छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान से घोटालों तक का सफर
-सुभाष मिश्र
छत्तीसगढ़ की राजनीति पारंपरिक रूप से कृषि-केंद्रित रही है, जहां धान की खरीदी और किसानों से जुड़े मुद्दे चुनावी अभियान का केंद्र बिंदु बनते हैं। राज्य में धान उत्पादन भारत का एक बड़ा हिस्सा है और सरकारी खरीदी की नीतियां (जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य और बोनस) वोट बैंक को प्रभावित करती हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में राजनीति घोटालों और जांच एजेंसियों के इर्द-गिर्द घूमने लगी है। पूर्व कांग्रेस सरकार (2018-2023) के दौरान विभिन्न घोटालों के आरोपों ने भाजपा को हमला करने का मौका दिया, जबकि वर्तमान भाजपा सरकार (विष्णु देव साय के नेतृत्व में) में भी अनियमितताओं की शिकायतें हैं, लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसियों की सक्रियता नदारद दिखती है। यह पैटर्न अन्य गैर-भाजपा शासित राज्यों में भी देखा जा रहा है, जहां विपक्षी दलों का आरोप है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो), इनकम टैक्स विभाग और राज्य स्तर की ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) जैसी एजेंसियों का राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है।
छत्तीसगढ़ की हालिया घटनाओं में पूर्ववर्ती कांग्रेस से जुड़े बहुत से नेता, अफसर और व्यापारी केंद्रीय एजेंसी के निशाने पर है। कांग्रेस सरकार (भूपेश बघेल, 2018-2023) के दौरान घोटाले और जांच एजेंसियों की भूमिका को लेकर कांग्रेस लामबंद है। भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर मामला विधानसभा के सदन से सड़क तक पहुंच गया है।
चैतन्य बघेल पर लगे अवैध लेन-देन के आरोप में ईडी के हवाले से कहा गया है कि 16.5 करोड़ के लेन-देन के पुख्ता सबूत हैं। चैतन्य अपने पास आये 17 करोड़ का हिसाब नहीं दे पाया। इस प्रकरण में आरोपी बघेल परिवार के करीबी पप्पू बंसल से इन्हें 136 करोड़, अनवर ढेबर, नीतेश पुरोहित के द्वारा भेजे गये पैसे मिले। शराब सिंडिकेट से चैतन्य एक हजार करोड़ रुपए लगभग हर माह उन्हें दस-दस करोड़ मिलते थे। कुम्हारी में 1300 करोड़ की विटूल ग्रीन सिटी के लिए तांत्रिक के.के. श्रीवास्तव ने चैतन्य के माध्यम से 100 करोड़ मिलने की बात स्वीकारी है। भूपेश बघेल का कहना है कि पहले ईडी ने मेरें जन्मदिन पर मेरे नजदीकी लोगों के यहां छापामारी की अब मेरे बेटे के जन्मदिन पर उसे अरेस्ट किया। एजेंसियां झूठ फैला रही है।
भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार पर भाजपा ने घोटालों की सरकार का ठप्पा लगाया और केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से कई जांच शुरू की। ये घोटाले मुख्य रूप से आर्थिक अनियमितताओं से जुड़े थे और इनमें से कई में ईडी और सीबीआई की सक्रिय भूमिका रही है। शराब घोटाला यह सबसे बड़ा और हालिया मामला है, जिसमें अनुमानित 3200 करोड़ रुपये की अनियमितताओं का आरोप है। ईडी के अनुसार 2019-2022 के बीच शराब सिंडिकेट ने अवैध कमीशन, बेनामी लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए लाभ कमाया। ईडी ने दावा किया कि सिंडिकेट ने राज्य के शराब कारोबार पर कब्जा किया और अवैध तरीके से पैसे विदेश भेजे। इस मामले में 20 से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिसमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा और अन्य शामिल है। ईडी ने हाल ही में छत्तीसगढ़, दिल्ली और गोवा में 22 घंटे की छापेमारी की, जिसके