Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – अब मजाकिया शब्द भी रैगिंग के दायरे में

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

अब कालेज और यूनिवर्सिटी में किसी को बिहारी कहना रैंगिंग के दायरे में आएगा। बिहारी जैसे शब्दों का उपयोग मजाक या अपमान की श्रेणी में माना गया है क्योंकि यह क्षेत्रीय पहचान को निशाना बनाता है। इसके अलावा कई ऐसे शब्द जो दोस्ती-यारी में कालेज के छात्र एक दूसरे को संबोधित करते हैं, उस पर भी प्रतिबंध लगाते हुए यूजीसी ने अपमानजनक टिप्पणी माना है। यानी किसी को बिहारी, चिंकी, जाट या गरीब कहना मजाक उड़ाना भी रैगिंग माना जाएगा। इसके लिए सख्त सजा तय होगी।
देश के कॉलेज और विश्वविद्यालय अब छात्रों की सुरक्षा को लेकर और सख्त रुख अपनाने जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) ने रैगिंग की परिभाषा को और व्यापक करते हुए नए निर्देश जारी किए हैं। अब रैगिंग का मतलब सिर्फ शारीरिक या मानसिक उत्पीडऩ नहीं, बल्कि किसी छात्र की जाति, धर्म, लिंग, रंग, भाषा, क्षेत्र या आर्थिक पृष्ठभूमि को लेकर की गई अपमानजनक टिप्पणी भी होगी।
हर संस्थान को अपनी एंटी-रैगिंग कमेटी बनानी होगी जो हॉस्टल, कैटीन, टॉयलेट, लाइब्रेरी, बस स्टैंड आदि जगहों की निगरानी करेगी। अब डार्क जोन जैसी जगहों पर भी कैमरे लगाने होंगे, जहां पहले नजर रखना मुश्किल होता था। अब सभी छात्रों को एडमिशन के समय रैगिंग न करने का शपथपत्र देना होगा, जिसमें छात्र और उसके माता-पिता यह लिखित रूप में स्वीकार करेंगे कि वे रैगिंग में शामिल नहीं होंगे। यह एक कानूनी दायित्व होगा। हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी को अपनी वेबसाइट पर एंटी रैगिंग सेल से संबंधित सभी जानकारी जैसे कमेटी के सदस्य, मोबाइल नंबर, ईमेल और शिकायत पोर्टल सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करनी होगी। शिकायत मिलने पर संस्थान को तत्काल जांच और कार्रवाई करनी होगी। यूजीसी के इस फैसले का मकसद है कि छात्रों को किसी भी तरह की जातिगत, क्षेत्रीय या लैंगिक पहचान से अपमानित न किया जाए।
रैगिंग में शामिल छात्रों को कॉलेज से निलंबित या निष्कासित किया जा सकता है। छात्रावास सुविधाओं से वंचित करना। परीक्षा में बैठने से रोकना है। दोषी छात्र को डिग्री प्रदान नहीं की जाएगी। रैगिंग में कानूनी सजा (आईपीसी और अन्य कानून) के तहत आईपीसी धारा 323 स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए 1 साल तक की जेल या जुर्माना। आईपीसी धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी के लिए 7 साल तक की जेल। आईपीसी धारा 294 के तहत अश्लील कृत्य या शब्दों के लिए 3 महीने तक की जेल या जुर्माना। आईपीसी धारा 341/342 के तहत गलत तरीके से रोकने या कैद करने के लिए 1 महीने से 1 साल तक की जेल। यदि रैगिंग के कारण गंभीर चोट, आत्महत्या या मृत्यु होती है, तो आईपीसी धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या) या धारा 302 (हत्या) के तहत 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
अन्य कानूनों में अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 या लैंगिक उत्पीडऩ से संबंधित कानून लागू हो सकते हैं, यदि रैगिंग में जातिगत या लैंगिक टिप्पणियां शामिल हैं। कई राज्यों (जैसे बिहार, तमिलनाडु, महाराष्ट्र) में रैगिंग के खिलाफ विशेष कानून हैं जो अतिरिक्त सजा का प्रावधान करते हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में रैगिंग के दोषियों को 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। प्रतिबंधित शब्द और आचरण को भी रैगिंग माना गया है।
यूजीसी के रैगिंग को लेकर कड़े निर्देश में गरीब, दलित, अनपढ़, शारीरिक विशेषताओं से संबंधित मोटा, काला, लंबा, छोटा। लैंगिक/यौनिक टिप्पणियां सिसी, हिजड़ा, या अन्य अपमानजनक शब्द। धार्मिक/जातिगत टिप्पणियों में किसी धर्म या जाति को निशाना बनाने वाले शब्द। प्रतिबंधित आचरण के तहत शारीरिक हिंसा, मारपीट, धक्का देना या जबरदस्ती करना। मानसिक उत्पीडऩ के तहत अपमानजनक टिप्पणियां, मजाक उड़ाना, डराना, या धमकी देना।
