्यूडिशरी और कानून मदद का पूरा हाल बताया गया है। ये रिपोर्ट सरकारी आंकड़ों और 100 से ज्यादा सबूतों के आधार पर तैयार की गई है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में ओवरऑल रैंकिंग में कर्नाटक पहले नंबर पर है। आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर, तेंलंगाना तीसरे नंबर पर, केरल चौथे नंबर पर और तमिलनाडू पांचवें नंबर पर। यानि टॉप फाइव राज्य में सभी दक्षिण भारत के राज्य है। इनमें से एक भी उत्तर भारत का राज्य नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल 20 लाख पुलिसवाले हैं, इनमें से महिला पुलिस की तादाद 2 लाख 42 हजार है। इन 2 लाख 42 हजार महिला पुलिस में से 90 फीसदी महिलाएं कॉंस्टेबल के पद पर हैं। 1 हजार से भी कम ऐसी महिलाएं हैं जो सीनियर पोजिशन यानि एसपी या डीजी जैसे पदों पर हैं। 2 लाख 42 हजार महिला पुलिसकर्मियों में से सिर्फ 960 आईपीएस अफसर हैं। जबकि देश भर में कुल आईपीएस अफसर की तादात 5047 है।
अगर मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही अकेले हर जज पर 15-15 हजार केसों का भार हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश भर में पेंडिंग केसों की तादाद क्या होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 के आखिर तक देश में पेंडिंग केसों की तादाद 5 करोड़ तक पहुंच गई है। देश के 17 बड़े राज्यों की निचली अदालतों में ही 25 फीसदी से ज्यादा ऐसे केस हैं जो 3 साल से पेंडिंग पड़े हैं।
140 करोड़ की आबादी वाले देश में कुल 21 हजार 285 जज हैं। लेकिन अब भी हाईकोर्ट में 33 फीसदी और निचली अदालतों में जजों के 21 फीसदी पद खाली हैं। देश की हर 10 लाख की आबादी पर कुल 15 जज हैं।
पुलिसिंग के मुकाबले ज्यूडिशियरी में महिलाओं की भागीदारी थोड़ा बेहतर है। लोअर कोर्ट्स में 38 फीसदी जज महिला है। जबकि हाईकोर्ट्स में 14 फीसदी महिलाएं जज हैं।
देश भर की 50 फीसदी से ज्यादा जेल ओवरक्राउडेड है। कुछ जेल तो ऐसे हैं जहां क्षमता से लगभग 400 फीसदी ज्यादा कैदी हैं। रिपोर्ट में देश की सबसे ज्यादा भीड़ वाली टॉप फाइव जेलों में पहले नंबर पर मुरादाबद डिस्ट्रिक जेल, दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल की कोंडी सब जेल, तीसरे नंबर पर दिल्ली की तिहाड़ जेल नंबर 4, यूपी की ज्ञानपुर डिस्ट्रिक जेल और दिल्ली की ही तिहाड़ जेल नंबर 1 है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त की देश की अलग अलग जेलों में 5 लाख 70 हजार कैदी बंद हैं। इनमें से सिर्फ 1 लाख 40 हजार सजायाफ्ता कैदी हैं। बाकी के 4 लाख 30 हजार अंडर ट्रायल यानि विचाराधीन कैदी हैं। यानि देशभर की जेलों में बंद 5 लाख 70 हजार कैदियों में से लगभग 76 फीसदी कैदी विचाराधीन हैं। जिनके मुकदमों का फैसला होना अभी बाकी है। अब जाहिर है जब 5 करोड़ से ज्यादा मुकदमें अदालतों में लंबित है तो इन 76 फीसदी विचाराधीन कैदियों का फैसला जल्द आएगा ये सोचना ही बेमानी है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट ने देश के छोटे और बड़े जेलों की भी रैंकिंग की है। इस रैंकिंग के हिसाब से टॉप 3 बेहतर जेलों में तमिलनाडू, कर्नाटक और केरल के जेल हैं। जबकि देश की सबसे तीन बुरी जेलों में उत्तराखंड, झारखंड और उत्तर प्रदेश की जेल है। इसी तरह देश के सात छोटे राज्यों के जेलों की भी रैंकिंग निकाली गई है। इनमें सबसे बेहतरीन जेल के मामले में अरुणाचल प्रदेश पहले नंबर पर है जबकि गोवा की जेल को सबसे बुरा बताया गया है।
इसी तरह इंडिया जस्टिस रिपोर्ट ने देश के अलग अलग राज्यों की ज्यूडिशियरी रैंकिंग भी दी है। ज्यूडिशियरी के मामले में सबसे बेहतरीन टॉप 3 राज्यों में केरल, तेलंगाना और तमिलनाडू का नाम है। जबकि ज्यूडिशियरी को लेकर सबसे बदतर राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का नाम है। ज्यूडिशियरी को लेकर सात छोटे राज्यों की भी सूची जारी की गई है। इनमें बेहतरीन काम के लिए त्रिपुरा पहले पायदान पर है जबकि बदतर ज्यूडिशियरी के लिए सबसे नीचे गोवा का नाम है।
पुलिसिंग, जेल और इंसाफ के मामले में छत्तीसगढ़ न तो अच्छा है न तो बुरा

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Apr