बाद पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया गया। महादेव बेटिंग ऐप घोटाले में ईडी ने जांच में भूपेश बघेल को एक लाभार्थी बताया। यह ऐप अवैध सट्टेबाजी का प्लेटफॉर्म था, जिसमें 5000 करोड़ से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें बघेल का नाम शामिल है। ईडी ने दावा किया कि ऐप के प्रमोटरों ने राजनीतिक संरक्षण लिया और चुनावी फंडिंग की। नान घोटाला यह पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से जुड़ा था, जहां सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन (नान) में चावल वितरण में अनियमितताएं हुईं। ईडी और सीबीआई ने जांच की और कई अधिकारी गिरफ्तार हुए।
डीएमएफ फंड घोटाले में खनन से प्राप्त फंड का दुरुपयोग किया गया। ईडी ने जांच में पाया कि फंड का इस्तेमाल गैर-विकास कार्यों में किया गया। पीएससी घोटाले में राज्य लोक सेवा आयोग में भर्ती अनियमितताएं, जहां योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार किया गया। ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की, लेकिन ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एंगल जोड़ा।
ईडी ने इन मामलों में 2022-2023 में कई छापेमारियां कीं, जो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले थीं। भाजपा ने इन जांचों को कांग्रेस सरकार की विफलता का सबूत बताया, जिससे 2023 के चुनाव में कांग्रेस हार गई।
इन जांचों की टाइमिंग राजनीतिक लगती है, क्योंकि वे चुनावी मौसम में तेज हुईं। केंद्रीय एजेंसियां (ईडी, सीबीआई) मुख्य रूप से सक्रिय रहीं, जो केंद्र की भाजपा सरकार के अधीन हैं। यह संघीय ढांचे में असंतुलन पैदा करता है, क्योंकि राज्य सरकारें इन एजेंसियों की जांच से प्रभावित होती है। विपक्ष का आरोप है कि ये ‘राजनीतिक प्रतिशोधÓ है, जबकि भाजपा इसे ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंसÓ बताती है।
18 जुलाई 2025 को ईडी ने चैतन्य बघेल (भूपेश बघेल के बेटे) को शराब घोटाले में गिरफ्तार किया। ईडी के अनुसार, चैतन्य ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइमÓ के मुख्य लाभार्थी थे और रियल एस्टेट में बेनामी लेन-देन में शामिल थे। गिरफ्तारी उनके जन्मदिन पर हुई, जिसे भूपेश बघेल ने ‘केंद्रीय सरकार का तोहफाÓ बताया। ईडी ने उन्हें पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया और 5 दिनों की रिमांड ली। इसको लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में प्रदर्शन हुए। रायपुर, बिलासपुर और अन्य जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर ईडी की कार्रवाई को ‘राजनीतिक साजिशÓ बताया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर चैतन्य बघेल गिरफ्तारी और कांग्रेस प्रोटेस्ट जैसे ट्रेंड चले, जहां कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह विधानसभा सत्र के दौरान आवाज दबाने की कोशिश है। जून 2025 में कांग्रेस ने ‘शराब महोत्सवÓ नाम से प्रदर्शन किया, जहां भाजपा मंत्रियों के मुखौटे पहनकर शराब नीति की आलोचना की गई। दिसंबर 2024 में धान खरीदी को लेकर बड़े धरने हुए।
