Balodabazar news- पूर्व विधायक पं. बंशराज तिवारी की स्मृति में 6 मई को नि:शुल्क रोग परिक्षण एवं निदान शिविर

19 वर्षों से लगातार जारी है स्वास्थ्य जांच शिविर

बलौदाबाजार। चंदा देवी तिवारी हास्पिटल मे 6 मई मंगलवार को स्व. पं. बंशराज तिवारी की जन्मजयंती के अवसर पर हास्पिटल के संचालक डॉ प्रमोद तिवारी पौत्र डॉ नितिन तिवारी पौत्रवधु डॉ गीतिका शंकर तिवारी द्वारा नि:शुल्क रोग परिक्षण एवं निदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें उदर रोग स्त्री रोग अस्थि रोग नेत्र रोग दंत रोग शिशु रोग हृदय संबंधी रोग एवं सभी प्रकार के सामान्य रोगों की जांच विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा की जाएगी तथा बवासीर हाइड्रोसील हार्निया जैसे उपचार मे सर्जरी नि:शुल्क होगी आवश्यकता पडऩे पर जरूरतमंद मरीजों की खून पेशाब की जांच सोनोग्राफी ईसीजी भी नि:शुल्क की जाएगी।

अस्पताल के संचालक डॉ. प्रमोद तिवारी ने नि:शुल्क रोग परिक्षण एवं निदान शिविर के आयोजन को लेकर कहा कि पिता  के सेवा कार्यों और उनके क्षेत्र के प्रति समर्पण ने हमें गरीब जरूरतमंदों की निरंतर सेवा के लिए प्रेरित किया जिसके चलते उनके देहावसान के उपरांत उनकी स्मृति को अमर बनाने के लिए उनको श्रद्धांजलि देने के लिए हमने उनके जनमदिवस 6 मई को प्रत्येक वर्ष इस नि:शुल्क रोग निदान शिविर का आयोजन करते आए हैं जो लगातार 19 वर्षों से जारी है जिसमें अभी तक हजारों मरीजों को लाभ हुआ है मैं क्षेत्र की जनता से यही आग्रह करूँगा कि अधिक से अधिक गरीब जरूरतमंद लोगों तक इस शिविर की जानकारी पहुंचा कर उनका सहयोग करें हम जो बेहतर कर सकते हैं वो अवश्य करेंगे।
विधायक जननेता विकास पुरोधा अधिवक्ता पं.बंशराज तिवारी का जन्म बलौदाबाजार के तत्कालीन पटेल सेनीटेशन पंचायत के अध्यक्ष एवं मुकद्दम पं. महावीर प्रसाद तिवारी के पुत्र रूप में 6 मई 1925 को हुआ था। बाल्यावस्था में ही पिता के स्वर्गारोहण के उपरांत बंशराज अल्पायु में ही पटेल के पद पर पदस्थ हुए। महात्मा गांधी की प्रेरणा से सन् 1940 में पटेल पद से इस्तीफा देकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। सन् 1946 में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे।

विधि स्नातक उत्तीर्ण कर बलौदाबाजार में वकालत प्रारंभ की। वकालत के साथ-साथ राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे हुए असहाय और कमजोर लोगों की भरपूर मदद की। बार काउंसिल बलौदाबाजार में सचिव रहते हुए उन्होंने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य एवं बलौदाबाजार को जिला बनाने के लिए अपनी आवाज मुखर की। आपातकाल के दौरान अपने साथियों सहित बलौदाबाजार में तत्कालीन दमनकारी सरकार के विरूद्ध एकमात्र जुलूस निकाला जिसके फलस्वरूप वह गिरफ्तार कर लिए गए और उन पर राजद्रोह का मामला चला। समाजवादी नेता मधु लिमये, जार्ज फर्नाडिस आदि के साथ सेंट्रल जेल रायपुर में रहे। सन् 1977 में आपातकाल समाप्त होने के बाद जब देश में जनता पार्टी की सरकार बनी तब बलौदाबाजार विधानसभा से निर्वाचित हुए और सन् 1977 से 1980 के बीच विधायक रहते हुए जिस दौरान वे विधानपरिषद के मुख्य सचेतक भी रहे उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए अप्रत्याशित कार्य किए जिसमें क्षेत्र में डोलोमाइट परिक्षण करवा कर सीमेंट सयंत्रों के आने का मार्ग प्रशस्त हुआ जिसके कारण आज बलौदाबाजार विश्व में ख्याति प्राप्त कर रहा है जिसमे हजारों युवाओं को रोजगार मिला और आज भी रोजगार दे रहा है बलौदाबाजार नगर को पानी की किल्लत से निजात दिलाने के लिए शिवनाथ नदी में सोनाडीह से बलौदाबाजार नगर तक पाईप लाईन के द्वारा जल प्रदाय योजना लाकर पानी उपलब्ध कराना, बलौदाबाजार नगर को गांवों से जोडऩे के लिए सड़कों एवं पुल-पुलियों का निर्माण, खोरसी नाला पर बड़े पुल का निर्माण, बलौदाबाजार न्यायालय में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय की स्थापना, क्षेत्र के एकमात्र निजी महाविद्यालय को शासन के आधिन करके सुविधाजनक बनाना, नगर में टेलीफोन एक्सचेंज, डाकघर, पानी टंकी का निर्माण, शासकीय अस्पताल को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से बड़े अस्पताल का स्वरूप देना आदि कार्य प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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सन् 2001 में उनके द्वारा अपनी पत्नि स्व.चंदा देवी तिवारी के देहावसान के पश्चात् उनकी याद में चंदा देवी तिवारी हॉस्पिटल की स्थापना की गई जिसका संचालन उनके पुत्र क्षेत्र के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. प्रमोद तिवारी द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। 9 फरवरी 2006 को पंडित जी का स्वर्गारोहण हुआ।उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिए उनके बड़े पुत्र अशोक तिवारी द्वारा रास्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को भूमि दान की गई जिस पर आज संघ का कार्यालय निर्माणाधीन है साथ ही उनके पुत्र डॉ. प्रमोद तिवारी द्वारा बलौदाबाजार में मुख्य मार्ग के चौड़ीकरण के लिए करोड़ों की जमीन शासन को दान की गई। जिसके बाद बलौदाबाजार मुख्य मार्ग का नाम स्थानीय प्रशासन द्वारा श्रद्धांजलि स्वरूप पं. बशराज तिवारी मुख्यमार्ग किया गया। पं.बंशराज तिवारी द्वारा क्षेत्र की मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जनता की समस्याओं का निपटारा करने वाले विकासपरक कार्यो को देखते हुए उनके सेवा समर्पण के कारण वे जनता के हृदय में तो हैं लेकिन शासन प्रशासन को चाहिए कि ऐसे व्यक्तित्व के धनी को उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिए कोई उचित पहल करे।

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