सोशल मीडिया बना जी का जंजाल

-सुभाष मिश्र

बहुत सारे लोग सोशल मीडिया को अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी समझते हैं और जो वह अपने घर के आंगन के भीतर चारदीवारी में या रूम में करते हैं। वह सारी चीजों को वह सोशल मीडिया पर भी वायरल करते हैं। अगर यह वायरल करने वाले कोई पुलिस के अधिकारी कोई प्रशासन के अधिकारी है और लगातार वह सोशल मीडिया में बना रहें तो लोग बहुत सारे लोग उन पर नजर रखते हैं। छत्तीसगढ़ में इस तरह की घटनाएं पूर्व में भी हुई है कि कुछ अधिकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट के कारण अपनी पोस्ट के कारण कटघरे में खड़े हुए हैं। पर इस बार पुलिस के एक आईजी जो सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय होते हैं और अपने शारीरिक व्यायाम और खास करके योग आदि की ट्रेनिंग देते हैं और बहुत सारे लोगों को जोड़ते हैं। अब एक उनके अधीनस्थ इंस्पेक्टर की पत्नी ने जो कि उनसे योग सिखाती थी उन पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया है। अब इसकी जांच जो है पुलिस मुख्यालय के अधिकारी करेंगे। हम उनके आरोपों की बात नहीं कर रहे हैं या उनकी संलिप्ता की बात नहीं कर रहे हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं कि यह जो सोशल मीडिया है इसका किस तरह से इस्तेमाल होना चाहिए। प्रशासन अकादमी में मुझे जनप्रतिनिधियों और मीडिया के साथ शासकीय अधिकारियों का व्यवहार कैसा होना चाहिए। यह पढऩे का महीने में दो बार अवसर मिलता है। जब मैं वहां जाकर लोगों से बात करता हूं जो नए अधिकारी हैं और उनसे कि उनका जन प्रतिनिधियों के साथ किस तरह की संबंध है। उनके मीडिया के साथ किस तरह के संबंध है तो यह बात निकाल कर आई चाहे वह नए पुराने कोई भी अधिकारी हो बहुत बार तो उनके संबंध उसे तरह से मधुर नहीं है या कहना चाहिए वह उनको अपना मित्र नहीं समझते। उनको लगता है कि पत्रकार जो है वह कहीं ना कहीं उनके पास किसी काम से या उनकी कोई उल्टी सीधी खबरों के लिए आते हैं। ऐसे ही जनसंर्पक में जबकि मुझे लगता है कि किसी भी अधिकारी को अपने कामकाज के बारे में यदि फीडबैक लेना है अपने अधीनस्थों के बारे में फीडबैक लेना है तो सबसे निशुल्क फीडबैक का मेकैनिज्म स्थानीय नेता पत्रकार होते हैं। जो आपको जानकारी देते हैं अब वह जानकारी का इस्तेमाल आप किस तरह से अपने काम को ठीक-ठाक करने के लिए करते हैं यह एक देखने वाली बात है। अधिकांश लोग जो खासकर के नए लोग हैं वह सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव नजर आते हैं। अब यहां जिस अधिकारी की बात हो रही है उनके नौकरी में आते समय सोशल मीडिया नहीं था, पर बाद में सोशल मीडिया इतना उनको भाया कि अब वह अपनी बहुत सारी जो करसत है वह सोशल मीडिया पर दिखा रहे है। सोशल मीडिया का प्रभाव किस तरह से समाज में पड़ रहा है किस तरह से लोग इससे परहेज करें कितना इस्तेमाल करें यह एक सूचना लायक बात है। मैं एक अधिकारी का उदाहरण रखकर इस प्रवृत्ति पर अपनी बात कहना चाहता हूं तो मैं आपको कुछ फीडबैक दे रहा हूं। खासकर के जो पुलिस के अधिकारी हैं जो बड़े ब्यूरोकेट हैं और जो बड़े नेता हैं उनको सोशल मीडिया पर किस तरह से आना चाहिए, कितना उसका उपयोग करना चाहिए, यह बात होनी चाहिए।

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