छत्तीसगढ़ में हुई गिरफ्तारी ने राजनीतिक तनाव बढ़ाया है। कांग्रेस इसे ‘परिवार को टारगेटÓ करने का उदाहरण मानती है, जो अन्य राज्यों (जैसे दिल्ली में केजरीवाल के परिवार) से मिलता-जुलता है। यह प्रदर्शन कांग्रेस को संगठित करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन अगर सबूत मजबूत निकले तो यह पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस और सुशासन की बात करने वाले विष्णुदेव साय की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के शासन काल के दूसरे वर्ष में बहुत सारी अनियमितताएं और घोटाले सामने आये है, जिन पर केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका न्यूनतम है। कांग्रेस इस समय भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मुद्दों को लेकर भाजपा के सुशासन को सवालों के घेरे में ला रही है। उनमें भारतमाला प्रोजेक्ट अनियमितताएं मामले में ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की, लेकिन ईडी या सीबीआई शामिल नहीं हुई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया गया। रेजिडेंट मेडिकल घोटाले में मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती में अनियमितताएं मामला सामने आया पर कोई केंद्रीय जांच नहीं हुई। राजस्व निरीक्षक परीक्षा अनियमितताएं मामले में जुलाई 2025 को विधानसभा में कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की और वॉकआउट किया। जैम पोर्टल खरीदी में नेता और अफसरों की सांठगांठ का ताजा उदाहरण है। जिसमें छत्तीसगढ़ के व्यापारियों को अलग करके बड़े लोगों को मौका दिया जा रहा है। धान खरीदी और उर्वरक संकट पर दिसंबर 2024 में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि खरीदी में गड़बडिय़ां हैं। जुलाई 2025 में उर्वरक कमी पर प्रदर्शन हुआ। शराब नीति को लेकर सरकार ने 22 एक्साइज अधिकारियों को सस्पेंड किया लेकिन गिरफ्तार नहीं किया। जांच में डिस्टलरी मालिकों पर भी गंभीर आरोप है पर उन पर कोई कार्यवाही नहीं की। विष्णु देव साय सरकार ने जीरो टॉलरेंस टू करप्शन का दावा किया, लेकिन जांच मुख्य रूप से ईओडब्ल्यू तक सीमित है।
जनमानस के बीच केंद्रीय एजेंसियों की अनुपस्थिति से सवाल उठना लाजमी है कि क्या ये एजेंसियां केवल विपक्षी सरकारों पर केंद्रित हैं? यह ‘चुनिंदा जांचÓ का पैटर्न दर्शाता है, जो राजनीतिक पूर्वाग्रह का संकेत है। भाजपा सरकार में राज्य एजेंसियां सक्रिय हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर की जांच न होने से विश्वास की कमी बढ़ती है। यदि हम अन्य गैर-भाजपा शासित राज्यों की बात करें तो अमुमन वहां भी स्थिति एक जैसी है। यह पैटर्न राष्ट्रीय स्तर पर दिखता है। पश्चिम बंगाल (ममता बनर्जी), दिल्ली (अरविंद केजरीवाल), झारखंड (हेमंत सोरेन) और तमिलनाडु में ईडी/सीबीआई की छापेमारियां विपक्षी नेताओं पर केंद्रित रही।
ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां विपक्ष को दबाने के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। 2023-2024 में ईडी के छापों में 4 गुना वृद्धि हुई।

केजरीवाल ने आरोप लगाया कि सीबीआई/ईडी का इस्तेमाल ‘भाजपा सरकार बनानेÓ के लिए हो रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2024 में रिपोर्ट में कहा कि यह ‘मानवाधिकार उल्लंघनÓ है। विपक्षी दलों का दावा है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले ईडी केस 4 गुना बढ़े।