सामाजिक बहिष्कार में किसी छात्र को समूह से बाहर करना या अपमानित करना। यौन उत्पीडऩ में अश्लील इशारे, टिप्पणियां, या शारीरिक छेड़छाड़। पैसे की मांग, सामान खरीदने के लिए मजबूर करना आदि शामिल है। अब कालेज में भर्ती होने वाले छात्रों के माता-पिता से शपथ पत्र लिया जाएगा कि उनके बच्चे रैगिंग में शामिल नहीं होंगे, यदि वे शामिल होते हैं तो खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
पूरे देश में रैगिंग के जो प्रकरण चर्चित हुए और जिनमें कार्यवाही हुई उनमें 2007 मुंबई में 19 वर्षीय मेडिकल छात्र अमन सतीश खोत की रैगिंग के दौरान हत्या कर दी गई। सीनियर्स ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त किया, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। 2018, जम्मू में एक इंजीनियरिंग कॉलेज में सत्येंद्र सिंह को सीनियर्स ने रैगिंग के दौरान इतना प्रताडि़त किया कि उसने आत्महत्या कर ली।
कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा। दोषी छात्रों को निष्कासित किया गया, और उनके खिलाफ आईपीसी धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले ने यूजीसी को ऑनलाइन शिकायत पोर्टल शुरू करने के लिए प्रेरित किया। 2024 में बिहार के एक मेडिकल कॉलेज में नवीन कुमार को सीनियर्स ने क्षेत्रीय टिप्पणियों (बिहारी कहकर) और शारीरिक उत्पीडऩ के कारण आत्महत्या के लिए मजबूर किया। 2025, दिल्ली में एक मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के दौरान एक छात्र को जातिगत टिप्पणियों और शारीरिक उत्पीडऩ का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उसने शिकायत दर्ज की।
यूजीसी द्वारा नये शिक्षा सत्र के पहले कॉलेजों में होने वाली रैगिंग को लेकर कड़े निर्देश जारी किये हैं। बिहार में चुनाव है, इसलिए बिहार को लेकर मजाक उठाने वाले शब्द पर विशेष फोकस है। बिहारी जैसे शब्दों का उपयोग मजाक या अपमान के लिए करना विशेष रूप से रैगिंग माना जाएगा, क्योंकि यह क्षेत्रीय पहचान को निशाना बनाता है। बिहारी शब्द का उपयोग विशेष रूप से भगवान कृष्ण के संदर्भ में होता है जैसे बांके बिहारी, रस बिहारी, कुंज बिहारी आदि। ये नाम भक्ति परंपरा में गहरे रूप से सम्मानित हैं और सदियों से भगवान के भक्तों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। यह शब्द मूल रूप से बिहार (वृंदावन या मथुरा क्षेत्र) से जुड़ा है, जहां भगवान कृष्ण की लीलाएं हुईं। इस संदर्भ में बिहारी अत्यंत पवित्र और सम्मानजनक है।
श्याम बिहारी, जगत बिहारी जैसे नाम भारतीय संस्कृति में आम हैं, खासकर उत्तर भारत में। ये नाम धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाते हैं। इन्हें संक्षेप में बिहारी कहकर संबोधित करना एक सामान्य और स्नेहपूर्ण प्रथा है, जिसमें कोई अपमान नहीं होता।
रैगिंग एक गंभीर समस्या है जो छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यह एक अपराध है और इसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। रैगिंग को रोकने के लिए छात्रों को इसके खिलाफ जागरूक करना चाहिए। सवाल यह है कि जब तक हम अपनी मानसिकता नहीं बदलेंगे, तब तक यह उत्पीडऩ (रैगिंग) नहीं रुकेगा। यूजीसी द्वारा जारी नये नियमों से

कालेज और यूनिवर्सिटी में पहंच रहे छात्रों को प्रबंधन द्वारा जानकारी दी जाए जिससे छात्र ऐसे प्रतिबंधित शब्दों का उपयोग न करें। कालेज पहुंचने वाले छात्र अपना ध्यान पढ़ाई-लिखाई की तरफ रखें न कि रैंिगंग जैसी सामाजिक बुराई में शामिल होकर लोगों के साथ अपमानजनक व्यवहार करें।
ऐसे में कालेज के सभी छात्रों के लिए कबीरदास जी का यह दोहा वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक है-

ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।।