-डॉ. सुधीर सक्सेना
नई दिल्ली। सदियों पहले भारत आ बसे यहूदियों की संख्या इजराइल के निर्माण के बाद दहाई-दर-दहाई कम से कमतर होती गयी है। इस श्रृंखला की ताज़ा कड़ी है भारत में शेष बचे 5800 यहूदी, जो जल्द भारत छोड़ देंगे। इजराइल में लंबी बहस के बाद उनकी स्वदेश वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ये यहूदी उत्तर-पूर्व सीमांत अंचल में मुख्यत मणिपुर में बसे हुये हैं। यह इसलिये संभव हो सका है, क्योंकि इजराइल की सरकार ने काफी बहस-मुबाहिसे के बाद 23 नवंबर को बनेई मेनाशे समुदाय के सदस्यों के आलियाह (आव्रजन) की महत्वपूर्ण और वृहद पहल को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस हरी झँडी के फलस्वरूप पूर्वोत्तर भारत में शताब्दियों से रह रहे यहूदी सन् 2030 तक इजराइल लौट जायेंगे।
बनेई मेनाशे समुदाय के यहूदी मूल को लेकर बरसों-बरस चली बहस के बाद शेफार्डि समुदाय के मुख्य रब्बी श्लोमो अमर ने उन्हें मान्यता प्रदान करते हुए सन् 2005 में निर्णय सुनाया था कि बनाई मेनाशे अतीत में इजराइल से पारगमित मूल के हैं। प्रमुख रब्बी के इस फैसले के बाद इन यहूदियों की अपने मूल जन्म स्थान को लौटने की साध पूरी होने का रास्ता खुल गया था।
द हिन्दु की खबर के मुताबिक नेतन्याहू-सरकार की औपचारिक स्वीकृति के पश्चात सन् 2030 तक इन सभी यहूदियों को इजराइल ले जाकर बसाने का काम पूरा हो जायेगा। इनमें से 1200 यहूदी सन् 2026 में ही इजराइल आने की अनुमति पा चुके हैं। यह पहला मौका है कि ज्यूइश एजेंसी फॉर इजराइल आव्रजन की सारी औपचारिकताओं की देख-रेख करेगी। वह इजराइल के चीफ रब्बी और धर्मान्तरण व आबादी तथा आव्रजन अधिकारियों की इन इच्छुक यहूदियों की वैधता की तफ्तीश में मुख्य भूमिका निभायेगी।
इजराइल नेसेट में उक्त आशय का प्रस्ताव आव्रजन एवं एकीकरण मंत्री ओफीर सोफर ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस सारे अभियान पर अनुमानत 90 मिलियन शैकेल यानि करीब 27 मिलियन डॉलर का खर्च आयेगा। अभियान के तहत वैध सदस्यों के हवाई मार्ग से आने-जाने के अलावा उनके एकीकरण, आवास, हिब्रू-अध्ययन और ज़रूरी औपचारिकताओं की पूर्ति की जायेगी, ताकि इजराइली-समाज में उनका संविलयन हो सके। रब्बियों और विशेषज्ञों का एक बड़ा दल इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए शीघ्र ही भारत आयेगा। यह दल पहले उन लगभग तीन हज़ार भारतीय यहूदियों का साक्षात्कार लेगा, जिनके निकट संबंधी इजराइल में हैं।
भारत में बसे इन यहूदियों के बारे में माना जाता है कि वे आज से करीब 2700 वर्ष पूर्व असीरियनों द्वारा निर्वासन को बाध्य उन दस कबीलों में से एक कबीले से ताल्लुक रखते हैं। इस समुदाय के करीब ढाई हज़ार यहूदी पहले से इजराइल में है। मेनाशे-युवक प्राय इजराइली सेना में भर्ती हैं। इस कबीले के सदस्यों का प्राय वेस्ट बैंक में पुनर्वास किया गया है। हाल ही में उन्हें नजारत के समीप ऩोफ हागालील में भेजा गया है, जो अरबों और यहूदियों की मिली-जुली बस्ती है। नोफ हागालील इजराइल के उत्तरी भाग में करीब 50 हज़ार की मिश्रित आबादी का शहर है, जिसकी स्थापना सन् 1957 में हुई थी। यहाँ करीब 51 फीसद यहूदी और 29 फीसद मुस्लिम रहते हैं। यहाँ सोवियत संघ के विघटन के बाद वहाँ से आये यहूदियों की भरमार है और यह रूसी -यहूदियों का बड़ा मरकज़ है।
करीब छह हज़ार यहूदी भारत छोड़ेंगे

02
Dec