छत्तीसगढ़ की राजनीति अब धान से ज्यादा घोटालों और जांच पर केंद्रित है, जहां केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी सरकारों पर आक्रामक दिखती है लेकिन सत्ता पक्ष पर निष्क्रिय। यह राजनीतिक प्रतिशोध का पैटर्न लगता है जो भारत के संघीय ढांचे और लोकतंत्र को चुनौती देता है। कांग्रेस को इन मुद्दों से चुनावी लाभ मिल सकता है, लेकिन ठोस सबूतों की जरूरत है। रायपुर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य की गिरफ्तारी पर उनका कहना है कि मेरे बेटे के जन्मदिन पर आज फिर से ईडी ने छापा मारा। 10 मार्च से लेकर अब तक कोई पूछताछ नहीं हुई, कोई नोटिस नहीं दिया गया। आज सीधा सर्च वारंट लाकर गिरफ्तार कर लिया गया। कानून व्यवस्था नाम की कोई भी चीज प्रदेश में नहीं बची है। बेटे के जन्मदिन का जैसा तोहफा मोदी जी और शाह देते हैं। वैसा दुनिया के किसी लोकतंत्र में और कोई नहीं दे सकता। मेरे जन्मदिन पर दोनों आदरणीय नेताओं ने मेरे सलाहकार और दो ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी थी। बेटे के जन्मदिन पर मेरे घर पर ईडी छापामारी कर रही है। इन तोहफों का धन्यवाद। ताउम्र याद रहेगा। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि पहले कवासी लखमा पूर्व मंत्री को टारगेट किया, देवेंद्र यादव को टारगेट किया और अब वे मेरे बेटे को निशाना बना रहे हैं, ताकि कोई अडानी के खिलाफ आवाज न उठा सके। ये कितनी भी ताकत लगा लें, भूपेश बघेल न टूटेगा, न झुकेगा।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में विपक्ष के नेताओं को टारगेट बनाया जा रहा है। विपक्ष को तोडऩे की कोशिश की जा रही है। प्रजातंत्र की हत्या की जा रही है। एक तरफ बिहार में चुनाव आयोग के माध्यम से मतदाताओं का नाम काटा जा रहा है। वहां प्रजातंत्र का चीरहरण कर रहे हैं तो दूसरे तरफ विपक्ष के नेताओं को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन देश की जनता अब जान चुकी है, समझ चुकी है। ईडी पहले भी आई है, छापा मारा गया था, मेरे घर से 33 लाख रुपए मिला था, उसके बाद अचानक आज फिर आए हैं, इसका मतलब क्या है ? हम लोग एजेंसी को पूरा सहयोग करेंगे। इनको विश्वास हो या नहीं। हमको लोकतंत्र में विश्वास है, न्यायलय पर विश्वास है। भले ही ये लोग दुरूपयोग करें लेकिन हम इनको सहयोग करेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैच का कहना है कि भाजपा सरकार जल, जंगल, जमीन सहित खनिज संपदा कोयला और आयरनओर की खदाने निजी कंपनियों को सौंप रही है। छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री केदार कश्यप ने भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर कहा, सरकार किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। ये कांग्रेस की सरकार नहीं है। ईडी अपनी कार्रवाई कर रही है, ईडी सरकार के कहने पर नहीं चलती। इससे पहले भी उनसे पूछताछ हुई थी, वे शक के दायरे में है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि ईडी का दुरुपयोग किया जा रहा है। हमारे घर परिवारों के सदस्यों को परेशान किया जा रहा है। आज ईडी ने जन्मदिन पर हमारे घर के बच्चे को उठा लिया। यह सब सरकार के दबाव में हो रहा है।
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि ईडी का क्या मसला है, मुझे नहीं मालूम है। सेंट्रल की एजेंसी है, वहीं बताएंगे। बघेल अपने बयान से किसी को भ्रमित नहीं कर पाएंगे। यहां भ्रष्टाचार में नवाचार किया है। भ्रष्टाचार का कॉन्सेप्ट एक्सपोर्ट किया। कुछ भी कहकर लोगों को भ्रम में नहीं डालते हैं। ईडी सबके घर नहीं जाती है। कोई मामला होगा, तो ही आई है।
इस प्रकार की एकतरफा कार्रवाई फेडरलिज्म को कमजोर करता है, क्योंकि राज्य सरकारें केंद्र पर निर्भर हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में ‘निष्पक्ष जांचÓ की मांग की है, लेकिन ईडी केस में गिरफ्तारी दर 95 फीसदी से अधिक है, जो पूर्वाग्रह का संकेत दे सकती है। राजनीतिक रूप से यह विपक्ष को एकजुट कर सकता है, लेकिन अगर भ्रष्टाचार साबित हुआ तो जनता का विश्वास टूट सकता है।