0 दुर्ग के साथ ही रायपुर में भी हो रही सफ्लाई, आस्था ब्रांड से बन रहे प्रोडक्ट
रमेश गुप्ता
भिलाई। सेंट्रल जेल दुर्ग में सजायाफ्ता बंदियों के पुनर्वास के लिए बेहतर पहल की जा रही है। यहां बंदियों को रोजमूलक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। खासबात यह है कि यहां के पुरुष व महिला सजायाफ्ता बंदी शुद्ध सरसो का तेल व आचार बनाने का काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के जेलों में यह पहली बार है कि किसी जेल में बंदियों द्वारा कच्ची घानी का शुद्ध सरसों का तेल बना रहे हैं। बंदी न सिर्फ सरसों का तेल बना रहे हैं बल्कि उसकी मार्केटिंग भी और बिक्री भी हो रही है। दुर्ग सेंट्रल जेल में बनने वाले सरसो तेल व आचार की राजधानी रायपुर में भी सप्लाई की जा
रही है।
बता दें दुर्ग सेंट्रल जेल में सजायाफ्ता बंदियों के लिए लगातार लघु उद्योग के माध्यम से रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिया जाता है। जेल परिसर में गौशाला भी है जहां से दूध का व्यवसाय किया जाता है। यही नहीं बंदियों द्वारा जेल परिसर में कैंटीन का संचालन भी किया जा रहा है। इस तरह से यहां आने वाले बंदियों को जेल से छूटने के बाद बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा भी दी जाती है। इसी कड़ी में सेंट्रल जेल के बंदियों को सरसो तेल निकालने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अब यहां इसका उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है। साथ ही महिला बंदियों को आचार बनाने का प्रशिक्षण दिया गया और यहां वे आचार बनाने का काम कर रही हैं।
आस्था ब्रांड से बन रहे उत्पाद
सेंट्रल जेल में जो सरसो का तेल व आचार बनाने का काम किया जा रहा है उसे आस्था ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा है। सरसो तेल बनाने के लिए कच्चा माल यानी सरसो जेल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। जिन बंदियों ने इसका प्रशिक्षण लिया है वे शुद्ध सरसो का तेल निकाल रहे हैं। तेल निकालने के साथ की इसकी पैकेजिंग भी की जा रही है। सेंट्रल जेल दुर्ग के अलावा इसकी मार्केटिंग दूसरे जिलों में भी की जा रही है। आस्था सरसों का तेल फिलहाल दुर्ग जेल के मुंगेली सेंटर में बेचा जा रहा है। सेंट्रल जेल दुर्ग में सरसो तेल निर्माण कार्य 7 सितंबर 2024 से शुरू किया गया। शुरुआती मुश्किलों के बाद अब सरसो तेलन निर्माण ने रफ्तार पकड़ ली है।
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आचार की रायपुर तक है डिमांड
इसी प्रकार सेंट्रल जेल की महिला बंदियों द्वारा भी आस्था ब्रांड से ही आचार बनाया जा रहा है। आस्था ब्रांड के आचार की डिमांड दुर्ग से लेकर रायपुर सेंट्रल जेल तक है। इसकी ब्रांडिंग करने के साथ ही इसकी बिक्री भी की जा रही है। इसके लिए महिला बंदियों को समय समय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। केन्द्रीय जेल दुर्ग में संचालित आचार उद्योग 30 अप्रेल 2024 में प्रारंभ किया गया है। आचार बनाने के लिए कच्चा माल व अन्य संसाधन जेल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। महिला बंदियों द्वारा आम आचार, निंबू आचार व मिक्स आचार (निंबू, मिर्च, गाजर) तैयार किया जा रहा है।
एफएसएसएआई से भी है रजिस्टर्ड
सेंट्रल जेल दुर्ग में बन रहे सरसो तेल व आचार की गुणवत्ता को देखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा इसे पंजीकृत किया गया है। इसका मतलब यह है कि सेंट्रल जेल दुर्ग में बने यह उत्पात पूरी तरह मान्य है और शुद्धता के सभी पैमानों पर खरे उतरे हैं। सेंट्रल जेल दुर्ग में निर्मित सरसो तेल की कीमत प्रति लीटर 328 रुपए कीमत निर्धारित की गई है। बाजार में उपलब्ध सरसो तेल से इसकी कीमत भले ही ज्यादा है लेकिन इसकी शुद्धता की पूरी गारंटी है। इसी प्रकार जेल में निर्मित आचार की कीमत प्रति किलो 160 रुपए रखी गई है। तेल व आचार निर्माण में लगे बंदी शिफ्ट के अनुसार कार्य करते हैं।
स्वरोजगार के लिए की गई शुरुआत
जेल के माध्यम से जेल में निरूद्ध सजायाप्त बंदियों को पुर्नवास किया जाना है ताकि बंदी जेल से छूटकर अपने स्वयं का रोजगार मूलक कार्य (स्वरोजगार) कर सकें जिससे की उनके जीवन यापन करने में सहायक हो। जेल के औद्योगिक क्षेत्र व जेल की गरिमा को बढ़ावा मिल सके।
-अभिषेक मनीष संभरकर
अधीक्षक, सेंट्रल जेल दुर्ग
सजायाफ्ता बंदियों को रोजगार से जोडऩा हमारा उद्देश्य है
सजायाफ्ता बंदियों को लघु उद्योग के माध्यम से रोजगार से जोडऩा हमारा उद्देश्य है। दुर्ग सेंट्रल जेल में लघु उद्योग स्थापित है इस उद्योग के माध्यम से बंदियों द्वारा बेहतर कार्य किया जा रहा है। बंदियों की रुचि के अनुसार रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण उपलब्ध कराने हम प्रयाशरत हैं।
-हिमांशु गुप्ता
डीजी जेल, रायपुर (छत्तीसगढ़)